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मोदी के तरीके से नहीं आएगी शांति: इमरान खान

११ अगस्त २०१७

पाकिस्तान में क्रिकेटर से राजनेता बने इमरान खान कहते हैं कि भारत के साथ शांति पर पूरे देश में आम सहमति है लेकिन वह मानते हैं कि मोदी सरकार इसके खिलाफ काम कर रही है.

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Pakistan Imran Khan, Oppositionspolitiker
तस्वीर: DW/S. Khan Tareen

बहुत से लोगों का मानना है कि नवाज शरीफ को भ्रष्टाचार नहीं बल्कि भारत से करीबी रिश्ता बनाने की कोशिशों की कीमत चुकानी पड़ी है. हालांकि पाकिस्तान तहरीके इंसाफ पार्टी के प्रमुख इमरान खान इस दलील को खारिज करते हैं. इमरान खान की पार्टी पिछले आम चुनाव में तीसरे नंबर पर रही थी और पश्चिमोत्तर कबायली इलाके खैबरपख्तूनख्वाह में उनकी पार्टी की सरकार है. नवाज शरीफ के जाने से पाकिस्तान में लोकतंत्र को खतरे के सवाल पर डीडब्ल्यू से खास बातचीत में उन्होंने कहा, "यह बिल्कुल बेबुनियाद है क्योंकि पाकिस्तान लोकतंत्र की तरफ बढ़ रहा है. मैं पाकिस्तान में लोकतंत्र के खंभों को मजबूत होते देख सकता हूं, चीजें बेहतर हो रही हैं. पाकिस्तान के इतिहास में पहली बार एक प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप में कुर्सी से हटना पड़ा है. नवाज शरीफ के जाने का भविष्य की राजनीति पर असर होगा. सत्ता में आने वाला भ्रष्टाचार करने से पहले कम से कम दो बार सोचेगा."

पाकिस्तान का उदारवादी धड़ा नवाज शरीफ को हटाने की घटना को "न्यायिक तख्तापलट" भी कहता है और साथ ही यह भी कि इमरान खान और उनकी पार्टी ने सेना के साथ मिल कर नवाज शरीफ को हटवाया. इमरान खान इन आरोपों को मजाक बताते हुए कहते हैं, "मैं नहीं जानता कि कौन लोग हैं जो खुद को उदार कहते हैं और इस तरह की बातें करते हैं. सबसे पहली बात तो यह कि सेना प्रमुख का चुनाव शरीफ ने किया था, दूसरे चीफ जस्टिस की नियुक्ति भी शरीफ ने ही की थी और वह भी अभी महज सात महीने पहले. ऐसा क्यों होगा कि दोनों मिल कर प्रधानमंत्री का तख्तापलट करेंगे. नवाज शरीफ का नाम पनामा पेपर्स में आया था. हम विपक्षी दलों ने इसके बाद उनसे अपनी आय के स्रोतों के बारे में जानकारी मांगी थी."

इमरान खान ने राजनेताओं के भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाने की कोशिश की है लेकिन वह सेना में भ्रष्टाचार पर कुछ क्यों नहीं बोलते? इस सवाल पर इमरान खान का कहना था, "जब जनरल परवेज मुशर्रफ सत्ता में थे तब भी मैंने भ्रष्टाचार के खिलाफ बोला था. मैं अकेला राजनेता था जिसे मुशर्रफ के दौर में जेल में डाला गया. ये सच नहीं है कि मैं उनके खिलाफ नहीं बोलता लेकिन इस वक्त हमारे पास एक लोकतांत्रिक रूप से चुनी सरकार है और इस मामले में प्रधानमंत्री का अधिकार है कि वह उन्हें जवाबदेह बनाएं."

इमरान खान अफगानिस्तान और पाकिस्तान में तालिबान के साथ समझौता करना चाहते हैं और कई लोग इसके लिए उनकी आलोचना करते हैं. इमरान खान आतंकी हमलों के लिए जिहादी गुटों की बजाय अफगानिस्तान में अमेरिकी दखल को जिम्मेदार मानते हैं. तो क्या वह सचमुच मानते कि पाकिस्तान की सेना अफगानिस्तान और कश्मीर में इस्लामी गुटों का समर्थन नहीं कर रही है? इमरान खान का कहना है कि यह सब केवल आरोप है और वह भी उन लोगों के, जो जिहादी मूवमेंट और तालिबान को नहीं जानते या यह नहीं समझते कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान में क्या हो रहा है. उन्होंने कहा, "सैन्य तरीका नाकाम हो चुका है. अमेरिका भी तालिबान के साथ बातचीत करना चाहता है क्योंकि अफगानिस्तान में उनके सैन्य अभियान का मनमुताबिक हल नहीं निकला. और आप जानते हैं कि इन जिहादी संगठनों को पाकिस्तान की आईएसआई और अमेरिका की सीआईए ने सोवियत हमलावरों को रोकने के लिए बनाया था. सोवियत सेनाओं के जाने के बाद पाकिस्तान इन गुटों के साथ अकेला पड़ गया. 9/11 के हमलों के बाद अमेरिका ने इन्हें आतंकवादी कह कर मारना शुरू कर दिया उन्हीं लोगों को जिन्हें वह कभी हीरो कहता था. पाकिसतान भी इस जंग में शामिल हो गया. जिस जंग से पाकिस्तान का कोई लेना देना नहीं था उसमें उसके 70 हजार लोग मारे गए. मेरा ख्याल है कि हमें जंग दूर रहना चाहिए."

Pakistan Indischer Ministerpräsident Narendra Modi zu Besuch in Lahore
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Press Information Bureau

नवाज शरीफ के बारे में कहा जाता है कि वो भारत से बेहतर रिश्ते चाहते थे तो अगर इमरान खान पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने तो क्या होगा. क्या वह पाकिस्तान की विदेश और रक्षा नीतियों को अपने नियंत्रण में पायेंगे? इसके जवाब में इमरान ने कहा, "अब इस बात पर आम सहमति है कि पाकिस्तान को भारत के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते रखने चाहिए. सब जानते हैं कि भारत पर एक हिंदू सांप्रदायिक नरेंद्र मोदी का शासन है. उनका एकमात्र एजेंडा है पाकिस्तान को अलग थलग करना. हम इस रास्ते पर चल कर शांति हासिल नहीं कर सकते. जब भी भारत में कोई घटना होती है मोदी इसके लिए सीधे पाकिस्तान को जिम्मेदार बताते हैं. वह यह नहीं सोचते कि कैसे शांति प्रक्रिया आगे बढ़ायी जाए बल्कि वो इसे पटरी से  उतार रहे हैं."
इंटरव्यूः शाह मीर बलोच, शामिल शम्स