भारतीय वेट लिफ्टरों पर बैन साया
१५ अक्टूबर २००९2002 में मैनचेस्टर में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वालीं शैलेजा पुजारी ने डोप टेस्ट में फंसने के बाद भारतीय वेट लिफ्टिंग संघ के सचिव बलराज गुलाटी पर आरोप लगाए हैं. शैलेजा का आरोप है कि गुलाटी ने नमूनों में हेर फेर की जिसकी वजह से वो डोप टेस्ट में पॉजिटिव पाई गईं.
पुजारी कहती है कि, ''2008 से 2009 तक मैंने 12 बार डोप टेस्ट दिया और एक बार भी पॉजिटिव नहीं आई. इस बार कैसे आ गई.'' ये डोप टेस्ट राष्ट्रीय एंटी डोपिंग एजेंसी ने करवाए हैं. लेकिन इस आरोपों के बीच यह भी सच है कि शैलेजा पर पहले भी बैन लग चुका है.
शैलजा पुजारी और प्रियदर्शिनी के अलावा 56 किलोग्राम श्रेणी में 2006 के मेलबर्न कॉमनवेल्थ खेलों में रजत पदक जीतने वाले विकी बट्टा को प्रतिबंधित दवाओं के सेवन का दोषी पाया गया है. ये जानकारियां देते हुए भारत में वेटलिफ्टिंग फेडरेशन के अधिकारी बलराज गुलाटी ने कहा, "प्रतियोगिता से बाहर ये टेस्ट कुछ ही दिन पहले करवाए गए थे जिनमें शैलेजा और विक्की दोनों को पॉज़िटिव पाया गया."
गुलाटी ने कहा कि "अगर सैंपल बी की इस जांच का नतीजा पॉज़िटिव हुआ तो फिर पुजारी और विक्की बट्टा पर लगा आजीवन प्रतिबंध जारी रहेगा."
लेकिन अब डर इस बात का है कि एक साल में तीन खिलाड़ियों के दोषी पाए जाने के बाद अगर अंतरराष्ट्रीय वेट लिफ्टिंग संघ ने भारत पर एक साल का प्रतिबंध लगा दिया तो अगले साल दिल्ली में होने वाले कॉमनवेल्थ खेलों में कोई भी भारतीय वेट लिफ्टर हिस्सा नहीं ले पाएगा.
इस बीच हैरत में युवा वेट लिफ्टर प्रियदर्शिनी के मामले ने भारतीय वेट लिफ्टिंग संघ को हैरत में डाल दिया है. डोपिंग के ख़िलाफ अंतरराष्ट्रीय संस्था वाडा के अध्यक्ष जॉन फेमी का कहना है कि इस मामले में जागरुकता फैलाना बहुत ज़रूरी है.
रिपोर्ट: नॉरिस प्रीतम
संपादन: ओ सिंह