भारत में इस्राएल का टुकड़ा
भारत के पूर्वोत्तर राज्यों मणिपुर और मिजोरम में रहने वाले नेई मेनाशे समुदाय के लोगों का कहना है कि वे इस्राएल से नाता रखते हैं और वहीं लौट जाना चाहते हैं.
नेई मेनाशे लोगों में मिजो, कुकी और चिन समुदाय के लोग शामिल हैं जो तिब्बती-बर्मी भाषा बोलते हैं. समझा जाता है कि उनके पूर्वज करीब सैकड़ों साल पहले यहां आ बसे. 19वीं सदी में उन्होंने ईसाई धर्म अपना लिया.
नेई मेनाशे समुदाय के कई लोग अब एक बार फिर यहूदी धर्म अपना रहे हैं और उनका कहना है कि वे इस्राएल में ही जा कर बसना चाहते हैं. अब तक करीब 2,000 लोग ऐसा कर भी चुके हैं.
2005 में बहुत से लोगों के यहूदी बन जाने के बाद इस्राएल सरकार ने नेई मेनाशे लोगों को वीजा देना रोक दिया. भारत सरकार का भी मानना है कि इतनी बड़ी संख्या में धर्म परिवर्तन से देश की सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.
इस्राएल और भारत दोनों ही धर्म परिवर्तन को शक की निगाह से देख रहे हैं. दोनों ही सरकारों का मानना है कि इसका संबंध उनकी आर्थिक स्थिति से है, जबकि लोगों का दावा है कि वे अपनी पवित्र भूमि लौटना चाहते हैं.
इस बीच भारत और इस्राएल के बीच बंटे परिवारों का भी मिलन हो रहा है. यह नेई मेनाशे परिवार इस साल इस्राएल जाने की तैयारी कर रहा है. इनकी बेटी पहले ही 2007 से वहां रह रही है.
राजनैतिक विवादों का इन लोगों की धार्मिक मान्यताओं पर कोई असर नहीं पड़ा है. मणिपुर की ये महिलाएं हर हफ्ते यहूदी धर्मस्थली सिनागॉग जा कर पूजा करती हैं.
स्थानीय भाषा में अनुदित यहूदियों की धार्मिक किताब पढ़ती एक लड़की.