1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

महिलाओं के सामने खड़ी है चीन की दीवार

२४ अप्रैल २०१८

तेज आर्थिक विकास से चीन में महिलाओं के लिए नौकरी के अथाह मौके पैदा हुए हैं. लेकिन पुरुष प्रधान सोच और लैंगिक भेदभाव महिलाओं के लिए अब भी दीवार से बने हुए हैं.

https://p.dw.com/p/2wYFW
Mosuo Frau China
तस्वीर: picture alliance /dpa/L.Xianbiao

चीन में रोजगार के क्षेत्र में लैंगिक भेदभाव चीन में बड़ी समस्या भर नहीं है, हाल सालों में स्थिति और बदतर हुई है. ह्यूमन राइट्स वॉच के ताजा सर्वे में यह दावा किया गया है. सोमवार को जारी सर्वे के मुताबिक 2017 में चीन में कामकाजी महिलाओं की संख्या 63 फीसदी रही. एक दशक पहले यह संख्या 65.5 फीसदी थी.

गैर सरकारी संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक रोजगार के मामले में बढ़ते जेंडर गैप की वजहें साफ हैं. नौकरियों के सार्वजनिक विज्ञापनों में ही इसका साफ संकेत मिल जाता है. नौकरियां चाहे सरकारी हों या प्राइवेट, उसके लिए निकाले गए विज्ञापन में ऐसी शर्तों का जिक्र होता है जिन्हें सिर्फ पुरुष ही पूरा कर सकते हैं. और इस तरह अंत में वे नौकरियां भी पुरुषों को ही मिलती हैं. शोध के मुताबिक ऐसा भेदभाव कम तनख्वाह वाली नौकरियों में ज्यादा देखने को मिलता है. प्रतिष्ठित नौकरियों में भी हालात बहुत अलग नहीं हैं.

चीन को जॉब मा्र्केट की समीक्षा के दौरान पता चला कि 13 फीसदी नौकरियां ऐसी हैं, जिनमें सिर्फ पुरुषों का तरजीह दी गई. शोध में कहा गया है कि चीन के रोजगार बाजार में एक अनकहा नजरिया फैला हुआ है. इसके मुताबिक "महिलाओं को शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक रूप से पुरुषों से कमतर माना जाता है. महिलाएं बच्चों की देखभाल करने के लिए परिवार का प्राथमिक स्रोत हैं और इसी वजह से उन्हें नौकरी के प्रति पूरी तरह समर्पित नहीं माना जाता है."

मैनेजर अक्सर यह तर्क देते हैं कि महिला कर्मचारी परिवार और मातृत्व के चलते फुल टाइम जॉब नहीं कर पाती हैं और इसका आर्थिक बोझ कंपनी या एजेंसी पर पड़ता है.

वहीं दूसरी तरफ महिलाओं की खूबसूरती का इस्तेमाल पुरुष आवेदकों को आकर्षित करने के लिए भी किया जा रहा है. अलीबाबा, बाइदू, टेनसेंट जैसी दिग्गज चीनी कंपनियां अपने जॉब एडवरटाइजमेंट में "खबसूरत लड़कियों" को कंपनी में काम करते हुए दिखाती हैं. कई पुरुष सिर्फ इसी चक्कर में वहां नौकरी ज्वाइन करते हैं.

चीन में नियुक्ति या नौकरी के विज्ञापन में लैंगिक भेदभाव प्रतिबंधित है. लेकिन इससे जुड़ा कानून बहुत स्पष्ट नहीं है. कानून में इस बात का जिक्र नहीं है कि ऐसे लैंगिक भेदभाव की क्या परिभाषा है. दुरुपयोग रोकने के लिए असरदार ढांचे का भी अभाव है. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक ऐसी कंपनियों की संख्या गिनी चुनी है कि जिनके खिलाफ लैंगिक भेदभाव के मामलों की जांच हुई है. ऐसी शायद ही कोई कंपनी हो, जिस पर जुर्माना लगा हो.

रिपोर्ट: हार्डी ग्रॉपनर/ओएसजे