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मैर्केल की गठबंधन डील को सीडीयू की मंजूरी

२७ फ़रवरी २०१८

जर्मन चांसलर की पार्टी ने सोशल डेमोक्रैट्स के साथ नई सरकार बनाने को मंजूरी दे दी है. लेकिन पार्टी के भीतर बहुत मतभेद हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

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Deutschland CDU Parteitag in Berlin Abstimmung
तस्वीर: picture-alliance/dpa/W. Kumm

जिसकी उम्मीद थी, वहीं हुआ. राजधानी बर्लिन में चांसलर अंगेला मैर्केल की पार्टी सीडीयू के प्रतिनिधियों ने बड़े अंतर से महागठबंधन को मंजूरी दी. सीडीयू के 975 सदस्यों में से सिर्फ 27 ने गठबंधन के खिलाफ वोट दिया. इस तरह सीडीयू और सोशल डेमोक्रैट्स (एसपीडी) के बीच गठबंधन सरकार चलाने का रास्ता साफ हुआ.

वोटिंग से ठीक पहले मैर्केल ने अपनी पार्टी से गठबंधन डील का समर्थन करने की अपील की. चांसलर ने माना कि सितंबर 2017 के चुनावों में उनकी पार्टी भले ही सबसे बड़े दल के रूप में उभरी हो, लेकिन उसका वोट प्रतिशत करीब 7 फीसदी कम हुआ. एसपीडी की भी हालत खस्ता हुई. सबसे ज्यादा फायदा अति दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को हुआ, जो पहली बार जर्मन संसद में पहुंची है.

मैर्केल के बाद सीडीयू का बड़ा नेता कौन होगा, इसका फैसला भी सोमवार को हो गया. पार्टी के प्रतिनिधियों ने जारलैंड प्रांत की पूर्व मुख्यमंत्री आनेग्रेट क्रांप-कारेबाउवर को सीडीयू का महासचिव चुना. 55 साल की क्रांप-कारेबाउवर को मैर्केल का करीबी माना जाता है. कुछ पर्यवेक्षकों को लगता है कि मैर्केल के बाद वह अगली चांसलर बन सकती हैं.

Deutschland Annegret Kramp-Karrenbauer ist neue Generalsekretärin der CDU
मैर्केल के साथ आनेग्रेट क्रांप-कारेबाउवरतस्वीर: imago/S. Zeitz

सीडीयू में मतभेद

सीडीयू के बहुत सारे सदस्य महागठबंधन डील से खुश नहीं हैं. उन्हें लगता है कि मैर्केल ने एसपीडी की बहुत ज्यादा मांगें स्वीकार की हैं. वहीं मैर्केल का कहना है कि इसी तरीके से बेस्ट डील हो सकती थी. चांसलर ने कहा, "सरकार बनाने के लिए हमें जो जनादेश मिला है उसे मतदाताओं के सामने हम नहीं फेंकेंगे, वह भी सिर्फ इसीलिए क्योंकि हम निराश हैं. देश की जिम्मेदारी संभालने के लिए लोगों ने हमेशा सीडीयू पर भरोसा जताया है. यह सीडीयू ब्रांड है."

गठबंधन डील के तहत वित्त मंत्रालय एसपीडी को मिला है. इस बदलाव का बचाव करते हुए मैर्केल ने कहा, "क्या किसी एक पक्ष के चलते हमें इस डील को नाकाम होने देना चाहिए था? मेरा जवाब है नहीं." चांसलर के मुताबिक अर्थनीति मंत्रालय अब भी सीडीयू के पास रहेगा. मैर्केल ने इसे वित्त मंत्रालय जितना अहम बताया.

मैर्केल की चुनौतियां

मैर्केल ने चुनावों में सीडीयू के खराब प्रदर्शन के लिए रिफ्यूजी संकट से जनता के बीच ऊपजी असुरक्षा की भावना, समाज में तकनीकी बदलाव, यूरोप और दुनिया में जारी विवादों को जिम्मेदार ठहराया. मैर्केल ने कहा कि गठबंधन समझौता इन चुनौतियों पर ध्यान देगा. परिवार के मुद्दे पर सरकार की प्रमुख ने अपनी पार्टी के चुनावी वादों को पूरा करने का भरोसा दिलाया.

मैर्केल की सबसे बड़ी मुश्किल रिफ्यूजी संकट है. जर्मनी में बीते सालों में 10 लाख से ज्यादा रिफ्यूजी पहुंचे हैं. उन्हें शरण देना और जर्मन समाज में उनका समेकन अब भी बड़ी चुनौती बना हुआ है.

अमेरिका की बदलती विदेश नीति, ब्रेक्जिट और रूस के आक्रामक रुख के बीच यूरोप को नए सिरे से अपना भविष्य गढ़ना है. मैर्केल के मुताबिक वह यूरोपीय संघ को मजबूत बनाते हुए जर्मनी को ताकतवर बनाएंगी, "जर्मनी और यूरोप का भविष्य हमारे हाथ में है. हम इस भविष्य को आकार देना चाहते हैं, वो भी दूसरों से पहले."

सीडीयू पर अब भी चांसलर की पकड़ बनी हुई है. लेकिन बीते चार साल में यह कमजोर पड़ी है. 63 साल की मैर्केल 2005 से जर्मनी की चांसलर हैं. मैर्केल की नीतियों की आलोचना करने वाले उन्हीं की पार्टी के एक सदस्य ने कहा, "समझौते में सीडीयू की भूमिका काफी नहीं है."

सितंबर 2017 में हुए चुनावों में सीडीयू और उसकी सहोदर पार्टी सीएसयू को 32.9 फीसदी वोट मिले. एसपीडी 20.5 फीसदी पर सिमट गई, जबकि मैर्केल की शरणार्थी नीति का विरोध करने वाली पार्टी एएफडी को पहली बार 12.6 फीसदी वोट मिले.

जेफर्सन चेज/ओएसजे