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मिस्र की जनता का मजाक उड़ा रहे हैं मुबारक

११ फ़रवरी २०११

हमेशा की तरह सभी आकलन और उम्मीदें गलत निकलीं. हुस्नी मुबारक अड़े रहे. वह इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. इसके साथ उन्होंने अपनी ही जनता का मजाक उड़ाया. हालांकि इस्तीफे की अटकलें सेना और बड़े अधिकारियों की तरफ से लगी थी.

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30 साल से मुबारकतस्वीर: AP

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए भी मुबारक के इस्तीफे को पक्का मान रहा था. लेकिन काहिरा और मिस्र के दूसरे शहरों में जमा लाखों प्रदर्शनकारियों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. इसलिए उनका गुस्सा बहुत बड़ा है, जो समझ में भी आता है क्योंकि उनका अपना ही राष्ट्रपति अपनी जनता की कीमत पर एक गंदा खेल खेल रहा है.

मुबारक सत्ता में रहेंगे लेकिन अपने कई अधिकार उप राष्ट्रपति उमर सुलेमान को देने को राजी हो गए हैं. उन्होंने सुधारों के वायदे किए हैं. साथ ही वह अपनी प्रशंसा भी कर रहे हैं कि वह एक देशभक्त हैं और वही देश में स्थिरता की गारंटी दे सकते हैं.

लेकिन अब मिस्र की जनता सामाजिक अन्याय और राजनैतिक दबाव से ऊब चुकी है. लोग आजादी और लोकतंत्र की मांग कर रहे हैं और उन्हें इस लक्ष्य को पाने के लिए हर तरह का समर्थन मिलना चाहिए. यूरोप की तरफ से भी.

मुबारक के अड़े रहने का अंजाम यह हो सकता है कि प्रदर्शन करने वालों में से एक हिस्सा हिंसा का रास्ता अपना सकता है, जिस पर नियंत्रण मुश्किल है. और शायद इसके बाद सैनिक विद्रोह भी हो सकता है. प्रदर्शनकारियों की उम्मीदें हैं कि उन्हें सेना से समर्थन मिल सकता है. हालांकि उनकी यह उम्मीद अभी पूरी नहीं हुई है. राष्ट्रपति मुबारक अभी तक स्थिरता की गारंटी देने वाले समझे जाते थे. लेकिन अब वह सुरक्षा के लिए चुनौती बनते जा रहे हैं. वह सिर्फ मिस्र नहीं, बल्कि अरब क्षेत्र के लिए मुसीबत बन सकते हैं.

समीक्षाः रायनर जॉलिच/प्रिया एसेलबॉर्न

संपादनः ए जमाल

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