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मिस्र में विरोध तेज, तीन लोगों की मौत

२६ जनवरी २०११

मिस्र में जारी सरकार विरोधी दंगे अब जानलेवा हो गए हैं. मंगलवार को वहां तीन लोगों की जान चली गई. ट्यूनिशिया में हुई क्रांति से प्रेरित होकर मिस्र में भी दसियों हजार लोग सड़कों पर उतर आए हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

मंगलवार को दो प्रदर्शनकारियों की मौत स्वेज शहर में पुलिस के साथ झड़प के दौरान हुई. इनके अलावा काहिरा में एक पुलिसवाले की भी मौत हो गई. इन सभी की मौत की वजहें नहीं बताई गई हैं.

काहिरा और स्वेज समेत कई शहरों में दिनभर प्रदर्शन हुए. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस के गोले फेंके जिनका जवाब लोगों ने पत्थरों से दिया. विश्लेषकों का मानना है कि 1977 के प्रदर्शनों के बाद ये सबसे बड़े प्रदर्शन हैं. 1977 में ब्रेड सब्सिडी के मसले पर भड़के विरोध प्रदर्शनों ने पूरे अरब जगत को हिलाकर रख दिया था.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

अब जब लोगों के विरोध ने ट्यूनीशिया की दशकों पुरानी सत्ता को उखाड़ फेंका तो कई अरब देशों में ऐसे ही प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. मिस्र में भी होस्नी मुबारक कई दशकों से सत्ता पर काबिज हैं. अब लोग उन्हें पद से हटाने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं.

अमेरिका भी चिंतित

मिस्र के इन प्रदर्शनों की प्रतिक्रिया दुनियाभर में हो रही है. अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अमेरिका मानता है कि मिस्र की सरकार स्थिर है.

काहिरा की सड़कों पर 20 से 30 हजारों पुलिस वालों को तैनात किया गया है. हालांकि इसके बावजूद मंगलवार को हजारों लोगों ने मुख्य चौराहे तहरीर पर प्रदर्शन किया और सरकार की सत्ता से बेदखली के नारे लगाए. चौराहे के पास से संसद को जाने वाली एक सड़क पर पुलिस ने पानी की बौछारों से प्रदर्शनकारियों को तितर बितर करने की कोशिश की.इस प्रदर्शन का आहवान लोकतंत्र समर्थन युवा संगठन अप्रैल 6 आंदोलन ने किया.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

सरकार झुकने को तैयार नहीं

गृह मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा है कि सुरक्षा बलों ने प्रदर्शनकारियों को अपनी बात कहने की इजाजत देने का फैसला किया है ताकि वे अपनी मांगें बता सकें. बयान के मुताबिक सुरक्षा बल इन प्रदर्शनकारियों को रोक नहीं रहे हैं बल्कि उनकी सुरक्षा में लगे हैं.

उठाई जा रही मांगों में गृह मंत्री को हटाने की बात भी शामिल है क्योंकि उनके नेतृत्व में पुलिस की ज्यादतियां बढ़ने के आरोप लगे हैं. लोग न्यूनतम मजदूरी में बढ़ोतरी और दशकों से जारी आपातकाल खत्म करने की मांग भी कर रहे हैं. तहरीर चौक पर प्रदर्शन कर रहे 21 साल के वकील इब्राहिम मोहम्मद ने कहा, "हम पर एक भ्रष्ट सरकार राज कर रही है जो दमन के दम पर हमेशा के लिए कायम रहना चाहती है."

रिपोर्टः एजेंसियां/वी कुमार

संपादनः एन रंजन

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