मिस्र के दौरे पर नेतन्याहू
२९ दिसम्बर २००९बातचीत के बाद मुबारक और नेतन्याहू प्रेस के सामने नहीं आए, लेकिन इस्राएली प्रधान मंत्री के दफ़्तर से जारी सूचना में कहा गया है कि दोनों के बीच गहरी और मैत्रीपूर्ण बातचीत हुई. उन्होंने फ़िलिस्तीनी पक्ष के साथ शांति वार्ता फिर से शुरू करने तथा इस्राएयली सैनिक गिलाद शलित की वापसी के बारे में बात की, जो साढ़े तीन साल से गज़ा में हमास के कब्ज़े में है. कहा गया है कि मिस्र के राष्ट्रपति ने शांति प्रक्रिया को आगे बढ़ाने के लिए अपनी प्रतिबद्धता पर ज़ोर दिया.
नेतन्याहू की मिस्र यात्रा एक ऐसे समय में हुई, जब इस्राएल ने घोषणा की है कि वह जेरुसलेम के अधिकृत अरब पूर्वी हिस्से में यहूदियों के सैकड़ों नए मकानों के निर्माण के लिए टेंडर मंगा रहा है. इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए मिस्र के विदेश मंत्री अहमद अबुल ग़ेइत ने कहा था कि अधिकृत क्षेत्रों में इस्राएयली बस्तियों का निर्माण एक फ़िलिस्तीनी राज्य की स्थापना के लिए फिर से बातचीत शुरू करने की कोशिशों के प्रति भीतरघात है. उन्होंने कहा था कि ऐसे क़दमों से समझौते के लिए इस्राएल की इच्छा पर सवालिया निशान लग जाता है.
लेकिन बातचीत के बाद उनका कहना था कि इस्राएली प्रधानमंत्री की यात्रा से उन्हें काफ़ी उत्साह मिला है. विदेश मंत्री ग़ेइत की राय में नेतन्याहू फ़िलिस्तीनियों के साथ बातचीत शुरू करने के बारे में काफी गंभीर हैं. उनके प्रस्ताव इस्राएल के अब तक के रुख से काफ़ी आगे तक जाते हैं. उन्होंने इन प्रस्तावों का कोई विवरण देने से इंकार कर दिया, लेकिन इतना कहा कि मेज़बान मिस्र की राय में नेतन्याहू बातचीत आगे बढ़ाना चाहते हैं और सब कुछ बातचीत की मेज़ पर है. मिस्र के टेलिविज़न में कहा गया है कि दोनों नेताओं ने फ़िलिस्तीनी शरणार्थियों की समस्या पर भी बात की.
फ़िलिस्तीनी पक्ष ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक इस्राएल बस्तियों का निर्माण बंद नहीं करता है, वे बातचीत नहीं शुरू करेंगे. साथ ही वे चाहते हैं कि नेतन्याहू के पूर्ववर्ती एहुद ओलमर्ट के साथ बातचीत जहां तक पहुंची थी, वहीं से उसे फिर से चालू किया जाए.
रिपोर्ट: एजेंसिया/उ भट्टाचार्य
संपादन: आर यादव