1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

भारत अमेरिकाः पास पास दूर दूर

८ मई २०१२

अमेरिका ने भारत के सुर में सुर मिलाते हुए पाकिस्तान को आतंकवाद के मसले पर एक और झिड़की दी है. अमेरिकी विदेश मंत्री का कहना है कि पाकिस्तान जितना कर रहा है, काफी नहीं है. हालांकि भारत और अमेरिका में भी मतभेद उभर आए.

https://p.dw.com/p/14rh9
नई दिल्ली में क्लिंटनतस्वीर: Reuters

हिलेरी क्लिंटन जब भारतीय विदेश मंत्री एसएम कृष्णा से मिलीं, तो बात न अमेरिका की हुई, न भारत की. बात हुई दो दूसरे देशों ईरान की और पाकिस्तान की. एक दिन पहले अल कायदा सरगना एमान अल जवाहिरी के पाकिस्तान में छिपे होने की बात कहने वाली क्लिंटन ने पाकिस्तान को आतंकवाद पर ज्यादा कार्रवाई करने की नसीहत दे दी, "पाकिस्तान को यह भरोसा दिलाना होगा उसकी जमीन का इस्तेमाल आतंकवादी लांचिंग पैड की तरह न कर सकें."

उधर,  भारतीय विदेश मंत्री कृष्णा ने एक बार फिर मुंबई हमले की दुहाई देकर क्लिंटन की मौजूदगी का फायदा उठाया और पाकिस्तान को आड़े हाथों ले लिया. कृष्णा का कहना है कि पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ ََ"और कठोर कार्रवाई" करना होगा. मुंबई में 26/11 वाले आतंकवादी हमले में 166 लोग मारे गए थे. इस हमले की साजिश पाकिस्तान में बनी थी.

बीते साल में अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन के मारे जाने के बाद से अमेरिका और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद खराब हुए हैं. फिर भी आतंकवाद के मुद्दे पर दोनों देशों को साथ रहने की मजबूरी है. पाकिस्तान से रिश्तों को बनाए रखने के बावजूद अमेरिका भारत के साथ रिश्ते सुधारने में लगा है. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के बढ़ते दबदबे और चीन पर नकेल कसने के लिए ऐसा करना उसकी मजबूरी भी है. लेकिन जहां बात ईरान की आती है, तो भारत और अमेरिका अलग रास्ते पकड़ लेते हैं.

Hillary Clinton Manmohan Singh Indien USA Delhi
तस्वीर: AP

अमेरिका चाहता है कि भारत ईरान पर दबाव बनाने के लिए उससे तेल का आयात कम करे. भारत अपनी कुल जरूरत का नौ फीसदी तेल ईरान से आयात करता है. अमेरिकी दबाव के तहत कुछ कटौती भी की गई है. हालांकि अमेरिका अभी भी मानता है कि अगर भारत की ओर से तेल आयात में मनभर कटौती नहीं की गई तो प्रतिबंध लगाया जा सकता है.

"हमारा मानना है कि ईरान परमाणु कार्यक्रम के मसले पर तब तक बातचीत के लिए नहीं राजी होगा जब तक उस पर कड़ा दबाव नहीं बनाया जाता," क्लिंटन ने एलान किया. लेकिन कृष्णा का मानना है कि ईरान भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने वाला अहम देश है.

हालांकि भारत यह साफ कर चुका है कि ईरान को परमाणु हथियार बनाने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. अमेरिका सहित पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान अपनी परमाणु नीति की आड़ में एटम बम बना रहा है. इसकी वजह से ईरान पर कई बार पाबंदी लग चुकी है, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हुई है. दूसरी तरफ ईरान का दावा है कि वह सिर्फ अपनी बिजली जरूरतों को पूरा करने के लिए परमाणु कार्यक्रम चला रहा है.

अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध के चलते तेल की कीमत चुकाने में आ रही दिक्कतों के चलते भारत ने तेल की कीमते चुकाने के लिए एक नया तरीका निकाला है. अब भारत तेल की कीमतों का 45 फीसदी हिस्सा भारतीय मुद्रा में अदा किया जाएगा और ईरान उन्हीं पैसों से जरूरत का सामान खरीदेगा.

अमेरिका भारत की ऊर्जा जरूरतों से अनजान नहीं है. क्लिंटन ने यकीन दिलाया है कि उनके देश के विशेषज्ञ तेल का विकल्प खोजने के लिए अगले हफ्ते भारत आएंगे और इस पर काम शुरू करेंगे. लेकिन सवाल यही है कि क्या इससे भारत की जरूरतें पूरी होंगी.

वीडी/एजेए (एपी, एएफपी)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी