यूएई के अधिकारियों पर हमला किसने किया?
१८ जनवरी २०१७अफगानिस्तान की राजधानी काबुल और दक्षिणी राज्य कंधार में पिछले हफ्ते मंगलवार को घातक धमाके हुए. हमलों में 50 से ज्यादा लोगों की मौत हुई. मृतकों में कई विदेशी अधिकारी भी शामिल थे. काबुल में हुए दो धमाकों की जिम्मेदारी तालिबान ले ली. लेकिन कंधार में हुए हमले की जिम्मेदारी लेने से तालिबान ने इनकार कर दिया. कंधार ब्लास्ट में राज्य के डिप्टी गवर्नर समेत संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के पांच अधिकारी मारे गए. अफगानिस्तान में तैनात यूएई के राजदूत जुमा मोहम्मद अब्दुल्लाह अल-काबी भी जख्मी हो गए.
विशेषज्ञों के मुताबिक विकास परियोजनाओं से जुड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन करने कंधार पहुंचे विदेशी अधिकारियों को निशाना बनाना, ये दिखाता है कि अफगानिस्तान का संघर्ष कितना पेचीदा है. यह पहला मौका है जब अफगानिस्तान में खाड़ी के अधिकारियों को निशाना बनाया गया है. भारत, अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के अधिकारियों पर तो हमले होते ही रहते हैं.
कंधार में चरमपंथियों ने विस्फोटक एक सोफे में छुपाये थे. सोफा उस कमरे में रखा गया था जहां अफगान अधिकारियों और यूएई के कूटनीतिक अधिकारियों के बीच बैठक हो रही थी. कंधार के पुलिस प्रमुख जनरल अब्दुल राजिक भी मीटिंग में मौजूद थे. लेकिन धमाके से पहले वह कमरे से निकल गए थे. राजिक हमले के लिए हक्कानी नेटवर्क को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. हक्कानी नेटवर्क पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन है, जिसके तार तालिबान से भी जुड़े हैं.
दक्षिण अफगानिस्तान में तालिबान के खिलाफ संघर्ष का प्रमुख चेहरा माने जाने वाले राजिक पहले भी पाकिस्तान की आलोचना कर चुके हैं. राजिक के मुताबिक पाकिस्तान तालिबान की मदद कर अफगानिस्तान में हिंसा को बढ़ावा देता है. दूसरे अफगान अधिकारियों का भी दावा है कि पाकिस्तान तालिबान को पनाह देकर अफगान सरकार और अंतरराष्ट्रीय मददगारों पर हमले करवाता है. इस्लामाबाद हमेशा इन आरोपों को नकारता रहा है.
बुधवार को राजिक ने पत्रकारों से कहा, "हमारे पास जो जानकारी है उसके मुताबिक, हक्कानी नेटवर्क, कुछ आतंकी संगठनों और पाकिस्तानी सेना की खुफिया एजेंसी (आईएसआई) लंबे समय से हमले की तैयारी कर रहे थे." राजिक ने ईरान से अच्छे संबंध रखने वाले तालिबान के धड़े को क्लीनचिट दी. अफगान अधिकारियों को लगता है कि ईरान पर जिम्मेदारी डालकर आतंकी अफगानिस्तान की हिंसा को नया रूप देने की कोशिश कर रहे थे.
काबुल में रहने वाले वाहिद मुजहद के मुताबिक, "इससे अफगानिस्तान में चल रहे जटिल अपरोक्ष युद्ध की परतें खुलती हैं." इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के सीनियर विश्लेषक टिमोर शैरन भी कुछ ऐसी ही राय रखते हैं. डॉयचे वेले से बात करते हुए उन्होंने कहा कि कंधार के हमले में भीतरी लोगों का ही हाथ है. राजिक भी यही कह रहे हैं. पुलिस चीफ के मुताबिक हमले के आरोप में कुछ सरकारी कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया है. उनकी गिरफ्तारी के बाद ही हक्कानी नेटवर्क का नाम लिया जा रहा है.
अमेरिका हक्कानी नेटवर्क को आतंकवादी संगठन घोषित कर चुका है और पाकिस्तान से कई बार उसके खिलाफ कार्रवाई की मांग कर चुका है. लेकिन इस्लामाबाद अब तक कार्रवाई से बचता रहा है. हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान से सटे पाकिस्तान के कबायली इलाकों से अपनी गतिविधि चलाता है. अफगानिस्तान में कई हमले हक्कानी नेटवर्क ही करता है. पाकिस्तान को यह संगठन चुनौती नहीं देता है.
मसूद सैफुल्लाह/ओेएसजे