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मैर्केल और माक्रों के बीच यूरो बजट पर सहमति

२० जून २०१८

यूरोपीय संघ का भविष्य जर्मनी और फ्रांस के कंधों पर टिका है. एक तरफ रिफ्यूजी संकट का साया है तो दूसरी तरफ आर्थिक संकट के बादल. इन मुश्किलों से निकलने के लिए मैर्केल और माक्रों ने कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव दिए हैं.

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Deutschland Meseberg - Angela Merkel und Emmanuel Macron im Meseberg Palast
तस्वीर: Reuters/Bundesregierung

जर्मनी और फ्रांस के नेताओं ने अपने नए प्रस्तावों को यूरोपीय संघ के इतिहास में "एक नया अध्याय" बताया है. मंगलवार को बर्लिन के पास मेजेबेर्ग कासल में जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल ने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से मुलाकात की. इस दौरान दोनों नेताओं ने 19 देशों वाले यूरोजोन में बड़े बदलावों की योजना को अंतिम रूप दिया. बदलाव प्रस्तावों के तहत एक नए समानांतर बजट पर भी सहमति बनी.

रिफ्यूजी मुद्दा जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल के गले की फांस बन गया है. उनका राजनीतिक भविष्य अब इस बात पर टिका है कि रिफ्यूजियों का नया बड़ा कारवां जर्मनी न आए. जर्मन सरकार के गृह मंत्री हॉर्स्ट जेहोफर और अति दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी रिफ्यूजी संकट को लेकर मैर्केल के खिलाफ मोर्चा खोले हुए हैं. रिफ्यूजी संकट के साथ ही यूरोपीय संघ और यूरोजोन के देशों की आर्थिक स्थिति सुधरना भी दोनों फ्रांस और जर्मनी के शीर्ष नेताओं के लिए बहुत जरूरी है. बेरोजगारी बढ़ते ही शरणार्थियों का मुद्दा हावी होगा और इससे पार पाना दोनों नेताओं के लिए बड़ा मुश्किल होगा. फ्रांस में अति दक्षिणपंथी पार्टी नेशनल फ्रंट का राजनीतिक प्रभाव काफी बढ़ चुका है.

किन किन मुद्दों पर सहमति?

प्रस्तवों के अनुसार अर्थव्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए यूरोपीय संघ एक सिंगल यूरोजोन बजट लॉन्च करेगा. बजट के जरिए यूरो मुद्रा इस्तेमाल करने वाले यूरोजोन के 19 देशों में निवेश और आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जाएगा. नए बजट पर फैसला 2021 तक हो जाएगा. लेकिन इसके लिए पैसा कहां से आएगा, इस पर माथापच्ची अभी बाकी है.

कैसे खुलेगी यूरोपीय संघ के सुधारों की गांठ

मौजूदा यूरोपीय स्टेबिलिटी मैकेनिज्म (ईएसएम) 2012 में तय किया गया था. इसका मकसद यूरोजोन में आर्थिक संकट से निपटना था. अब इसे यूरोपीय मुद्रा कोष (ईएमएफ) में बदले जाने का प्रस्ताव है. इस कोष से आर्थिक संकट का सामना करने वाले यूरोपीय संघ के देशों की मदद की जाएगी. मैर्केल ने कहा, "हम इस बात को पुख्ता करने पर काम कर रहे हैं कि यूरोजोन के बजट को सिर्फ निवेश को मजबूत करने और यूरोजोन के भीतर एकरूपता को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जाएगा."

यूरोबजट कैसा होगा, इसका संकेत देते हुए फ्रांसीसी राष्ट्रपति माक्रों ने कहा, यह "असली बजट होगा जिसमें वार्षिक राजस्व और खर्चे शामिल होंगे."

प्रवासन का मुद्दा

रिफ्यूजियों के मुद्दे पर दोनों नेताओं ने कहा कि यूरोपीय संघ के देशों में एकजुटता को और मजबूत करना जरूरी है, ताकि रिफ्यूजियों की बढ़ती संख्या को कम किया जा सके. मैर्केल और माक्रों दोनों ने माना कि यूरोप आने वाले रिफ्यूजियों की अथाह संख्या को कम करने की जरूरत है. मैर्केल ने यूरोपीय संघ की माइग्रेशन एजेंसी फ्रंटेक्स के स्टाफ को बढ़ाए जाने की वकालत की. मैर्केल ने कहा, यह जरूरी है कि यूरोपीय संघ के देश "खुद के लिए नहीं बल्कि यूरोप की भावना से काम करें."

यूरोपीय संघ की विदेश और रक्षा नीति के बारे में यूरोप की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जर्मनी की चांसलर ने कहा, "हम चाहते हैं कि यूरोप बहुध्रुवीय दुनिया में अपनी जगह खोजे." मैर्केल ने अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रम के संदर्भ में यूरोपीय संघ की तेज प्रतिक्रिया की भी वकालत की. जर्मन चांसलर ने कहा, "हम हमेशा सबकी रजामंदी का इंतजार नहीं करेंगे." अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कई फैसलों के बाद यूरोपीय संघ और वॉशिंगटन की दोस्ती में दरार पड़ चुकी है. यूरोपीय संघ के नेता मान रहे हैं कि यूरोप को अमेरिका पर निर्भर रहने के बजाए अपना भविष्य खुद संवारना होगा.

शरणार्थियों की तादाद का नया रिकॉर्ड

मैर्केल और माक्रों की बातचीत को यूरोपीय संघ के भविष्य के लिहाज से काफी अहम माना जा रहा है. एक दशक तक संकट, विभाजन और अस्थिरता देखने के बाद यूरोप के लिए नया रास्ता खोजना जरूरी हो गया है. वार्ता से पहले फ्रांस ने कहा था कि अगर मैर्केल और माक्रों यूरोजोन को मजबूत करने और प्रवासन संकट से निपटने पर सहमत नहीं हुए तो यूरोपीय संघ मुश्किल समय का सामना करेगा.

दोनों नेता यूरोपीय संघ के कमिश्नरों की संख्या घटाने पर भी सहमत हुए. यूरोपीय संघ में फिलहाल 28 कमिश्नर हैं. मैर्केल और माक्रों ने जिन जिन सुधारों पर हामी भरी है अब उन पर 29-29 जून को यूरोपीय संघ की शिखर भेंट के दौरान चर्चा होगी.

(दुनिया में ऐसे लोगों की तादाद लगातार बढ़ रही है जो अपने जन्म के देश में नहीं रहते. कई देशों में तो स्थानीय लोगों की तुलना में विदेशियों की आबादी तीन गुना ज्यादा है.)

निक मार्टिन/ओएसजे