1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत जर्मन सहयोग के 50 साल

कुलदीप कुमार,नई दिल्ली २१ अक्टूबर २००८

सोमवार को नई दिल्ली में भारत और जर्मनी के बीच विकास सहयोग की अर्ध-शती मनाने के उद्देश्य से एक समारोह का आयोजन किया गया. इस अवसर पर पी चिदम्बरम ने कहा कि यह दोनों देशों की सरकारों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है

https://p.dw.com/p/FdrP
जर्मन विकास मंत्री भारत मेंतस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत के वित्तमंत्री पी चिदंबरम और जर्मनी की आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्री हाइडेमारी वीक्त्सोरेक-त्सॉइल ने मंत्रोच्चार के बीच दीप प्रज्वलित करके समारोह का उदघाटन किया.

इस अवसर पर बोलते हुए चिदम्बरम ने कहा कि यह दोनों देशों की सरकारों के लिए एक ऐतिहासिक क्षण है और एक ऐसी यशस्वी साझेदारी का प्रमाण है जिसने फलदायक सहयोग के पचास वर्ष पूरे कर लिए हैं.

उन्होंने याद दिलाया कि भारत और जर्मनी के बीच द्विपक्षीय विकास सहयोग वर्ष 1958 में जर्मन सहायता के साथ राउरकेला में इस्पात कारखाना लगाए जाने से शुरू हुआ था. चिदंबरम ने कहा कि तब से अब तक दुनिया बदल चुकी है. पुनर्निर्माण के बाद जर्मनी यूरोप के उत्पादन इंजिन के रूप में वैश्विक महाशक्ति बन कर उभरा है और भारत 1990 के दशक में आर्थिक सुधारों के बाद से लगातार उच्च आर्थिक विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है.

Indien Finanzminister P. Chidambaram
दोनों देशों के लिये ऐतिहासिक क्षण -भारतीय वित्तमंत्री चिदंबरमतस्वीर: AP

चिदंबरम ने वर्तमान वैश्विक वित्तीय संकट और उससे निपटने के लिए भारत द्वारा किए जा रहे प्रयासों की विस्तार से चर्चा की और वैश्विक सहस्राब्दी विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में जर्मन सरकार द्वारा भारत को दिए जा रहे समर्थन के लिए आभार व्यक्त किया. उन्होंने जर्मन मंत्री से कहा कि हम दक्षता के विकास में, जिसे आपके देश में व्यावसायिक प्रशिक्षण के नाम से जाना जाता है, आपका सहयोग चाहते हैं.

जर्मनी की आर्थिक सहयोग एवं विकास मंत्री हाइडेमारी वीक्त्सोरेक-त्सॉइल ने अपने संबोधन में कहा कि दक्षता विकास महत्वपूर्ण है. उन्होंने आश्वासन दिया कि इस पर पूरा ध्यान दिया जायेगा. उन्होंने कहा कि इस समय भारत आर्थिक दृष्टि से ही नहीं, राजनीतिक दृष्टि से भी अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. वीक्त्सोरेक-त्सॉइल ने कहा कि शुरू में हमारे विकास सहयोग का फोकस औद्योगिक विकास और टेक्नोलोजी के हस्तांतरण पर था. लेकिन अब वह गरीबी में कमी, बुनियादी ज़रूरतों को पूरा करना और ग्रामीण विकास पर है.

इस अवसर पर भारत में जर्मनी के राजदूत बर्न्ड म्युत्सेल्बुर्ग ने भी अपने विचार व्यक्त किए और कहा कि हमारे लिए यह गहरे संतोष का विषय है कि इस समय विकास सहयोग के क्षेत्र में भारत केवल पाँच के साथ साझेदारी में हैं और जर्मनी इन पाँच में से एक है.