मलेशिया में प्रतिबंधित फिल्मों में पद्मावत भी
अगर आप अपने सेंसर बोर्ड से परेशान हैं तो मलेशिया के सेंसर बोर्ड की बानगी देखिए. उसने बॉलीवुड फिल्म पद्मावत पर यह कहकर रोक लगा दी कि वह इस्लाम को बुरी रोशनी में दिखाती है. सेंसर की भेंट चढ़ने वाली ये अकेली फिल्म नहीं है.
अमानवीय मुस्लिम राजा?
अपने सख्त रुख को उचित ठहराते हुए मलेशिया के राष्ट्रीय सेंसर बोर्ड ने कहा है कि फिल्म सुल्तान की भूमिका के जरिए इस्लाम की बुरी छवि पेश करती है. गृह मंत्रालय ने कहा है, "उसे ऐसे सुल्तान के रूप में पेश किया गया है जो मगरूर, बेरहम, अमानवीय, कुटिल, बेईमान और इस्लामी शिक्षा को पूरी तरह न मानने वाला है."
भीड़ जुटाने वाले
लोकप्रिय हैं जहां 3.2 करोड़ आबादी वाले देश में 7 फीसदी भारतीय मूल के लोग हैं. सरकार के इस फैसले के बाद बहुत से लोग पद्मावत नहीं देख पाएंगे, लेकिन सेंसर के हत्थे चढ़ने वाली पद्मावत अकेली या पहली फिल्म नहीं है. अधिकारी अक्सर धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनशीलता के नाम पर विदेशी फिल्मों पर कैंची चलाते रहे है.
शिंडलर्स लिस्ट (1993)
मलेशिया के सेंसर बोर्ड की कैंची के शिकार या प्रतिबंधित फिल्मों में शिंडलर्स लिस्ट भी है जिसे एक खास रेस के विशेषाधिकार और खूबियां दिखाने के कारण सजा दी गई. बाद में प्रतिबंध हटा लिया गया लेकिन हिंसा और नग्नता दिखाने वाले सीनों को काटने के बाद उसका डीवीडी संस्करण रिलीज किया गया. डायरेक्टर स्टीवन स्पीलबर्ग को ये कतई रास नहीं आया.
बेब (1995)
शुरू में फिल्म पर इसलिए रोक लगाई गई कि उसका सूअर जैसा दिखने वाला हीरो मुस्लिम बहुमत वाले मलेशिया के लोगों की संवेदनाओं को आदत करता था जिनके लिए सूअर वर्जित हैं. इतना ही नहीं बेब शब्द मलेशिया में सूअर के लिए प्रयुक्त शब्द बाबी के बहुत ही करीब है. बाद में इसे भी डीवीडी संस्करण के लिए मंजूरी मिली.
डेयरडेविल (2003)
सरकारी सेंसर बोर्ड के अधिकारियों को इस फिल्म को अत्यंत हिंसक बताने के अलावा यह कहते हुए भी बताया गया कि यह फिल्म युवा लोगों को दानव जैसे नाम वाले किसी वीर पूजा के लिए प्रोत्साहित कर सकती है.
जूलैंडर (2001)
इस फिल्म में मलेशिया को गरीब और शोषण की जगह बताए जाने के कारण निश्चित तौर पर सेंसर बोर्ड का सर्टिफिकेट न पाने का हकदार माना जा रहा था. बोर्ड को फिल्म का प्लॉट भी पसंद नहीं आया जिसमें बेन स्टिलर के चरित्र जूलैंडर को मलेशिया के प्रधानमंत्री की हत्या के लिए मनाया जाता दिखाया गया है.
ब्रूस ऑलमाइटी (2003)
फिल्म में एक इंसान को भगवान के रूप में दिखाए जाने के भारी विरोध के बाद उस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. बाद में इसे डीवीडी संस्करण के लिए पास कर दिया गया. फिल्म के अगले भाग इवान ऑलमाइटी भी विवादों में रही क्योंकि उसमें बाइबिल की कहानी के बाढ़ और प्रोफेट नोआह पर कटाक्ष किए गए थे.
पैशन ऑफ द क्राइस्ट (2004)
इस फिल्म पर पहले धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के कारण प्रतिबंध लगाया गया. बाद में यह भी कहा गया कि फिल्म में उन पैगम्बरों को भी पर्दे पर दिखाया गया है जिनका नाम कुरान में है. बाद में डीवीडी रिलीज की अनुमति दी गई लेकिन सिर्फ ईसाई दर्शकों के लिए और प्राइवेट व्यूइंग के लिए.
द वोल्फ ऑफ वाल स्ट्रीट (2013)
सेक्स, ड्रग और 504 बार अभद्र शब्द का इस्तेमाल वाले इस फिल्म पर प्रतिबंध से ज्यादा हैरानी नहीं होती. इस फिल्म के लिए रेड ग्रेनाइट पिक्चर्स ने पैसा दिया था, जिसके संस्थापकों में मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक के सौतेले बेटे रिजा अजीज भी थे. इस कंपनी के खिलाफ अब 1एमडीबी कांड के सिलसिले में जांच चल रही है.
नोआह (2014)
पैगम्बर के चरित्र को पर्दे पर पेश करना हर किसी के लिए गैर इस्लामी है. यदि पैगम्बर की तस्वीर बनाना गलत है तो फिर फिल्म इससे अलग कैसे है? मलेशिया के सेंसर बोर्ड के प्रमुख ने कहा बताते हैं कि यह इस्लाम में प्रतिबंधित है. 1998 में प्रिंस ऑफ इजिप्ट पर रोक लगाने के लिए भी ऐसी ही दलीलें दी गई थीं.
द डेनिश गर्ल (2015)
मलेशिया में इस फिल्म पर रोक लगाने का कोई कारण नहीं बताया गया, जिसमें लिंग परिवर्तन दिखाया गया है, लेकिन फैसला कतर, ओमान, बहरीन, जॉर्डन, कुवैत और संयुक्त अरब अमीरात जैसे दूसरे मुस्लिम बहुल देशों जैसा ही था. फिल्म की कहानी में कामुकता का बड़ा विरोध हुआ.