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मुश्किल में हैं धरती के फेफड़े

मिषाएल आल्टेनहेने/ओएसजे२८ दिसम्बर २०१५

अमेजन के वर्षावनों को जलवायु विशेषज्ञ धरती का एक फेफड़ा कहते हैं. लेकिन बीते कुछ दशकों की खेती अब इन फेफड़ों को निचोड़ रही है. कोलंबिया भी इससे अछूता नहीं है.

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तस्वीर: picture-alliance/AP

लैटिन अमेरिका के बड़े हिस्से में फैले ये वर्षावन कॉर्बन डायॉक्साइड को सोखते हैं और हमें सांस लेने के लिए शुद्ध ऑक्सीजन देते हैं. लेकिन दक्षिण कोलंबिया की एक नदी को देखें तो पता चलता है कि वर्षावन किस मुश्किल में हैं. हर दिन दर्जनों लोग वर्षावन की लकड़ी को जहाज पर चढ़ाते हैं. 50 टन भारी बढ़िया लकड़ी. इस गैरकानूनी तस्करी से सब पैसा कमाते हैं. नदी पर बने इस पोर्ट पर कोई रोक टोक नहीं है. लकड़ी माफिया इसी बात का फायदा उठा रहा है.

तस्कर बने समस्या

यह इलाका पास के नेशनल पार्क के रेंजरों के अधिकार क्षेत्र से बाहर है. लेकिन रेंजर जानते हैं कि लकड़ी माफिया चिरिबीकेटे नेशनल पार्क के लिए भी खतरा हैं. नेशनल पार्क के अधिकारी कार्लोस पायेज के मुताबिक, "पांच साल पहले तक लकड़ी तस्कर पार्क से 30 किलोमीटर दूर रहते थे, आज महज़ 10 किलोमीटर की दूरी पर पेड़ काटे जा रहे हैं. आप देख सकते हैं कि हालात बद से बदत्तर हो रहे हैं. पेड़ों की कटाई, गैरकानूनी ढंग से कोकोआ उगाना और अति खेती, ये सब पार्क के लिए खतरा बने हुए हैं."

अमेजन वर्षावनों की रक्षा

चारे के चक्कर में

अमेजन के काकेटा इलाके में खेती, जंगल के बड़े इलाके को निगल चुकी है. एक दिक्कत यह है कि स्थानीय लोग अपनी ज़मीन पर मौजूद संसाधनों का सही से इस्तेमाल नहीं करते. यही वजह है कि जहां कभी जैव विविधता से भरा वर्षावन हुआ करता था, आज वहां सिर्फ घास के मैदान दिखते हैं. जंगल की इस बदहाली के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं चरवाहे.

हालात बदलने के लिए जर्मन अंतरराष्ट्रीय सहयोग संस्था जीआईजेड यहां नौ पायलट प्रोजेक्टों को वित्तीय मदद दे रही है. ये सब पार्क के करीब हैं. पायलट प्रोजेक्ट लीडर टांगमार मार्मोन के मुताबिक लोगों को समझाना वाकई बड़ी चुनौती है, "यहां जंगलों की कटाई की परवाह कोई नहीं करता, लोग यहां पर्यावरण के लिहाज से नहीं सोचते. उनके लिए ये सिर्फ पेड़ हैं, राह के पेड़. हम उन्हें यह समझाने की कोशिश कर रहे हैं कि निवेश के जरिए वे ज्यादा कमा सकते हैं, पेड़ काटने के झंझट से बच सकते हैं और पशुओं को कहीं और ले जाने की जरूरत भी नहीं रहेगी. मेरे विचार में यह किसानों के लिए आकर्षक होगा."

बेहतर मैनेजमेंट

छोटी छोटी कोशिशें बड़े बदलाव ला सकती हैं. जैसे पशुओं का रास्ता तय करना. पायलट फॉर्मों में गायों के एक इलाके से दूसरे तक जाने के लिए 60 सेंटीमीटर चौड़े रास्ते बनाए गए हैं. ऐसा करने से गायें बेतरतीब ढंग से नहीं चरतीं और घास के मैदान को काफी हद तक सुरक्षित रखती हैं. पायलट प्रोजेक्ट के ज़रिए यह भी दिखाया जा रहा है कि चरागाह को बदलना और जैविक खाद का इस्तेमाल करना, इलाके के लिए एक मॉडल बन सकता है.

कृषि विज्ञानी एंटोनियो रिकॉर्डो इसका उदाहरण देते हैं, "काफी लोग हमारे पास आ चुके हैं क्योंकि वे इसमें दिलचस्पी लेते हैं. आइडिया यह है कि हम और किसानों को यह दिखाएं कि वे जमीन का ढंग से इस्तेमाल कर कैसे मुनाफा बढ़ा सकते हैं. जंगल को काटे बिना भी हम ज्यादा दूध पा सकते हैं."

रियो ओर्टेक्वाज़ा नदी के जरिए ही पायलट प्रोजेक्ट के एक इलाके तक पहुंचा जा सकता है.

लौटता प्राकृतिक संतुलन

यह फेलिपे एस्लावा की जमीन पर है. 32 साल के एस्लावा नई पीढ़ी के किसान हैं. बिजनेस की पढ़ाई करने के बाद उन्होंने कुछ साल विदेश में भी काम किया. वो अपने पुश्तैनी खेतों को एक इकोलॉजिक फार्म में बदलना चाहते हैं. उन्होंने अपनी करीब 300 हेक्टेयर जमीन को पर्यावरण संरक्षित इलाके के रूप में रजिस्टर कराया है. मैदान को वीरान छोड़ते ही वहां जंगल फिर से खड़ा होने लगा. और जंगल के लौटते ही उसके बाशिंदे भी आ गए.

एस्लावा के मुताबिक इस बदलाव से काफी फायदा हुआ है, "हमारी उत्पादकता में कोई कमी नहीं आई है, बल्कि बायोमास बढ़ने से हमें फायदा होता है, ऑक्सीजन, जैव विविधता और उपजाऊ मिट्टी मिलती है. जमीन खुद समृद्ध होती है. अगर आप प्रकृति को समय दें, तो वह खुद ही यह काम बेहतरीन तरीके से करती है."

लेकिन एस्लावा के फार्म को आधुनिकीकरण की सख्त ज़रूरत है. फिलहाल 40 से 60 गायों को हर सुबह हाथ से दुहा जाता है. इलाके के ज्यादातर फार्मों की हालत ऐसी ही है. दूध के एक हिस्से से चीज़ बनाई जाती है. अगर सही दिशा मिले, तो यह चीज़ आने वाले समय में कोलंबिया की राजधानी के बड़े बड़े रेस्तराओं में परोसी जाएगी.