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भारतीय फिल्मों पर बैन का विरोध

२८ अगस्त २०१०

पाकिस्तान में फिल्म डिस्ट्रीब्यूटर और कुछ फिल्मकारों ने ईद के दौरान भारतीय फिल्में न दिखाए जाने का विरोध किया है. उनका कहना है कि सरकार की तरफ से लगाए गए इस अस्थायी बैन से पाकिस्तानी फिल्मों का भला नहीं होगा.

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तस्वीर: AP

हाल ही में पाकिस्तान के संस्कृति मंत्री आफताब शाह जिलानी ने घोषणा की कि ईद के दौरान पाकिस्तान में कहीं भी कोई भारतीय फिल्म नहीं दिखाई जाएगी. सरकार ने यह कदम पाकिस्तानी फिल्मों को बढ़ावा देने के मकसद से उठाया है. साल में दो बार आने वाला ईद का त्यौहार फिल्म डिस्ट्रीब्यूटरों और सिनेमा मालिकों के लिए सबसे ज्यादा कमाई करने का वक्त होता है क्योंकि इस मौके पर बहुत से लोग परिवार से साथ सिनेमा में फिल्म देखना पसंद करते हैं.

पाकिस्तानी फिल्म ड्रिस्टीब्यूरों की संस्था के वरिष्ठ अधिकारी नदीम मंडवीवाला कहते हैं कि इस तरह के संरक्षणवादी कदम से पाकिस्तानी सिनेमा का किसी भी तरह भला नहीं हो सकता. उल्टे सिनेमा हॉल्स पर इसका बुरा असर होगा जिनके मालिकों ने पिछले तीन साल में लगभग 40 करोड़ रुपये की रकम लगाकर नए मल्टीप्लेक्स तैयार किए हैं या फिर सिनेमा हॉल्स की मरम्मत कराई है. उनका कहना है, "सरकार के कदम से लाहौर में बनने वाली पंजाबी फिल्मों को संरक्षण मिलेगा. हमने विरोध दर्ज कराया है क्योंकि सरकार सिंध और कराची की अनदेखी कर रही है जहां पंजाबी फिल्में कोई नहीं देखता. तो फिर वहां सिनेमा मालिक क्या करेंगे." यह भी तय नहीं है कि पाकिस्तानी फिल्मकार ईद के मौके पर कितनी फिल्में रिलीज करेंगे.

Plakat zum Film Ram Balram (1980) aus dem Band The Art of Bollywood vom Taschen-Verlag
भारत में शुरू से ही लोकप्रिय रही हैं भारतीय फिल्मेंतस्वीर: Taschen-Verlag

पाकिस्तान में बनने वाली फिल्में भारतीय फिल्मों से हर लिहाज से बहुत ही पीछे हैं. इसलिए पाकिस्तान में भारतीय फिल्में ही ज्यादा पसंद की जाती रही है. सरकार की तरफ से प्रतिबंध के बावजूद उनकी पाइरेटेड कॉपी आसानी से बाजार में मिल जाती हैं. मंडवीवाला कहते हैं, " जब 2001 से 2007 के बीच पूरे पाकिस्तान में 250 सिनेमा बंद पड़े रहे, तब पाकिस्तानी डायरेक्टर और प्रोड्यूसर कहां थे. तब उन्होंने क्या किया."

वहीं लाहौर के फिल्म डायरेक्टर और प्रोड्यूसर इजाज बाजवा भी मानते हैं कि ईद के दौरान भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध लगाना सही नहीं है. वह कहते हैं, "लोगों को अच्छी फिल्में चाहिए, अब भले ही वे कहीं भी बनी हों. वे सिनेमा में अच्छी फिल्में देखने आते हैं. भारतीय फिल्मों पर पाबंदी लगाने से पाकिस्तान फिल्म उद्योग का भला नहीं होगा. वैसे भी यहां अच्छी फिल्में नहीं बन रही हैं." हालांकि बाजवा की पंजाबी फिल्म चन्ना सच्ची मुच्ची ने इस साल के शुरू में बॉक्स ऑफिस पर अच्छा कारोबार किया. वह कहते हैं कि पाकिस्तान फिल्मकारों को भारतीय फिल्मों पर प्रतिबंध की मांग करने के बजाय अच्छी फिल्में बनानी चाहिए.

Szene aus dem Film Kiss the Moon
पाकिस्तान में ही पिछड़ जाती हैं वहां की फिल्मेंतस्वीर: Say Cheese Productions

पाकिस्तानी फिल्म उद्योग से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार ने लाहौर के फिल्मकारों के दबाव में भारतीय फिल्मों पर अस्थायी रूप से बैन लगाया है. भारी भरकम बजट में बनने वाली भारतीय फिल्मों की वजह से पाकिस्तान की कमजोर क्वॉलिटी की फिल्मों को दर्शक नहीं मिलते.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः एन रंजन

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