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भारत के इरुला कबीले का अमेरिका में कमाल

ओंकार सिंह जनौटी
२७ जनवरी २०१७

अमेरिका में अजगर खोजने की प्रतियोगिता में शामिल होने दो भारतीय भी गए. उनके पास सिर्फ डंडा था. उन्हें देखकर लोगों को लगा कि ये क्या कर पाएंगे? लेकिन दोनों ने ऐसा कमाल दिखाया कि आलोचक खिसिया गए.

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Indien Schlangenbeschwörer
तस्वीर: Reuters/A. Abidi

अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा अजगरों से परेशान है. उन्हें पकड़ने के लिए वहां हर साल पायथन चैलेंज भी होता है. प्रतियोगिता में हिस्सा लेने वाले लोगों को अजगरों का पता लगाकर उन्हें पकड़ना होता है. एक महीने की प्रतियोगिता में इस बार 1,000 शिकारियों ने हिस्सा लिया. इनमें फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी की टीम भी है, जिसमें दक्षिण भारत के दो पारंपरिक शिकारी हैं. मासी सदायन और वादिवेल गोपाल, इरुला कबीले के शिकारी हैं.

जनवरी में फ्लोरिडा पहुंचे मासी और वादिवेल ने जब हाथ में सिर्फ लोहे का डंडा लेकर अजगर की खोज शुरू की तो लोग मजाक उड़ाने लगे. कुछ कहने लगे कि "ये भारत में कोबरा पकड़ते होंगे, लेकिन ये भारत नहीं है, इन्हें पता नहीं है कि अजगर क्या चीज होती है." लेकिन मासी और वादिवेल अपने काम में जुटे रहे. मशीनों और खोजी कुत्तों के साथ आए आधुनिक शिकारियों को यकीन ही नहीं था कि वे सफल होंगे.

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बर्मा रीड अजगरों से तंग हुआ फ्लोरिडातस्वीर: picture-alliance/dpa

लेकिन दो हफ्ते बाद सब हैरान हो गए. मासी और वादिवेल ने 14 अजगर पकड़ लिये. इनमें एक तो 16 फुट लंबी मादा भी थी. उसे एक 27 फुट लंबे पाइप से निकाला गया. मादा अजगर के साथ तीन और सांप भी मिले. स्थानीय वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन कमीशन भी मासी और वादिवेल के काम से गदगद है. कमीशन को उम्मीद है कि दो महीने में भारतीय शिकारी कई और अजगर पकड़ लेंगे. कमीशन से उनके साथ दो अनुवादक भी रखे हैं. चार लोगों पर दो महीने का खर्च 68,888 डॉलर आएगा, जो काफी कम है.

बीते दो दशक में फ्लोरिडा में बर्मा रीड प्रजाति के अजगरों की संख्या काफी बढ़ गई है. अजगरों ने एवरग्लेंड्स नैशनल पार्क के ज्यादातर छोटे जानवर चट कर दिये हैं. अजगरों पर काबू पाने के लिए अधिकारियों ने रेडियो टैग, खोजी कुत्तों और जहरीले खाने का भी सहारा लिया लेकिन ज्यादा फर्क नहीं पड़ा.

फ्लोरिडा यूनिवर्सिटी के बायोलॉजिस्ट फ्रांक माजोटी के मुताबिक अजगरों का पक्का इलाज करने के लिये ही इरुला कबीले के शिकारियों को बुलाना पड़ा. बायोलॉजिस्ट को यकीन है कि विकराल हो चुकी इस समस्या को इरुला लोगों की मदद से ही खत्म किया जा सकता है.

दक्षिण भारत के इरुला कबीले के लोग कोबरा पकड़ने के लिए मशहूर हैं. वे कोबरा पकड़कर उनका जहर निकालते हैं. इसी विष से जहर को काटने वाली दवा बनाई जाती है. मशहूर सरीसृप विज्ञानी रोमुलस व्हिटेकर के मुताबिक एक जमाने में दक्षिण भारत में भी अजगर हुआ करते थे, जिन्हें इरुलाओं के पुरखों ने साफ कर दिया. फ्लोरिडा की समस्या के बारे में पुरस्कार विजेता व्हिटेकर कहते हैं, "यह शायद धरती पर किसी घुसपैठिये सरीसृप का सबसे बड़ा हमला है, इसीलिए इस बारे में कुछ करना ही होगा. इरुला लोगों की मदद लेनी होगी."

विशेषज्ञ इरुला लोगों के हुनर से तो वाकिफ हैं लेकिन तकनीक अब भी उनके लिए पहेली बनी हुई है. इरुला कबीले के लोग धीमे धीमे आगे बढ़ते हैं. इस दौरान वे सड़क या पत्तियों को देखने के बजाए सीधे घनी झाड़ियों में घुस जाते हैं. उनका तरीका भले ही रहस्यमयी हो लेकिन जीवविज्ञानी मान रहे हैं कि इरुला लोगों के बिना कई अजगर कभी पकड़ में नहीं आते. अजगर को देखते ही भारतीय शिकारी यह भी बता देते हैं कि वह नर है या मादा और वह इलाके में कब से है.