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भारत में गाड़ियों की बिक्री में 33 फीसदी बढ़ी

९ सितम्बर २०१०

औद्योगिक देशों में मोटर गाड़ियों की बिक्री के आधार पर उपभोक्ता सूचकांक व अर्थजगत की हालत को परखने का एक सिलसिला रहा है. भारत में अगस्त के दौरान गाड़ियों की बिक्री एक साल पहले के मुकाबले तैंतीस फीसदी बढ़ी है.

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तस्वीर: Bilderbox

सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैनुफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अगस्त में निजी गाड़ियों की संख्या एक साल पहले के मुकाबले एक लाख बीस हजार से बढ़कर एक लाख साठ हजार से ऊपर हो चुकी है. यह 33.2 फीसदी वृद्धि के बराबर है. इसी अवधि में ट्रकों और बसों की बिक्री 28 प्रतिशत बढ़ी है. अगस्त में 52 हजार से अधिक ट्रकें और बसें बिकी हैं.

बिक्री में इस वृद्धि का कारण नये मॉडलों की प्रस्तुति को माना जा रहा है. इसके अलावा इस अवधि में औसत वेतन में वृद्धि हुई है और साथ ही मध्यवर्ग को दिए जाने वाले बैंक ऋण की शर्तें आसान रही हैं.

प्रेक्षकों का कहना है कि आनेवाले महीनों में भी गाड़ियों की बिक्री बढ़ती रहेगी. लेकिन वृद्धि की दर थोड़ी घट सकती है, क्योंकि पेट्रोल और डीजल की कीमतें बढ़ रही हैं और ब्याजदर में वृद्धि की वजह से बैंक लोन की शर्तें कुछ मुश्किल होने वाली हैं.

सियाम का कहना है कि चालू वित्तीय वर्ष में कारों की बिक्री में 12-13 फीसदी की वृद्धि होगी. अन्य आकलनों के अनुसार यह वृद्धि 15 फीसदी तक पहुंच सकती है.

भारतीय अर्थव्यवस्था इस समय एशिया में चीन और जापान के बाद तीसरे स्थान पर है. मार्च 2010 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में आर्थिक वृद्धि की दर 7.4 फीसदी रही. चालू वर्ष में कम से कम 8.5 फीसदी आर्थिक वृद्धि की उम्मीद की जा रही है. जहां तक मोटर गाड़ियों के बाजार का सवाल है, तो अगले दस सालों में उसके 20 लाख से बढ़कर 60 लाख हो जाने का अनुमान है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: महेश झा

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