"बेकार गई पाकिस्तान की कोशिशें, वॉचलिस्ट में आया नाम"
२३ फ़रवरी २०१८पहले यह खबर आई थी कि पाकिस्तान को तीन महीने की मोहलत मिल गई है. पर अब सूत्रों के हवाले से पता चला है कि पाकिस्तान को इस सूची में डाल दिया गया है. अमेरिका ने बीते कई हफ्तों से फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ के सदस्य देशों के बीच खेमेबाजी कर इस कार्रवाई में सफलता पाई है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स को दो राजनयिकों ने इस खबर की पुष्टि की है.
यह सूची उन देशों की है जिनके बारे में माना जाता है कि वो आतंकवाद के लिए धन को रोकने के पर्याप्त कदम नहीं उठा रहे हैं. इस सूची में डाले जाने से बचने के लिए आखिरी वक्त में पाकिस्तान ने कई कोशिशें की. इनमें विवादित इस्लामी नेताओं से जुड़े समाजसेवी संगठनों पर नियंत्रण करना भी शामिल है. हालांकि उसे इसमें कामयाबी नहीं मिली.
एफएटीएफ की कार्रवाई के बारे में जानकारी रखने वाले एक पाकिस्तानी राजनयिक ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को इसकी जानकारी दी. नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर इस राजनयिक ने बताया, "एक दिन पहले इस बारे में फैसला ले लिया गया. एफएटीएफ के अध्यक्ष इस बारे में अगले एक दो दिनों में पेरिस में घोषणा करेंगे." पाकिस्तान 2015 तक तीन साल तक इस सूची में पहले भी रह चुका है.
इस हफ्ते की शुरुआत में चीन, तुर्की और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) ने पाकिस्तान के खिलाफ अमेरिकी प्रस्ताव का विरोध किया लेकिन गुरुवार की शाम चीन और जीसीसी ने अपना विरोध वापस ले लिया. पाकिस्तान के खिलाफ इस फैसले का आर्थिक असर जून के बाद ही शुरू होगा. पाकिस्तान के पास इस स्थिति का सामना करने की तैयारी के लिए तीन महीने का वक्त मिल जाएगा. पाकिस्तान में इसी साल चुनाव भी होने हैं.
एफएटीएफ के नियमों के मुताबिक सिर्फ एक देश की तरफ से आया प्रस्ताव किसी को सूची में डालने के लिए पर्याप्त नहीं है. इस प्रस्ताव पर अमेरिका को ब्रिटेन, जर्मनी, और फ्रांस का सहयोग मिला. पाकिस्तान के खिलाफ यह कदम उस पर दबाव बनाने की नई अमेरिकी रणनीति का हिस्सा है. अमेरिका पाकिस्तान पर आतंकवादी संगठनों से कथित संबंध खत्म करने के लिए दबाव बना रहा है.
एनआर/एके (रॉयटर्स)