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ब्रिक्स की बैठक पर उत्तर कोरिया का साया

४ सितम्बर २०१७

उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षणों के साये में चीन के दक्षिणपूर्वी शहर शियामेन में ब्रिक्स नेताओँ की सालाना बैठक शुरू हुई. ब्रिक्स को अप्रासंगिक होने से बचाने की चुनौती के बीच आतंकवाद के खिलाफ सहयोग पर रजामंद हुए देश.

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BRICS Gipfel Putin bei der Plenarsitzung
तस्वीर: picture-alliance/dpa/POOL Reuters/T. Siu

ब्रिक्स देशों के सम्मेलन में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रूस के राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन; ब्राजील के राष्ट्रपति मिशेल टेमर और दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति जैकब जूमा हिस्सा ले रहे हैं.

शियामेन में बातचीत का मूड उत्तर कोरिया के परीक्षणों ने बदल दिया. रविवार को उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन ने एलान किया कि उनके देश ने एक शक्तिशाली हाइड्रोजन बन का परीक्षण किया है. किम उन जोंग का ये भी दावा है कि इस बम को लंबी दूरी के मिसाइल पर फिट किया जा सकता है. इस एलान के बाद दुनिया के देशों के मन में उत्तर कोरिया के लिए पहले से ही मौजूद नाराजगी थोड़ी और बढ़ गयी है.

ब्रिक्स देशों के नेताओँ ने उत्तर कोरिया के परमाणु आकांक्षाओं की निंदा की है. चीन की सरकारी मीडिया ने खबर दी है कि ब्रिक्स देशों की तरफ से सम्मेलन में बयान दिया गया है, "हम कोरियाई प्रायद्वीप में जारी तनाव और लंबे समय से चले आ रहे परमाणु समस्या की कड़ी निंदा कहते हैं और इस बात पर जोर देते हैं कि इस मुद्दे को सभी संबंधित पक्षों को शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत के जरिये हल करना चाहिए."

China | Xiamen bereit sich auf den 9. BRICS summit vor
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS.com

उत्तर कोरिया का ये परीक्षण चीन के लिये भी एक बड़ा झटका है जो लंबे समय से इस अलग थलग देश की सरपरस्ती कर रहा है. चीनी विदेश मंत्रालय ने इस परीक्षण की कड़ी निंदा की है. साल भर के भीतर ये दूसरा मौका है जब उत्तर कोरिया ने अपने हथियार कार्यक्रम से चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को अंतरराष्ट्रीय मंच पर असहज स्थिति में डाला है. इसी साल मई में उत्तर कोरिया ने एक मिसाइल परीक्षण तब किया था जब चीन वैश्विक व्यापार और बुनियादी ढांचे के विकास से जुड़े एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेजबानी कर रहा था.

विश्लेषकों का कहना है कि इस तरह की उकसावे वाली गतिविधियां उत्तर कोरिया चीन पर दबाव बनाने के लिए करता है. उत्तर कोरिया चाहता है कि चीन, अमेरिका को सीधे उत्तर कोरिया के साथ बातचीत करने के लिये रजामंद करे.

ब्रिक्स पहले से ही संगठन के सदस्य देशों में आपसी विवादों का स्थायी हल नहीं ढूंढ पा रहा है. हाल ही में भारत चीन के बीच डोकलाम में हुई तनातनी इसकी एक मिसाल है. दोनों देशों के सैनिक पिछले हफ्ते अपने अपने इलाकों में लौट गये लेकिन शायद यह वापसी सम्मेलन के मद्देनजर ही हुई है. स्थिति तनावपूर्ण है और नरेंद्र मोदी और शी जिनपिंग आंखों आंखों में क्या कहते हैं इस पर विश्लेषकों की नजर बनी रहेगी. 

China | Xiamen bereit sich auf den 9. BRICS summit vor
तस्वीर: picture-alliance/doa/Imaginechina/Zhou Daoxian

इस बीच ब्रिक्स देशों की बैठक में भारतीय विदेश मंत्रालय की सचिव प्रीति सरन ने कहा कि ब्रिक्स के देश, कई आतंकवादी गुटों के मसले पर सहयोग के लिए तैयार हो गये है. ब्रिक्स देशों ने शियामेन घोषणा पत्र को स्वीकार कर लिया है. इसमें पाकिस्तान से अपनी गतिविधियों को संचालित करने वाले कई आतंकवादी संगठन के नाम हैं. अफगानिस्तान में सक्रिय हक्कानी नेटवर्क, लश्कर ए तैयबा, और पूर्वी तुर्किस्तान इस्लाम मूवमेंट भी है. चीन इस संगठन पर अपने देश के उत्तरपूर्वी इलाके में इस्लामी आतंकवाद फैलाने का आरोप लगाता है. अफगानिस्तान में सक्रिय हक्कानी नेटवर्क भी शामिल है. ब्रिक्स के बयान में कहा गया है कि इन गुटों से अंतरराष्ट्रीय कानूनों के मुताबिक लड़ने की कोशिश करेंगे लेकिन इसके साथ ही इस बात पर भी जोर दिया गया है कि स्वतंत्र देशों की संप्रभुता में दखल नहीं देना है. 

दुनिया की एक चौथाई जमीन पर बसे ब्रिक्स देशों में रहने वाली संसार की 40 फीसदी आबादी विश्व की जीडीपी का 22.5 फीसदी पैदा करती है. कोई दशक भर पहले तेजी से विकास कर रहे इन देशों ने अपना संगठन बनाया था ताकि एक समूह के रूप में अपनी चुनौतियों से निबट सकें. शी ने रविवार को इन सवालों का जवाब अपने भाषण में देने की कोशिश की. शी ने कहा, "उभरते बाजारों और विकासशील देशों के विकास को झटका लगा है यह देख कर कुछ लोग यह कह रहे है कि ब्रिक्स देश अपनी चमक खो रहे हैं."

चीन जो आर्थिक विकास का पावरहाउस कहा जाता है बीते कुछ सालों में उसकी रफ्तार धीमी पड़ी है जबकि भारत उभार पर है. रूस के निर्यातक घटती कीमतों से परेशान हैं तो ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका में राजनीतिक संकट ने घर बना रखा है. हालांकि कई अर्थशास्त्री मानते हैं कि ब्रिक्स समझौते ने इसमें शामिल देशों को वैश्विक अर्थव्यवस्था और शासन तंत्र को नया स्वरूप देने में थोड़ी बहुत मदद की है.

एनआर/एमजे(रॉयटर्स)