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भेड़ियों से कैसे निपटे जर्मनी

२० अप्रैल २०१८

एक तरफ खुशी है कि वो लौट आए और दूसरी ओर भारी गुस्सा. कई देशों की तरह जर्मनी भी समझ नहीं पा रहा है कि वन्य जीवों और किसानों के बीच टकराव को कैसे रोका जाए.

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Europäischer Wolf
तस्वीर: picture-alliance/prisma

कई दशकों के बाद जर्मनी के जंगलों में भेड़िये लौट रहे हैं. जंगली सूअरों और हिरणों की बेकाबू आबादी को रोकने के लिए भेड़ियों की मौजूदगी बहुत जरूरी है. लेकिन भेड़िये अपने साथ एक सिरदर्द भी लाए हैं. कभी कभार वो किसानों के बाड़े में घुस रहे हैं और भेड़ों और बछड़ों को निशाना बना रहे हैं.

भेड़ियों के चलते वन्य जीव संरक्षक और किसान आमने सामने हैं. विवाद जर्मन संसद बुंडेसटाग तक पहुंच गया है. सांसद और विशेषज्ञ किसानों के मवेशियों की रक्षा करने पर राजी हुए हैं, लेकिन रक्षा कैसे की जाए, यह जवाब फिलहाल नहीं मिला है.

कुछ विशेषज्ञ टकराव की स्थिति में भेड़ियों को गोली मारने की वकालत कर रहे हैं तो कई इसका विरोध कर रहे हैं. जर्मनी की चार अहम राजनीतिक पार्टियों ने इस विवाद को लेकर अपने प्रस्ताव सामने रखे हैं. पर्यावरणवादी ग्रीन पार्टी ने भेड़ियों के लिए नए सुरक्षित इलाके खोजने का प्रस्ताव दिया है. पार्टी का यह भी कहना है कि मवेशियों को बचाने के लिए शेपर्ड कुत्तों की अच्छी ट्रेनिंग होनी चाहिए.

बिजनेस फ्रेंडली पार्टी एफडीपी और दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के मुताबिक इसका हल भेड़ियों को गोली मारने से ही निकल सकता है. लेफ्ट पार्टी नुकसान के आकलन के बाद भेड़ियों के शिकार की अनुमति देने का प्रस्ताव रख चुकी है. फिलहाल भेड़िये संरक्षित वन्य जीवों की सूची में हैं, इसीलिए उनका शिकार प्रतिबंधित है. अब भेड़ियों को संरक्षित वन्यजीवों की सूची से बाहर निकालने पर भी चर्चा हो रही है. चांसलर अंगेला मैर्केल इस मुद्दे को यूरोपीय संघ के सामने उठाने का वादा कर चुकी हैं.

जर्मनी की संघीय प्रकृति संरक्षण एजेंसी के मुताबिक 2017 में देश में करीब 150-160 वयस्क भेड़िये मौजूद थे. संसद की पर्यावरण समिति की ताजा बहस के दौरान भेड़ियों की कुल संख्या करीब 1,000 आंकी गई. नेशनल फॉर्मर्स यूनियन और जर्मन शिकारी संघ के मुताबिक भेड़ियों की इतनी बड़ी संख्या को काबू करने के लिए एक मैनेजमेंट नीति होनी चाहिए.

वोल्फ मॉनिटरिंग एंड रिसर्च सेंटर की इल्का राइनहार्ट के मुताबिक असल समस्या भेड़ियों से नहीं है. इटली, पोलैंड और स्पेन का उदाहरण देते हुए वह कहती हैं कि बचाव की बेहतर रणनीति बनाकर भेड़ियों से मवेशियों की सफलतापूर्वक रक्षा की जा सकती है.

भेड़ पालकों की आवाज उठाते हुए आंद्रेयास शेंक कहते हैं, "भेड़ पालकों की घटती संख्या के लिए भेड़िये जिम्मेदार नहीं है. यह जिम्मेदारी राजनीति और समाज की है." शेंक भेड़िये के हमलों में मारे गए मवेशियों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं. यह रकम साल भर में करीब चार करोड़ यूरो तक जा सकती है.

जर्मनी में भेड़िये सन 2000 में लौटे. कई दशकों तक अंधाधुंध शिकार के चलते भेड़िये जर्मनी से लुप्त हो चुके थे. लेकिन वापसी के 18 साल बाद अब उनकी बड़ी संख्या समस्या बन रही है. 2016 में भेड़ियों ने 1,000 से ज्यादा मवेशियों पर हमला किया. इनमें से कई मारे गए और जो बचे वह बुरी तरह घायल हो गए.

लेकिन भेड़ियों के चलते खेती और बागवानी करने वाले किसानों को राहत जरूर मिली है. भेड़ियों ने जंगली सुअरों और हिरणों की बेतहाशा आबादी पर अंकुश लगाया है. भेड़ियों की वजह से जंगल के कई इलाकों में अब हिरण नहीं जाते. आम तौर पर हिरण नन्हें पेड़ों को चर जाते हैं. पर अब भेड़ियों की वजह से नन्हें पेड़ों को फिर से बढ़ने का मौका मिल रहा है. जंगल में जैव विविधता समृद्ध हो रही है.

ओएसजे/एमजे (डीपीए)