बिना पिए क्यों होता है नशा
एक रहस्यमयी मेडिकल कंडीशन जिसमें बिना पिए ही शरीर में आ जाती है शराब. इस दुर्लभ सिंड्रोम से ग्रसित व्यक्ति के खून, सांस और मूत्र के नमूने में मिलता है पियक्कड़ों जितना अल्कोहल.
दुनिया के कुछ दुर्लभ लोगों के पाचन तंत्र के आंत वाले हिस्से में कुछ खास फर्मेंटेशन करने वाले सूक्ष्मजीव रहते हैं. इस स्थिति को ऑटो ब्रूअरी सिंड्रोम कहा जाता है. यह एक ऐसी मेडिकल स्थिति है जिसमें शरीर के भीतर ही फर्मेंटेशन की प्रक्रिया में नशीला रसायन इथेनॉल पैदा होता है.
इसमें होता ये है कि पाचन तंत्र में अधिक मात्रा में यीस्ट इकट्ठे हो जाते हैं. ये यीस्ट भोजन के सामान्य कार्बोहाइड्रेट को अल्कोहल में परिवर्तित कर देते हैं. यानि इस सिंड्रोम वाले व्यक्ति ने भले ही आलू जैसा सामान्य स्टार्च खाया हो, शरीर में जाकर वह अल्कोहल बन जाता है.
आमतौर पर थोड़े यीस्ट सभी इंसानों की आंत में पाए जाते हैं. लेकिन जापानी लोगों की आंत में इनकी मात्रा औसत से ज्यादा पाई जाती है इसलिए उनमें यह सिंड्रोम भी अक्सर पाया जाता है. कई बार किसी संक्रमण के कारण भी ऐसा होता है.
सिंड्रोम से प्रभावित व्यक्ति को शराब पिए लोगों की ही तरह चक्कर आने और सिर में हल्केपन की शिकायत होती है. कई लोगों का पेट फूला लगता है और इसके अलावा थकान, मांसपेशियों में दर्द, सिरदर्द और मानसिक परेशानियां भी होती हैं.
हैंगओवर के लक्षणों के अलावा प्रभावित व्यक्तियों के एक्सिडेंट होने की संभावना भी बढ़ जाती है. कई बार पिज्जा या पास्ता जैसा बहुत ज्यादा कार्बोहाइड्रेट वाला भोजन करने के बाद उनके शरीर में भारी मात्रा में अल्कोहल बन सकता है. जिसके चरम सीमा तक पहुंचने से जान तक जा सकती है.
कई मामलों में डॉक्टर एंटी-फंगल दवाओं से कुछ महिलाओं का इलाज कर पाए हैं. कई बार खाने में कार्बोहाइड्रेट, शुगर, यीस्ट और अल्कोहल से परहेज करके भी अस्थाई आराम पाया गया है. लेकिन अब तक इस सिंड्रोम का कोई उपचार नहीं खोजा जा सका है.