भारत सरकार करेगी सुपरबग पर शोध
१३ अप्रैल २०११प्रोजेक्ट कोऑर्डिनेटर और निगरानी टीम इलाकों में सुपरबग की मौजूदगी की जांच करेगी. इस डाटा का इस्तेमाल एंटीबायोटिक दवाइयों के विवेकपूर्ण उपयोग में काम आएगा. पहले दौर का शोध केंद्र सरकार के तीन अलग अलग अस्पतालों में किया जाएगा. और इस दौरान अस्पतालों में एंटीबायोटिक के इस्तेमाल पर ध्यान दिया जाएगा. बाद में इस शोध के तहत फार्मेसी, दवाई की दुकानों से भी डाटा इकट्ठा कर के पता लगाया जाएगा कि कितने लोग एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.
अस्पतालों, फार्मेसी, जिले और गांवों में रैंडम सिलेक्शन के आधार पर देखा जाएगा कि कहां किस तरह की एंटीबायोटिक्स इस्तेमाल की जा रही हैं. जिन अस्पतालों में यह शोध शुरू किया जाएगा वे हैं सुचेता कृपलानी अस्पताल, आरएमएल और सफदरजंग अस्पताल.
शोध का पहला दौर तीन महीने में खत्म हो जाएगा लेकिन निगरानी रखी जाएगी. चौथे महीने में डाटा का विश्लेषण किया जाएगा कि एंटीबायोटिक दवाइयों का कैसा और कितना इस्तेमाल किया जा रहा है. साथ ही हर महीने एंटीबायोटिक दवाइयों की पर्ची पर नजर रखी जाएगी.
हैरत की बात यह है कि एंटीबायोटिक के इस्तेमाल के बारे में तो भारत सरकार ने जांच की घोषणा कर दी है लेकिन जिस तरह भारत में जांच होती है उससे कितनी साफ बात सामने आएगी यह पता नहीं. पीने के पानी और नालियों के पानी में सुपरबग एन्जाइम और वायरस मिलने के लानसेट पत्रिका के शोध के बाद भारत सरकार ने पानी की जांच के बजाय एंटीबायोटिक दवाई के इस्तेमाल के बारे में जांच करने का आदेश दिया है, वह भी सिर्फ दिल्ली में.
रिपोर्टः एजेंसियां/आभा एम
संपादनः वी कुमार