मूंछों की जंग
हर दो साल में दुनिया भर के दाढ़ी-मूंछों के दीवाने इकट्ठा होते हैं और उनके बीच होती है अनोखी प्रतियोगिता.
ऑस्ट्रिया में इस बार 20 देशों से आए करीब 350 लोगों ने हिस्सा लिया. इनमें से 18 अलग अलग श्रेणियों में विजेता चुने जाने थे.
रंगी हुई या करीने से काढ़ी हुई, सजी-संवरी या सबका मेल - ऐसी हर तरह की मूंछों और दाढ़ियों को देखने पहुंचे करीब 1,500 दर्शकों में से कोई निराश नहीं लौट सकता.
20 देशों के 300 प्रतियोगियों ने 2013 की विश्व दाढ़ी मूंछ प्रतियोगिता में भाग लिया था. जर्मन शहर श्टुटगार्ट के पास हुई इस प्रतियोगिता के विजेता रहे जर्मनी और अमेरिका.
मूंछें कई श्रेणियों में विभाजित हैं. फ्री स्टाइल श्रेणियों में रचनात्मकता की कोई सीमा नहीं है. पिछली बार अमेरिका के आर्ने बीलेफेल्ड ने फ्री स्टाइल पूरी दाढ़ी वर्ग में खिताब जीता.
अच्छी दाढ़ी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ती है. फेलिक्स हामोसर को बारीकी से हर चीज का ध्यान रखना पड़ता है. दमदार दाढ़ी के लिए सलाह- पहले दाढ़ी को बढ़ने दें और फिर कांट-छांट करें. रोजाना धुलाई करें और थोड़ा तेल लगाएं.
पहली बार 2013 की प्रतियोगिता में 'ट्रेंड बियर्ड' दाढ़ी को भी शामिल किया गया. इस तरह की दाढ़ी दिखने में बहुत ही अजीब होती है. इस अनोखी श्रेणी में रिकॉर्डो हाकान ने बाजी मारी.
दाढ़ी की प्रतियोगिता के लिए 18 विभिन्न वर्ग थे. कई दाढ़ी ऐतिहासिक मॉडलों के सम्मान में थीं. 2013 की प्रतियोगिता में चीनी, अंग्रेजी, हंगरी और सिपाही स्टाइल की दाढ़ी शामिल थीं और विजेता रहे थे कार्ल हाइंस हिले.
फ्री स्टाइल श्रेणी में नियम के मुताबिक दाढ़ी को रंगा जा सकता है. उसे स्टाइल करने के लिए हेयर स्प्रे भी लगाए जा सकता है. लेकिन दूसरे लोगों के बाल या, पिन या हेयर पिन इस्तेमाल करने की मनाही है. फ्री स्टाइल श्रेणी के विजेता डीटर बेजूख.
दाढ़ियों की ये विश्व प्रतियोगिता 1997 से शुरू हुई. नॉर्वे के शहर ट्रोन्डहाइम में पहली बार इस तरह की प्रतियोगिता हुई, उसके बाद हर दो साल में प्रतियोगिता का स्थान बदलता गया. जर्मनी, स्वीडन, इंग्लैंड, अमेरिका और ऑस्ट्रिया में प्रतियोगिताएं हो चुकी हैं.