ब्रह्मांड को टटोलेगी सबसे बड़ी मशीनी आंख
39 मीटर चौड़ा दर्पणों वाली विशाल दूरबीन चिली में स्थापित की जा रही है. यह धरती की सबसे बड़ी दूरबीन होगी, जो ब्रह्मांड के राज खंगालेगी.
ब्रह्मांड की गहराई में
जल्द ही वैज्ञानिक पृथ्वी की सबसे बड़ी दूरबीन की मदद से ब्रह्मांड की गहराई में झांक सकेंगे. लंबी और मुश्किल प्लानिंग के बाद यूरोपियन सदर्न ऑब्जरवेट्री ने दूरबीन निर्माण का काम शुरू किया है. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक चला तो ईएलटी (एक्सट्रीमली लार्ज टेलिस्कोप) 2024 से काम करने लगेगा.
विशाल लेंस
ईएलटी में 39 मीटर व्यास के पांच विशाल दर्पण लगे हैं. फिलहाल जो सबसे बड़ी दूरबीन है, उसके लेंस का व्यास मात्र 10 मीटर है. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि नई दूरबीन कितनी ताकतवर होगी.
अत्याधुनिक तकनीक
ईएलटी में दो आधुनिक स्पेक्ट्रोग्राफ लगे हैं. एडेप्टिव ऑप्टिक्स टेक्नोलॉजी से लैस दूरबीन वायुमंडल की हलचल को नजरअंदाज करते हुए ब्रह्मांड का नजारा दिखाएगी. इसके दर्पण एक सेकेंड में सैकड़ों बार पोजिशन बदल सकते हैं.
सबसे ज्यादा अचूक
ईएलटी से मिलने वाली तस्वीरें हब्बल टेलिस्कोप के मुकाबले 15 गुना ज्यादा शार्प होंगी. इंसान की आंख के मुकाबले यह 1,000 गुना ज्यादा रोशनी को खीचेंगी. वैज्ञानिकों का दावा है कि ईएलटी की मदद से 400 साल बाद ब्रह्मांड के क्षेत्र में इंसान को क्रांतिकारी जानकारियां मिलेंगी.
पहाड़ की चोटी पर
यूरोपियन सदर्न ऑब्जरवेटरी की इस विशाल दूरबीन को बनाने के लिए 16 देश साथ आए हैं. पहले चरण में ही एक अरब यूरो का खर्च आएगा. दूरबीन की क्षमता को बढ़ाने के लिए इन्हें अटाकामा रेगिस्तान के सेरो आर्माजोनास पहाड़ पर बनाया जा रहा है. दूरबीन समुद्र तल से 3,048 मीटर ऊपर होगी.
जीवन की खोज
धरती के अलावा क्या कहीं और जीवन मौजूद है? सदियों से इंसान इस सवाल का जवाब खोजना चाहता है. सुपर टेलिकोस्प इसका जबाव खोजने में मदद करेगा. यह सौर मंडल के बाहर मौजूद ग्रहों के बारे में भी बारीक जानकारी मुहैया कराएगी.
ब्लैक होल का पीछा
ब्रह्मांड में मौजूद आकाशगंगाएं और उन्हें निगलते ब्लैक होल. ईएलटी के जरिये यह भी पता चलेगा कि आकाशगंगाएं कैसे बनती हैं. ईएलटी की मदद से मिले डाटा को सुपर कंप्यूटर्स पर प्रोसेस करने से ब्लैकहोल और आकाशगंगाओं के भविष्य की गणना भी मुमकिन हो सकेगी.