1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत चाहता है सैनिक रोबोट

१९ जून २०१३

मानव रहित युद्ध की क्षमता हासिल करने के लिए भारत रोबोट सैनिक विकसित करने के प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है. भविष्य की लड़ाइयों में तकनीक के महत्व को समझ भारत भी रोबोट आर्मी तैयार करने वाले देशों की राह पर चल पड़ा है.

https://p.dw.com/p/18snt
तस्वीर: Reuters

भारत का प्रतिरक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) एक ऐसे रोबोट आर्मी को तैयार करने में जुटा है जिसमे शामिल प्रत्येक रोबोट की बुद्धि का स्तर काफी ऊंचा हो. इस प्रोजेक्ट में लगे वैज्ञानिकों की कोशिश है कि इन रोबोटों को मित्र और शत्रु की पहचान करना आता हो. भारतीय रोबोटिक्स सोसाइटी से जुड़े और आईआईटी दिल्ली के प्रोफेसर शांतनु चौधरी ने डॉयचे वेले को बताया की काम मुश्किल नहीं है लेकिन इसमें थोड़ा समय लग सकता है.

भविष्य में होंगे मानव रहित युद्ध

भारत में अभी तक रक्षा क्षेत्र में रोबोट का इस्तेमाल, उच्च विकिरण वाले इलाकों और बम बेकार करने के लिए ही किया जाता रहा है लेकिन भविष्य में रोबो सैनिक रणभूमि में दुश्मनों को ढेर करते दिख सकते हैं.

रोबोट टेक्नोलॉजी के जानकारों के अनुसार भविष्य में जमीन और हवा दोनों लड़ाइयों में रोबोट का इस्तेमाल किया जायेगा. शांतनु चौधरी ने बताया, "रोबोट सैनिक रातों-रात मानव सैनिकों की जगह नहीं ले पायेंगे. कई चरणों के रिसर्च बाद ही ऐसा रोबोट तैयार हो पायेगा जो किसी मानव सैनिक के काम को सफलतापूर्वक अंजाम दे सके. (हत्यारे रोबोट पर प्रतिबंध लगे)

भारतीय परिस्थितियों में उपयोगी

शुरू में तो रोबोट-मानव सैनिकों की मदद ही करेंगे, लेकिन समय के साथ उनसे कहीं अधिक व्यापक काम लिए जाने लगेंगे डीआरडीओ की योजना है कि रोबोट की सेवाएं जम्मू-कश्मीर जैसे अशांत क्षेत्रों या इसी तरह के हालात वाले क्षेत्रों में ली जाएगी. इससे युद्ध में मानव जीवन की क्षति को काफी कम किया जा सकेगा. भारत के लिहाज से इसे सकारात्मक कदम माना जा रहा है. रोबोटिक्स टेक्नोलॉजी में काम करने वाले और आईआईटी खड़कपुर के प्रोफेसर दिलीप कुमार प्रतिहार का मानना है कि इस कदम का फायदा भारतीय सेना को होगा. अशांत क्षेत्रों में सैनिकों और जवानों की मौत को रोका जा सकेगा.

तकनीकी विकास को मानव बनाम मशीन के आइने से देखने को गलत बतातेहुए प्रो.प्रतिहार ने डॉयचे वेले से कहा, “उच्च क्षमता की बुद्धिमता वाला रोबोट तैयार किया जा सकता है जो सामान्य और पहले से ज्ञात हालात में गलती न करे.” अंजान परिस्थितियों में रोबोटिक भूल हो सकती है, ठीक उसी तरह जैसे मानवीय भूल अकसर होती है.

रोबोट सैनिकों की भूमिका व्यापक होगी

समय के साथ रोबोट आर्मी की भूमिका अधिक व्यापक होती जाएगी. ऐसा भी हो सकता है रोबोट आर्मी देश की सीमाओं की सुरक्षा में भी तैनात कर दिया जाय. इस प्रोजेक्ट को लेकर उत्साहित डीआरडीओ प्रमुख अविनाश चंदर के अनुसार रोबोट सैनिक बहुत जल्द देश की रक्षा करते नजर आ सकते हैं. डीआरडीओ को उम्मीद है कि अगले दस सालों में भारत के पास मशीनी लड़ाकों की एक फौज होगी.

तकनीक के इस दौर में रोबोट सैनिकों की उपयोगिता से किसी को इंकार नहीं हो सकता. हालांकि नैतिकता के सवाल पर कुछ मानवाधिकार संगठन ऐसी तकनीक का विरोध कर रहे हैं जो मनुष्य और मशीन का भेद मिटाती हो. खासतौर पर रोबोट आर्मी का. इन संस्थाओं के विरोध के बावजूद कई विकसित देश रोबोट आर्मी के गठन को अहमियत दे रहे हैं. मानव रहित मशीनी युद्ध के क्षेत्र में अमेरिका, रूस, इस्राएल,चीन और जर्मनी ने बहुत तरक्की की है. रक्षा के क्षेत्र में ब्रिटेन और फ्रांस भी किसी न किसी रूप में रोबोट तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.

रिपोर्टः विश्वरत्न श्रीवास्ताव, मुंबई

संपादनः निखिल रंजन