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भारत से मालदीव में सैन्य दखल की मांग

६ फ़रवरी २०१८

मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति ने भारत से सैन्य दखल की मांग की है. देश में राष्ट्रपति ने आपातकाल लगा दिया है और सु्प्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश सहित जजों और नेताओं की गिरफ्तारी हो रही है.

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Maldiven Ausnahmezustand (picture-alliance/AP Photo(M. Sharuhaan)
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo(M. Sharuhaan

विपक्ष के बड़े नेताओं को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मालदीव सरकार ने देश में इमरजेंसी लगा दी. इमरजेंसी की पहली चोट सुप्रीम कोर्ट पर पड़ी. सुरक्षाकर्मी सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हुए और उन्होंने चीफ जस्टिस अब्दुल्ला सईद समेत तीन जजों को गिरफ्तार कर लिया. विपक्ष के शीर्ष नेताओं को भी गिरफ्तार किया गया है.

राष्ट्रपति यामीन अब्दुल गय्यूम ने सोमवार को 15 दिन के लिए देश में आपातकाल लागू करने का एलान किया. हिंद महासागर के द्वीप देश मालदीव में पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया था. अदालत ने देशद्रोह जैसे आरोप झेल रहे विपक्ष के कई नेताओं को रिहा करने का आदेश दिया.

लेकिन इमरजेंसी लागू होते ही मालदीव में कई संवैधानिक अधिकार निलंबित हो चुके हैं. राष्ट्रपति यामीन की सरकार अब किसी की गिरफ्तारी कर सकती है, कहीं भी छापा पड़ सकता है और संपत्ति जब्त की जा सकती है. संसद की स्वतंत्रता भी निलंबित हो चुकी है.

2013 में राष्ट्रपति बनने के बाद से ही यामीन ने मालदीव में कई बदलाव किए. उनकी सरकार पर नागरिक अधिकारों को दबाने के आरोप लगते हैं. जिस विपक्षी नेता ने भी उनका विरोध किया, उसे या तो जेल भेज दिया गया या फिर देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया.

Karte Malediven DEU
भारत और श्रीलंका का पड़ोसी मालदीव

इस बीच विपक्ष के नेता और पूर्व राष्ट्रपति मामून अब्दुल गय्यूम का एक वीडियो सामने आया है. वीडियो में सुरक्षाकर्मी उन्हें ले जाते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. गिरफ्तारी से ठीक पहले मामून अब्दुल गय्यूम ने ट्विटर पर लिखा, "मुझे बचा रहे हैं या गिरफ्तार कर रहे हैं, कुछ नहीं पता." 1978 से 2008 तक मालदीव के राष्ट्रपति रहे मामून अब्दुल गय्यूम के कार्यकाल में ही देश में बहुदलीय लोकतंत्र की शुरुआत हुई.

2008 से 2012 तक देश के राष्ट्रपति रहे मोहम्मद नशीद ने आपातकाल की कड़ी आलोचना की है, "यह फैसला असंवैधानिक और गैरकानूनी है." 2016 से लंदन में निर्वासन में रह रहे नशीद को भी सुप्रीम कोर्ट ने रिहा करने का आदेश दिया था. नशीद ने भारत और अमेरिका से मदद मांगी है. अपनी पार्टी का बयान जारी करते हुए नशीद ने कहा, "राष्ट्रपति (अब्दुल) यामीन ने गैरकानूनी रूप से मार्शल लॉ लगाया है और राज्यसत्ता को दबा दिया है. हमें उन्हें पद से हटाना ही होगा. दुनिया भर की सरकारों, खासकर भारत और अमेरिका से मालदीव के लोगों की यह वाजिब दरख्वास्त है. हम चाहते हैं कि भारत सरकार अपनी सेना के समर्थन के साथ दूत को भेजे और हिरासत में लिए गए जजों और नेताओं को रिहा कराए." नशीद चाहते हैं कि भारत अपनी सेना भी भेजे ताकि भारत का दखल साफ दिखाई पड़े. अब्दुला यामीन के कार्यकाल में मालदीव और चीन के बीच नजदीकी बढ़ी है. भारत इससे चिंतित होता रहा है.

1,000 से ज्यादा द्वीपों वाले मालदीव की आबादी करीब चार लाख है. देश की एक तिहाई आबादी राजधानी माले में रहती है. देश की आय का मुख्य जरिया पर्यटन है. मालदीव में छुट्टियां मनाने आम तौर पर अमीर लोग ही जाते हैं. राजनैतिक संकट की मार टूरिज्म पर भी पड़ेगी. चीन, ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका ने अपने नागरिकों को मालदीव न जाने की सलाह दी है.

संयुक्त राष्ट्र संघ और अमेरिका समेत कई देशों ने मालदीव की सरकार से सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करने को कहा है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने मालदीव के राष्ट्रपति, सेना और पुलिस ने संवैधानिक अधिकारों को मानने को कहा है.

ओएसजे/एमजे (एपी, एएफपी)