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ब्राउन ने इराक़ युद्ध को सही क़रार दिया

६ मार्च २०१०

ब्रिटेन के प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन ने इराक़ हमले की जांच कर रहे आयोग को बताया है कि इराक़ युद्ध सही निर्णय था और सैन्य कार्रवाई के लिए वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराए थे. संसदीय चुनाव से कुछ ही हफ़्ते पहले ब्राउन की पेशी.

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वित्तीय मदद दीतस्वीर: AP

चिलकोट आयोग को प्रधानमंत्री ब्राउन ने बताया कि इराक़ ने संयुक्त राष्ट्र प्रस्तावों का उल्लंघन किया जिसके चलते वह इराक़ के ख़िलाफ़ लड़ाई छेड़ने को सही फ़ैसला मानते हैं. ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर की पेशी के बाद प्रधानमंत्री गॉर्डन ब्राउन को ग़वाही के लिए बुलाया गया था. पेशी के दौरान ब्लेयर ने कहा था कि उन्हें इराक़ युद्ध पर कोई पछतावा नहीं है जिसके चलते उनकी काफ़ी आलोचना भी हुई थी. लेकिन गॉर्डन ब्राउन ने शुरुआत में ही ब्रितानी सैनिकों और इराक़ी नागरिकों की मौत पर संवेदना ज़ाहिर की.

Tony Blair vor Untersuchungsausschuss
ब्लेयर की हो चुकी है पेशीतस्वीर: picture-alliance/dpa

ब्राउन ने बताया, "मुझे लगता है कि युद्ध छेड़ने का निर्णय लेना आसान नहीं था. मैं मानता हूं कि हमने सही वजहों से सही फ़ैसले लिए." ब्राउन ने स्पष्ट किया कि इराक़ युद्ध का फ़ैसला लेते समय तत्कालीन प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर ने उन्हें अंधेरे में नहीं रखा था. ब्राउन के मुताबिक़ ख़ुफ़िया विभाग के अधिकारियों के साथ बातचीत के बाद वह भी समझ गए थे कि इराक़ एक ख़तरा है और उससे निपटा जाना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र प्रस्ताव के उल्लंघन को गंभीर मामला मानते हुए ब्राउन ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का मखौल उड़ाने की इजाज़त किसी को नहीं दी जा सकती. उन्हें डर था कि अगर इराक़ के ख़िलाफ़ क़दम नहीं उठाए गए तो दुनिया में ख़तरा बढ़ सकता है. ब्राउन ने यह तो स्वीकार किया कि युद्ध के फ़ैसले के दौरान कई अहम बैठकों का वह हिस्सा नहीं थे लेकिन उन्होंने इसे मतभेद मानने से इनकार कर दिया.

इराक़ युद्ध को सही ठहराने के बावजूद गॉर्डन ब्राउन ने माना कि अहम सबक लिए जाने चाहिए क्योंकि युद्ध के बाद इराक़ में ज़बरदस्त अव्यवस्था फैल गई थी. ब्राउन ने कहा कि उन्हें दुख रहेगा कि वह अमेरिका को पूरी तरह नहीं समझा सके कि पुनर्निर्माण की योजना भी बेहद ज़रूरी थी लेकिन इसकी निजी तौर पर ज़िम्मेदारी नहीं ले सकते. ब्राउन ने कहा कि तत्कालीन सरकार में बहुत से लोग मामले का कूटनीतिक समाधान चाहते थे और उन्हें उम्मीद थी कि विवाद को आपसी बातचीत से निपटा लिया जाएगा.

ब्राउन का कहना है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री टोनी ब्लेयर को आश्वासन दिया था कि युद्ध के लिए धन की कमी नहीं होने दी जाएगी और सैन्य उपकरणों की ख़रीद के अनुरोध को कभी नहीं ठुकराया गया. "मैंने कहा था कि हर मिलिट्री उपकरण की ज़रूरत को पूरा किया जाएगा और ऐसा हुआ भी. मिलिट्री कमांडर ज़रूरत पड़ने पर मुझे अपनी ज़रूरतों से आगाह करते रहे और मुझे याद नहीं पड़ता कि मैंने कभी उन्हें मना किया हो."

गॉर्डन ब्राउन की पेशी के दौरान इमारत के बाहर कुछ प्रदर्शनकारी भी एकत्र हैं जिन्होंने अपने हाथ में ख़ून से सना 8.5 अरब पाउंड का एक चेक ले रखा है. माना जाता है कि ब्रिटेन को इराक़ युद्ध के लिए कुल मिलाकर इतनी ही रक़म ख़र्च करनी पड़ी.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: ए कुमार