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बेटों के लिए बहुत जरूरी है बाप

११ अक्टूबर २०१२

बच्चा मां का या बाप का, यह सवाल अकसर मां बाप खुद ही बच्चे से पूछते हैं. बेटियां बाप के करीब होती है और बेटे मां के लेकिन सच्चाई यह भी है कि बेटो को बाप की और बेटियों को मां की जरूरत भी कम नहीं होती.

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तस्वीर: Tanigo/Fotolia

बच्चों के विकास में पिता बड़ी भूमिका निभाते हैं. खासतौर से बेटों को अपने पिता की बहुत जरूरत होती है क्योंकि उनमें किसी के जैसा बनने की चाह होती है. लड़कों की जिंदगी में दूसरे पुरुष हमेशा अहम होते हैं क्योंकि आमतौर पर सारे बच्चे महिलाओं के बीच बड़े होते हैं. सबसे पहले उनकी मां फिर किंडर गार्टेन से लेकर प्राथमिक विद्यालयों तक प्रमुख रूप से महिलाएं ही उनकी टीचर होती हैं. इन वजहों से बच्चे की जिंदगी में पुरुषों की अहमियत बढ़ती चली जाती है. पिता की मौजूदगी लड़कियों के लिए भी बेहद जरूरी है लेकिन लड़कों के लिए उनके पिता आमतौर पर पहले रोल मॉडल होते हैं. खासतौर से जब बच्चे युवावस्था में पहुंचते हैं तब यह बात और ज्यादा अहम हो जाती है.

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तस्वीर: AP

पहले कहा जाता था कि बच्चों की जिंदगी में पिता का महत्व तब बढ़ना शुरू होता है जब वो किशोरावस्था की मुश्किलों से उबर चुके होते हैं. जीवन के पहले हिस्से में बच्चे अपनी मां के बेहद करीब होते हैं. जर्मनी में समाज विज्ञान संस्थान के निदेशक राइनहार्ड विंटर कहते हैं कि अगर पिता ध्यान न दें तो वो अपने बच्चे को नहीं जान पाएंगे इसका असर बहुत दूर तक जा सकता है.

जीवन के पहले साल में बच्चों मे मनोवैज्ञानिक जुड़ाव होता है, इस रिश्ते के बारे में कहा जाता है कि यह बहुत मजबूत अहसासों पर टिका होता है. मनोवैज्ञानिक होल्गर सिमोन्सेंट कहते हैं कि अगर इस उम्र में यह अहसास न पैदा हों तो यह बाद में भी उभर सकते हैं. बच्चा मां और पिता दोनों से जुड़ सकता है अगर वो उसकी शुरूआती उम्र में बच्चे के पास रहें. हालांकि आमतौर पर पिता काम के कारण घर से थोड़ा दूर रहते हैं. कई मामलों में तो उन्हें बच्चे की वजह से भी अपने काम के घंटे बढ़ाने पड़ते हैं क्योंकि परिवार में सदस्य बढ़ने से खर्च बढ़ता है. इसके साथ ही ऐसे वक्त में अकसर मां नौकरी करने की स्थिति में नहीं होती. हालांकि जानकारों का कहना है कि कितना वक्त साथ बिताया गया उससे ज्यादा जरूरी यह है कि साथ में बिता वक्त कैसा था.

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तस्वीर: AP

कम उम्र में बच्चे से जुड़ पाने में नाकाम रहे पिता बाद में भी चाहें तो ऐसा कर सकते हैं. जर्मनी में नेटवर्क ऑफ फादर्स के चेयरमैन हांस जॉर्ज नेल्स कहते हैं, "साझा अनुभव, रीती रिवाज, साथ में बिताए सप्ताहांत और बिना मां की मौजूदगी वाली साझी अभिरुचियां दोनों को करीब लाने का अच्छा आधार बनती हैं." पिता को बच्चे से जुड़ने के लिए सबसे पहले उसकी मां के साथ सहयोग करना होता है. मां के साथ किया गया सहयोग पिताओं को बच्चे से जुड़ने में बहुत मददगार साबित होता है. यह बहुत जरूरी होता है बच्चा जब छोटा होता है तब मां उसका ख्याल रखने में बच्चे के पिता पर भरोसा करे और तब पिता बच्चे के साथ मां से थोड़ा अलग तरह का रिश्ता कायम कर पाते हैं.

बेटियों के साथ बिताया समय भी उतना ही अहम है लेकिन बाप बेटे मिल कर जो काम करते हैं वह उन्हें साथ रखने में ज्यादा असरदार होता है. बेटे के लिए बाप हमेशा रोल मॉडल और प्रतिद्वंद्वी होता है. बच्चा अपने पिता से झूठ मूठ की या खेल खेल में किए मुकाबलों से अपनी ताकत पहचानने लगता है. रिश्ता अगर करीबी हो तो यह और आसानी से होता है. अगर इस तरह का रिश्ता न रहे तो बच्चे अपना रोल मॉडल वीडियो और कंप्यूटर गेम में ढूंढने लगेत हैं और नेल्स के मुताबिक यह खतरनाक हो सकता है.

एनआर/एएम(डीपीए)