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भारत से मेलजोल मुमकिनः तालिबान

२८ मार्च २०१०

तालिबान ने कहा है कि भारत से उसका कोई सीधा बैर नहीं है और वह भारत से मेलजोल के बारे में सोच सकता है. हालंकि काबुल में 26 फरवरी को भारतीयों पर हुए हमले को तालिबान ने सही करार दिया है.

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तस्वीर: Abdul Sabooh

एक इंटरव्यू में तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्लाह मुजाहिद ने परस्पर विरोधी बातें कही हैं. उसका दावा है कि तालिबान भारत को अफगानिस्तान ने निकालना नहीं चाहता, लेकिन उस पर हमले राष्ट्रपति हामिद करजई की सरकार और पश्चिमी ताकतों का साथ देने के लिए हुए हैं.

'आउटलुक' पत्रिका को दिए इस इंटरव्यू में तालिबान प्रवक्ता ने कहा, "अगर तालिबान सत्ता में लौटता है तो हम भारत जैसे देशों के साथ सामान्य रिश्ते रखना चाहेंगे. मुमकिन हुआ तो तालिबान और भारत में मेलजोल होगा." उसने कहा कि भारत की भूमिका उन देशों से अलग है जिन्होंने अफगानिस्तान पर कब्जा करने के लिए सेनाएं भेजी हैं. साथ ही जबीउल्लाह मुजाहिद का यह भी कहना है कि भारत अफगान विवाद में तटस्थ नहीं है क्योंकि वह अफगानिस्तान में अमेरिका के नेतृत्व वाली विदेशी सेनाओं की मौजूदगी का समर्थन करता है और हामिद करजई की सरकार को मजबूत बनाने के लिए कदम उठा रहा है.

तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि भारत ने अफगानिस्तान में विदेशी सेनाओं की कार्रवाइयों में आम लोगों की मौत की कभी निंदा नहीं की है. जब उससे 26 फरवरी को काबुल के दो होटलो में भारतीयों पर होने वाले हमले के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि यह हमला तालिबान ने ही कराया था. तालिबान प्रवक्ता के मुताबिक यह हमला इस सूचना के मिलने के बाद कराया गया था कि रॉ के एजेंट वहां बैठक करने जा रहे थे. उसने कहा कि भारत विदेशी ताकतों और हामिद करजई का साथ दे रहा है, इसलिए यह हमला उचित था.

जबीउल्लाह मुजाहिद ने कहा, "भारत और अफगानिस्तान के बीच ऐतिहासिक संबंध रहे हैं. तालिबान का भारत से कोई सीधा विवाद नहीं है. भारतीय सैनिक नैटो सेनाओं का हिस्सा नहीं हैं. उन्होंने अफगानिस्तान पर कब्जा नहीं किया है." तालिबान प्रवक्ता ने कहा कि उसका संगठन "न तो भारत का पक्ष लेता है और न ही पाकिस्तान का, लेकिन वे पड़ोसी पाकिस्तान की अनदेखी नहीं कर सकते. वह एक इस्लामिक देश है. साथ ही जब तालिबान सत्ता में था तो पाकिस्तान ने उससे अच्छे संबंध रखे."

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार