1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

ब्रिक्स में रूस की चुप्पी पाकिस्तान की कामयाबी है?

बीनिश जावेद
१९ अक्टूबर २०१६

भारत में उड़ी हमले के बाद अंतरराष्ट्रीय बिरादरी में पाकिस्तान पर अलग थलग पड़ने का खतरा मंडरा रहा था. लेकिन कई जानकारों का मानना है कि गोवा में हुए ब्रिक्स सम्मेलन ने पाकिस्तान को राहत दी है.

https://p.dw.com/p/2RPad
Russland Indien Präsident Wladimir Putin und Premierminister Narendra Modi
तस्वीर: Picture-Alliance/AP Photo/M. Swarup

ब्रिक्स सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के पड़ोस में "दहशतगर्दी का गढ़” मौजूद है. तेजी से तरक्की करने वाली पांच अर्थव्यवस्थाओं ब्राजील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका के नेताओं के इस सम्मेलन में मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि ब्रिक्स को दुनिया भर में आतंकवादियों से संपर्क रखने वाले देश के खिलाफ एकजुट हो जाना चाहिए. फिर भी, ब्रिक्स के साझा घोषणापत्र में पाकिस्तान का कोई जिक्र नहीं है.

भारतीय पत्रकार उमाशंकर ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "भारत को मालूम है कि ब्रिक्स देशों के अपने अलग हित हैं, लेकिन भारत ने अपने हिसाब से पाकिस्तान को घेरने की कोशिश की.” वह कहते हैं कि ब्रिक्स बेशक एक आर्थिक समूह है लेकिन भारत ने इस समिट में यह बताने की कोशिश की है कि आर्थिक तरक्की के लिए जरूरी है कि माहौल आतंकवाद से मुक्त हो.

देखिए दुनिया में कौन बेचता है सबसे ज्यादा हथियार

उमा शंकर ने कहा, "गोवा के घोषणापत्र में जैश ए मोहम्मद, लश्कर ए तैयबा और सीमा पार आतंकवाद का जिक्र नहीं है. इन सब बातों से लगता है कि भारत जिस तरह से घोषणापत्र बनवाना चाहता था वो इसमें कामयाब नहीं हुआ.” सम्मेलन के दौरान भारत के पुराने दोस्त रहे रूस का समर्थन भी उसे नहीं मिला. इसके अलावा भारत की आपत्तियों के बावजूद हाल में ही रूस की सेना ने पाकिस्तानी सेना के साथ साझा सैन्य अभ्यास किया है.

पढ़िए: पाकिस्तान के साथ रूस की दोस्ती बढ़ाएगी मुश्किलें

सोमवार को चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा गया कि चीन हर तरह के आतंकवाद के खिलाफ है और अंतरराष्ट्रीय बिरादरी को आतंकवाद खत्म करने के लिए आपसी सहयोग बढ़ाना चाहिए. चीन ने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ जंग में बहुत कुर्बानियां दी हैं और दुनिया को इनका सम्मान करना चाहिए.

देखिए चीन और रूस के नेताओं के अलावा और कौन हैं दुनिया के ताकवर शख्स

पाकिस्तानी पत्रकार ओवैस तौहीद चीन के इस बयान को पाकिस्तान की कूटनीतिक कामयाबी मानते हैं. उन्होंने डीडब्ल्यू से कहा, "ब्रिक्स सम्मेलन से पहले भारत में जो बातें चल रही थीं, सम्मेलन के दौरान भारत वो हासिल नहीं कर पाया.”

पाकिस्तान के एक पूर्व राजनयिक अली सरवर नकवी भी गोवा ब्रिक्स सम्मेलन को पाकिस्तान के हक में बताते हैं. उनका कहना है, "ब्रिक्स में भारत ने पाकिस्तान की गैर मौजूदगी में उसे जमकर बुरा भला कहा लेकिन वो चीन और रूस जैसी बड़ी ताकतों को पाकिस्तान के खिलाफ बोलने के लिए मजबूर नहीं कर पाया.” नकवी कहते हैं कि दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ सबसे बड़ा अभियान पाकिस्तान में चल रहा और चीन ने अपने बयान में पाकिस्तान की भूमिका को सराहा है.

पाकिस्तानी पत्रकार तौहीद कहते हैं कि पाकिस्तान में भी बहस चल रही है कि नॉन स्टेट एक्टर्स के खिलाफ कार्रवाई की जाए जो एक सकारात्मक बात है, लेकिन भारत की तरफ पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर अलग थलग करना किसी के हित में नहीं है. उन्होंने कहा, "इस समय भारत और पाकिस्तान के बीच सभी दरवाजे बंद हैं. कूटनीतिक और सांस्कृतिक तौर पर दोनों देशों के रिश्ते बिल्कुल थम गए हैं. ये न सिर्फ दोनों देशों का बल्कि इस पूरे क्षेत्र का बहुत बड़ा नुकसान है.”