भारत के कहे पर चलता है अफ़ग़ानिस्तानः मुशर्रफ़
९ नवम्बर २००९अमेरिकी टीवी चैनल सीएनएन के साथ बातचीत में मुशर्रफ़ ने कहा, "अफ़ग़ान ख़ुफ़िया एजेंसियां, अफ़ग़ान राष्ट्रपति, अफ़गान सरकार. उनकी बात मत कीजिए. मुझे पता है कि वे क्या कर रहे हैं. वे जानबूझकर दुनिया को गुमराह कर रहे हैं. वे पाकिस्तान के ख़िलाफ़ बात करते हैं, क्योंकि वे भारतीय ख़ुफ़िया एजेंसियों के प्रभाव में काम कर रहे हैं."
जब मुशर्रफ़ ने पूछा गया कि क्या तालिबान प्रमुख मुल्ला उमर पाकिस्तान के क्वेटा शहर में है तो उन्होंने कहा, "अफ़ग़ानी ख़ुफ़िया एजेंसियां वही कहती हैं, जो भारतीय एजेंसियां उनसे कहलवाती हैं. मैं पहली बार ये बातें नहीं कह रहा हूं. मैंने सब को इन बातों के सबूत दिए हैं. इस बात के दस्तावेज़ मौजूद हैं."
मुशर्रफ़ ने अमेरिका की तरफ़ से लगाए जाने वाले इन आरोपों को ख़ारिज किया कि अब भी पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई के आतंकवादियों से संपर्क हैं. उन्होंने कहा, "आईएसआई उनका समर्थन नहीं करेगी. यह सरकार की नीति नहीं है. यह सेना की भी नीति नहीं है. फिर भी उसकी कुछ पैठ तो है." उन्होंने इसे आईएसआई की ताक़त और प्रभाव बताया. वह कहते हैं, "आपको कुछ तो पैठ रखनी ही पड़ती है ताकि आप उन संगठनों पर असर डाल सकें. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि वे उन्हें समर्थन दे रहे हैं. उनके कुछ संपर्क हैं जिन्हें वह अपने फ़ायदे के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं."
उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान की जनता वहां विदेशी सैनिकों की मौजूदगी के ख़िलाफ़ है लेकिन अब वे वहां हैं तो उन्हें तालिबान और अल क़ायदा के ख़िलाफ़ लड़ाई जीतनी चाहिए. जो भी वहां से हटने की बात करता है, वह उसके नतीजे नहीं जानता. उन्होंने कहा कि अफ़ग़ानिस्तान से विदेशी सैनिकों को हटाने से पहले वहां मौजूद समस्या का हल तलाशना होगा.
रिपोर्टः एजेंसिया/ए कुमार
संपादनः एस गौड़