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बिहार में चुनाव पूर्व राजनीतिक दलों की 'पैंतरेबाजी' शुरू

९ फ़रवरी २०१८

बिहार में लोकसभा और प्रांतीय चुनावों से एक साल पहले ही राजनीतिक दलों ने तैयारी शुरू कर दी है. खासकर राष्ट्रीय जनता दल के नेता और पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव के चारा घोटाले में जेल जाने के बाद नए समीकरण बन रहे हैं.

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Indien Sharad Yadav Politiker
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Singh

राजद के नेता जहां अपने पुराने साथियों को फिर से अपनी ओर लाने को लेकर सब्जबाग दिखा रहे हैं, वहीं केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल छोटे दल 'दबाव की राजनीति' के तहत भाजपा को आंखें दिखा रहे हैं. हालांकि राजनीतिक दलों के नेता सीधे कुछ नहीं बोल रहे हैं परंतु सभी बड़े दलों के नेताओं को अचानक छोटे दलों के प्रति 'प्रेम' जग गया है, वे छोटे दलों पर डोरे डालकर चुनावी मैदान के पहले उन्हें आजमा लेना चाह रहे हैं. कई जातीय संगठनों ने भी अपनी ताकत अभी से ही दिखानी शुरू कर दी है.

राजग में शामिल राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (रालोसपा) के शिक्षा के मुद्दे को लेकर मानव कतार कार्यक्रम में राजद के नेताओं के शामिल होने के बाद बिहार में अटकलों का बाजार गर्म हो गया. इस कार्यक्रम में भाग लेने पर राजद के नेता शिवानंद तिवारी ने इतना भर कहा कि यह शिक्षा के विषय को लेकर कार्यक्रम आयोजित था और इसमें भाग लिया. वे  दो दिन बाद बिहार पीपुल्स पार्टी के संस्थापक और पूर्व सांसद आनंद मोहन से मिलने सहरसा जेल भी गए.

राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने भी सांसद और जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव को राजद का ही करीबी बता कर उन पर डोरे डालने की कोशिश की है. यह दीगर बात है कि राजद के नेता तेजस्वी प्रसाद यादव ने पप्पू के राजद में आने की किसी भी संभावना से इंकार किया हैं. पप्पू यादव राजद के की टिकट पर ही पिछला लोकसभा चुनाव जीते थे, और फिर उन्होंने अपनी अलग पार्टी बना ली.

बिहार में सत्तारूढ़ जद (यू) के पार्टी से निकाले गए पूर्व अध्यक्ष शारद यादव ने भी राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद से रांची जेल में मिलकर बिहार की राजनीति को हवा दे दी है. पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के वरिष्ठ नेता वृषिण पटेल भी रांची जेल में लालू प्रसाद से मिलकर बिहार में नए समीकरण के संकेत दे चुके हैं. जद (यू) के नेता और पूर्व विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी ने भी रांची जाकर लालू का हालचाल लिया है. जीतन राम मांझी ने इशारों में अकेले चुनाव लड़ने की बात भी कही है.

कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष पद से डॉ. अशोक चौधरी को हटाए जाने के बाद से जद (यू) के पक्ष में बयानबाजी का सिलसिला थम गया है, लेकिन कांग्रेस विधान पार्षद रामचंद्र भारती मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा आयोजित मानव श्रृंखला कार्यक्रम में शामिल हुए. पार्टी लाइन की परवाह किए बिना वह मुख्यमंत्री की प्रशंसा में जुटे हैं.

ऐसे में जातीय संगठन भी अपनी ताकत दिखाने को आतुर है. निषाद विकास संघ के अध्यक्ष मुकेश सहनी ने 'एससी,एसटी आरक्षण अधिकार सह पदाधिकारी सम्मेलन' में बड़ी संख्या में लोगों को जुटाकर अपनी शक्ति का एहसास कराया है. 'सन ऑफ मल्लाह' के नाम से चर्चित सहनी कहते हैं कि निषादों के आरक्षण के लिए अब संघर्ष तेज करने का समय आ गया है. उन्होंने कहा कि संघ के आन पर उमड़ा निषाद समाज बिहार में सियासी परिवर्तन का संकेत है. सहनी ने लोकसभा चुनाव में प्रांत की सभी 40 सीटों पर चुनाव लड़ने की धमकी दी है.

बिहार की राजनीति के जानकार संतोष सिंह कहते हैं कि बिहार के सभी दलों के लिए अगला लोकसभा और विधानसभा चुनाव महत्वपूर्ण है. ऐसे में ये दल अपने गठबंधन को और मजबूत करना चाह रहे हैं, तो कुछ दल 'दबाव की राजनीति' कर रहे हैं.

मनोज पाठक (आईएएनएस)