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मध्यपूर्व में संकट जस का तस

१२ अक्टूबर २००९

मिस्र के विदेश मंत्री अब्दुल घैत ने कहा है कि फ़लिस्तीनी संगठनों हमास और फ़तह के बीच शांति समझौते को कई हफ़्तों के लिए टाल दिया गया है. मध्यपूर्व के लिए विशेष अमेरिकी दूत मिचेल भी इस्राएल से खाली हाथ लौटे.

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इंतज़ार करना चाहता है हमासतस्वीर: AP

मिस्र के विदेश मंत्री अब्दुल घैत के मुताबिक हमास ने समझौते को स्थगित करने की मांग की है. यह मुद्दा तब सामने आया जब संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद ने एक रिपोर्ट में हमास और इस्राएली सेना के युद्ध अपराधों का खुलासा किया. इस रिपोर्ट को संयुक्त राष्ट्र महासभा में पेश करने के लिए मतदान हुआ था जिसे फ़लिस्तीनी राष्ट्रपति और फ़तह गुट के नेता महमूद अब्बास ने अपना समर्थन नहीं दिया था. हमास ने मिस्र से कहा है कि जब तक अब्बास इसके लिए माफ़ी नहीं मांगते, तब तक वह समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा.

उधर अमेरिका के विशेष दूत जॉर्ज मिचेल इस्राएल औऱ फ़लिस्तीनी नेताओं से मिलने एक बार फिर मध्यपूर्व के दौरे पर निकले थे लेकिन उनकी बातचीत का अब तक कोई ख़ास नतीजा सामने नहीं आया है. इस्राएल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से मिचेल की मुलाकात के बाद नेतन्याहू के दफ़्तर ने एक बयान जारी किया जिसमें कहा गया है कि इस्राएल शांति वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए दो अधिकारियों को जल्द ही वॉशिंग्टन भेजेगा. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इस बीच कहा है कि विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन उन्हें एक दो सप्ताह में मध्यपूर्व शांति वार्ताओं और मिचेल की कोशिशों के बारे में जानकारी देंगी. अमेरिका की हिदायत के बावजूद नेतन्याहू फ़लिस्तीनी इलाक़ो में इस्राएली बस्तियों के निर्माण को रोक नहीं रहे हैं.

Salam Fayyad an der Mauer in der Westbank
पश्चिम तट में इस्राएली और फ़लिस्तीनी क्षेत्रों को बांटती दीवारतस्वीर: AP

इस बीच इस्राएल ने अल अक़सा मस्जिद परिसर को सारे मुसलमानों के लिए खोल दिया है. दो हफ्ते पहले परिसर में दंगे हुए थे. माना जा रहा था कि इस्राएली बस्तियों में रहने वाले लोग परिसर में पुराने यहूदी मंदिर का दोबारा उद्घघाटन करना चाहते थे. दंगों के दौरान इस्राएली सरकार ने 50 साल की उम्र के ऊपर वाले पुरुषों को अंदर जाने की इजाज़त दी थी जबकि महिलाओं पर ऐसी कोई पाबंदी नहीं लगाई गई. दोबारा यहूदी मंदिर खुलने की आशंका के विरोध में परिसर में लगभग 400 मुसलमानों ने खु़द को बंद कर लिया था. अल अक़सा मस्जिद मुसलमानों के लिए तीसरी सबसे धार्मिक जगह मानी जाती है.

हमास का नियंत्रण ग़ज़ा पट्टी पर है जब कि फ़तह पश्चिम तट के फ़लिस्तीनी इलाक़ों का प्रशासन देखता है. मिस्र इस साल मार्च से दोनों गुटों के बीच समझौता करने की कोशिश में लगा है. माना जा रहा है कि दोनों गुटों के बीच संबंध बेहतर होने से ग़ज़ा पट्टी पर अवरोध को ढीला किया जा सकेगा. समझौता होने से सरहद के फ़लिस्तीनी हिस्से में फलिस्तीनियों और अरब अफ़सरों का ख़ास सुरक्षा बल का गठन मुमकिन हो सकता है. 2007 में हमास ने फ़तह गुट से फ़लिस्तीन का यह हिस्सा छीन कर अपने कब्ज़े में कर लिया था. इसके बाद अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों ने गज़ा पट्टी में राहत और पुनर्निर्माण में मदद देने से मना कर दिया है.

हमास की वजह से फ़लिस्तीन में फ़तह नेता और राष्ट्रपति महमूद अब्बास पर भी सवाल उठने लगे हैं और इस्राएल के सामने फ़लिस्तीन एक संयुक्त रूप से नहीं पेश हो पा रहा है. साथ ही इस्राएली प्रधानमंत्री नेतन्याहू के गठबंधन में कुछ ऐसे लोग शामिल हैं जिनके लिए फ़लिस्तीनी राष्ट्र का ख़याल भी अभिशाप की तरह है. इसके अलावा इस्राएल और फ़लिस्तीन इस बात पर भी एकमत नहीं हो पा रहे हैं कि शांति वार्ताओं को कहां और किस मुद्दे से शुरु किया जाए. हालांकि फ़लिस्तीनी नेता कहते रहे हैं कि इस्राएल बस्तियों का निर्माण रोके तभी कोई बात शुरू होगी.

रिपोर्ट- एजेंसियां/एम गोपालकृष्णन

संपादन- एस जोशी

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