गोमांस को तुरंत पकड़ेगी भारतीय लैब की ये खोज
११ जुलाई २०१७गोहत्या और गोमांस के सेवन पर भारत के ज्यादातर राज्यों में प्रतिबंध है. कुछ राज्यों में तो गोमांस पर बने कानून को तोड़ने वाले के लिए उम्रकैद तक की सजा का प्रावधान है. महाराष्ट्र की सरकारी फोरेंसिक साइंस लैब के निदेशक केवाई कुलकर्णी ने बताया, "पिछले आठ महीनों से हम बीफ का पता लगाने वाली ऐसी किट बनाने पर काम कर रहे थे. अब अगस्त के महीने में इन्हें महाराष्ट्र और मुंबई पुलिस को वितरित कर दिया जाएगा."
कुलकर्णी ने बताया कि नई किट 'एलिजा मेथड' पर आधारित है. इस तरीके में किट में रंग परिवर्तन से पता जाता है कि किसी सैंपल में मनचाहा पदार्थ मौजूद है. इसके लिए सैंपल को किट में डालना होता है. अगर सैंपल में बोवाइन यानि गोजातीय मांस होगा, तो केवल 30 मिनट के अंदर रंग के बदलने से उसका पता चल जाएगा.
फिलहाल ऐसे किसी सैंपल की लैब में जांच करवाने में पारंपरिक डीएनए मेथड का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें लंबा समय लगने के कारण मवेशियों के मासूम व्यापारियों को भी कई बार तब तक जेल में बंद रखना पड़ता है.
कुलकर्णी ने बताया कि ऐसी एक मोबाइल किट का दाम लगभग 8,000 रूपये होगा. मुंबई में पुलिस के प्रवक्ता से जब समाचार एजेंसी एएफपी ने इस किट के बारे में जानना चाहा तो उन्होंने इसकी पुष्टि करने से इनकार कर दिया कि क्या वे ये किट्स लेने वाले हैं.
भारत के कई हिस्सों से बीते महीनों में गोमांस रखने का शक जता कर स्वघोषित गोरक्षकों ने कई लोगों को निशाना बनाया है. इन हिंसक वारदातों के शिकार ज्यादातर मुसलमान लोग हुए हैं, जिनमें से कई वैध रूप से पशुओं को खरीदने या बेचने ले जा रहे थे. भारत के मांस कारोबार में बहुत बड़ी संख्या में मुसलमान लगे हुए हैं.
हाल ही में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गोरक्षा के नाम पर दूसरों को जान तक से मार डालने वालों की निंदा की है. लेकिन आलोचक कहते हैं कि 2014 में दक्षिणपंथी भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद से ऐसे स्वघोषित गोरक्षकों की हिम्मत बढ़ी है और यह सरकार इंसानों की जान से ज्यादा गायों की जान की चिंता करती है.
भारत के स्थानीय मीडिया में 'बीफ डिटेक्शन किट' की खबर आते ही विपक्षी दल कांग्रेस के सांसद शशि थरूर ने ट्विटर पर टिप्पणी की, "गलत प्राथमिकताओं का भयानक मामला. बीफ की पहचान करने वाली किट्स पर सरकारी संसाधनों को खर्च करने से अधिक महत्वपूर्ण क्या हमारे पास कुछ नहीं बचा है!"
आरपी/एमजे (एएफपी)