मैच फ़िक्सिंग पर जर्मन फ़ुटबॉल सख़्त
२१ नवम्बर २००९जर्मन फ़ुटबॉल संघ के प्रेसीडेंट थियो स्वानसीगर ने कहा कि जो दोषी हैं, उन्हें सज़ा मिलेगी. जर्मन पत्रिका डेयर श्पीगल ने दावा किया है कि दक्षिण जर्मनी के एक रेफ़री को मई में हुए मैच के लिए घूस दिया गया. स्वानसीगर ने कहा, "हम उनको सज़ा देंगे. वह हमारे हिस्सा नहीं हैं. अगर पैसा होता है, तो भ्रष्टाचार भी होता है. यह संदेश सब तक पहुंचना ज़रूरी है कि ऐसा नहीं होना चाहिए. हम इसका मज़बूती से सामना करेंगे."
जर्मनी में पुलिस ने दावा किया है कि वह हाल के 200 मैचों की जांच कर रहे हैं, जिन्हें फ़िक्स किया गया हो सकता है. इनमें यूरोप के सबसे बड़े लीग मुक़ाबले चैंपियन्स लीग से लेकर जर्मन फ़ुटबॉल लीग बुंडेसलीगा तक के मैच शामिल हैं.
जर्मनी के अलावा स्विट्ज़रलैंड, ऑस्ट्रिया और ब्रिटेन में 50 से ज़्यादा जगहों पर छापे मारे गए हैं और कुल 17 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. जर्मन पुलिस का कहना है कि ये सब मैच फ़िक्सिंग के एक बड़े रैकेट के हिस्सा हैं, जो छोटे बड़े सभी फ़ुटबॉल मैचों के नतीजे पहले से तय कर दिया करते थे. इनके पास से 10 लाख यूरो से ज़्यादा की रक़म और संपत्ति बरामद की गई है. रिपोर्टों के मुताबिक़ बर्लिन में क्रोएशिया के दो भाइयों को पकड़ा गया है, जो पांच साल पहले भी मैच फ़िक्सिंग के इलज़ाम में फंस चुके हैं.
जर्मनी में जिन 32 मैचों को फ़िक्स किया गया बताया जाता है, उनमें बुंडेसलीगा के सेकंड डीविज़न के मैच भी शामिल हैं. इसके अलावा तुर्की के 29 मैच और स्विटज़लैंड के 22 मैच फ़िक्स किए गए लगते हैं. कुल 200 से ज़्यादा मैच. जांच कर रहे लोगों का कहना है कि यह तो शुरुआती बात है. यह लिस्ट बहुत लंबी हो सकती है.
जर्मनी में मैच फ़िक्सिंग का पुराना इतिहास रहा है. यहां के रेफ़री रॉबर्ट होएज़र ने ग़लत फ़ैसले देने की बात क़बूली थी, जिसके बाद उन्हें 2005 में जेल जाना पड़ा. इसके अलावा इटली के कुछ मैच फ़िक्स किए जाने की बात भी सामने आई थी, जिसमें इटली के कुख्यात माफ़िया शामिल रहे थे.
हालांकि फ़ुटबॉल के जानकारों का कहना है कि ये कुछ ऐसे मामले हैं, जो सामने आ जाते हैं, कई मामले दब कर रह जाते हैं. फ़ुटबॉल में बेतहाशा मिलने वाला पैसा भी इसकी वजह बताई जा रही है.
रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल
संपादनः एम गोपालकृष्णन