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भारत में जेनेटिक बैगन को मंज़ूरी

१४ अक्टूबर २००९

भारतीय अधिकारियों ने जीन संवर्धित बैगन को मंज़ूरी दे दी है. इसके साथ स्थानीय खेतों में पहले ट्रांसजेनिक सब्ज़ी को उगाए जाने का रास्ता साफ़ हो गया है.

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भारतीय बैगनतस्वीर: cc-by-sa-mysticalangel

सरकार द्वारा संचालित जेनेटिक इंजीनियरिंग अप्रूवल कमेटी ने बुधवार को लंबे विवादों में फंसे बीटी बैगन को अंतिम मंज़ूरी दी. टमाटर और पत्ता गोभी भी जेनेटिक संवर्धन की कतार में लगे हैं और उनका फ़ील्ड ट्रायल भी शुरू हो चुका है लेकिन बीटी बैगन की मिली मंज़ूरी के साथ उसकी खेती पर अब खुली छूट होगी.

जेनेटिक इंजीनियरिंग एप्रूवल कमेटी का फ़ैसला एकमत नहीं रहा है. कमेटी के कुछ सदस्यों ने इसका विरोध किया. कमेटी के सदस्य और जाने माने वैज्ञानिक पीएम भार्गव ने मॉलिक्यूलर प्रकृति का मुद्दा उठाया लेकिन अन्य सदस्यों ने उसे खारिज कर दिया.

बैठक में कृषि मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, स्वास्थ्य मंत्रालय और खाद्य मंत्रालय समेत कुछ ग़ैर सरकारी सदस्य भी शामिल थे. अब यह प्रस्ताव मंज़ूरी के लिए पर्यावरण मंत्रालय के पास भेजा जाएगा. पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश का कहना है कि पर्यावरण मंत्रालय की मंज़ूरी के बाद ही बाज़ार में उतारा जाएगा.

राष्ट्रीय खाद्य नियामक संस्था के निदेशक आर. वारियर ने कहा कि कमेटी ने सभी रिपोर्टों और अध्ययन का परीक्षण किया और बीटी बैगन को सुरक्षित तथा पर्यावरण के अनुकूल पाया. बीटी बैगन की खेती में लागत कम आएगी और पैदावार अधिक होगी.

बीज कंपनी मायको ने कमेटी के फ़ैसले का स्वागत किया है. पर्यावरण संस्था और ग़ैर सरकारी संगठन लगातार इसका विरोध करते रहे हैं. देश भर से 40 हज़ार लोगों ने बीटी बैगन की खेती पर रोक लगाने के लिए पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश को पत्र भेजा है.

भारत में सवा पांच लाख हेक्टेयर ज़मीन पर 87 लाख टन बैगन उपजाया जाता है. पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक बैगन की खेती होती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: अशोक कुमार