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भारत पाकिस्तान दोनों का सहयोग कैसे मिलेगा

२३ अगस्त २०१७

अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के बयानों से ठगा महसूस कर रहे पाकिस्तान के लोगों ने बुधवार को अपना गुस्सा जाहिर किया है. पाकिस्तान को खरी खरी सुनाने के साथ ही भारत से दोस्ती बढ़ाने की बात ने उन्हें खासा नाराज किया है.

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Pakistan Afghanistan Grenzschutzbeamter
तस्वीर: Picture alliance/AP Photo/M. Achakzai

अमेरिकी राष्ट्रपति ने नई अफगानिस्तान नीति का एलान करते हुए पाकिस्तान को काफी भला बुरा कहा और यह बात पाकिस्तान के लोगों को काफी नागवार गुजरी है. ट्रंप ने अमेरिका के सहयोगी देश पाकिस्तान पर दोहरी चाल चलने का आरोप लगाया. उनका कहना है कि एक तरफ पाकिस्तान अमेरिका से मदद लेता है और दूसरी तरफ उग्रवादियों को पनाह देता है जो अफगान और नाटो सैनिकों को मारते हैं. ट्रंप ने कहा, "हम पाकिस्तान को अरबों डॉलर की मदद दे रहे हैं और वे उन आतंकवादियों को घर दे रहे हैं, जिनसे हमारी लड़ाई है."

पाकिस्तान के लोगों की क्षेत्रीय नीति में बहुत दखल नहीं है लेकिन वहां होने वाली सीधी या परोक्ष लड़ाइयों में उनके अपनों की जान जाती है, उनके घर जलते हैं. 2007 से अब तक पाकिस्तान में हजारों लोगों की जान आतंकवादियों के हमले में गयी है. ट्रंप के बयान ने लोगों के जख्मों पर नमक छिड़क दिया है. फरहान बशीर ने फेसबुक पर लिखा है, "हम दशक भर से तुम्हारी जंग लड़ रहे है, हमारे कितने ही लोगों की जान गयी, हमारे जवान यहां तक कि हमारे स्कूली बच्चे भी मारे गये. आज तुम अपनी नाकामियों पर पर्दा डालने के लिए ये सब कह रहे हो."

पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में कुछ लोगों का कहना है कि 2001 में अफगानिस्तान पर अमेरिकी हमले में उन्हें शामिल करने के बाद अब उनके देश को बलि का बकरा बनाया जा रहा है. अमीर हमजा कहते हैं, "आज जिन बुरे हालातों का हम सामना कर रहे हैं वो सब इसलिए है क्योंकि हमने अफगानिस्तान में अमेरिका का समर्थन किया. कोई देश जो खुद आतंकवाद से जूझ रहा हो आतंकवादियों को कैसे पनाह दे सकता है?"

Pakistan Tanklastwagen in Karachi
तस्वीर: Imago

पाकिस्तान के उत्तर पश्चिमी शहर पेशावर ने बीते सालों में कई आतंकवादी हमलों की मार झेली है. वहां रहने वाले बैंक कर्मचारी सुहैल अहमद का कहना है कि पाकिस्तानी सैनिकों और पुलिस ने अपना काम किया है और इलाके को आतंकवादियों से खाली करा लिया है. 24 साल के सुहैल ने समाचार एजेंसी एएफपी से कहा, "हम पाकिस्तानी लोग आतंकवाद से पीड़ित थे लेकिन अब आतंकवादी या तो मार दिये गये है या फिर वो पाकिस्तान भाग गये हैं. ताकत तो अमेरिका के पास है वो क्यों नहीं अफगानिस्तान जा कर आतंकवादियों को मारते हैं."

Chaman Pakistanisch-afghanische Grenze geschlossen
तस्वीर: picture alliance/ZUMAPRESS.com

कुछ दूसरे लोगों का कहना है कि पाकिस्तान को अमेरिका को छोड़ चीन के साथ जाना चाहिए जो बुनियादी ढांचे में अरबों डॉलर का निवेश कर रहा है. पेशावर के एक कॉलेज में पढ़ने वाले छात्र शखावत शाह का कहना है, "वो हमेशा दबाव डालते हैं और उसे बढ़ाते जा रहे हैं. हो सकता है कि कुछ लोग अमेरिका के समर्थन में हों लेकिन हमें लगता है कि चीन के करीब जाना चाहिये."

पाकिस्तान के प्रमुख अखबारों के संपादकीय में भी ट्रंप से सावधान रहने को कहा है. अफगानिस्तान में भारत की सक्रियता बढ़ाने के लिए ट्रंप की मांग को भी पाकिस्तान उचित नहीं मानता. कई विश्लेषकों का कहना है कि पाकिस्तान भारत को अपने अस्तित्व के लिए खतरे के रूप में देखता है. डॉन अखबार में कॉलमनिस्ट जाहिद हुसैन ने लिखा है, "पूर्ववर्तियों की तरह ही ट्रंप प्रशासन भी पाकिस्तान से बिना शर्त समर्थन चाहता है लेकिन पाकिस्तान की हितों की अनदेखी करता है. पाकिस्तानी अधिकारियों को लगता है कि ट्रंप प्रशासन ने अफगान रणनीति में भारत को शामिल करने की बात कह के लाल लकीर पार कर ली है."

विश्लेषक रहीमुल्ला युसुफजई कहते हैं, "अमेरिका एक तरफ पाकिस्तान से सहयोग मांगता है और दूसरी तरफ भारत से. पाकिस्तान के लिए यह कैसे मुमकिन है कि वह ऐसे काम में सहयोग करे जिससे भारत मजबूत होता हो."

कुछ दूसरे लोग ये भी कह रहे हैं कि पाकिस्तान को अपनी समस्या से खुद ही निपटना होगा जबकि कुछ लोग ये कह रहे हैं कि ट्रंप प्रशासन और आतंकवादियों से ज्यादा बड़ी समस्याएं पाकिस्तान के सामने हैं, उसे पहले उन्हें देखना चाहिये.

एनआर/आरपी (एएफपी)