'बातें बंद करो और पेड़ लगाओ'
७ जुलाई २०१०तीन साल पहले म्युनिख के इंटरनेशनल स्कूल के बारह वर्षीय छात्र फेलिक्स फिन्कबाइनर ने एक आंदोलन शुरू किया था 'प्लांट फॉर प्लैनेट'. अपने साथियों के साथ उसने दुनिया भर के छात्रों से अपील की थी कि हर देश में वे कम से कम दस लाख पौधे लगाएं.
12 साल की उम्र में फेलिक्स ने काफी कुछ पा लिया है. संयुक्त राष्ट्र में बच्चों के लिए पर्यावरण दूत फेलिक्स फिन्कबाइनर हर देश में दस लाख पौधे लगाना चाहते हैं. दुनिया भर के नेताओं से उनकी अपील है मुंह बंद करो और पेड़ लगाना शुरू करो. फेलिक्स कहते हैं "तीन साल पहले हमने इस प्रोजेक्ट की शुरुआत की थी. मुझे अपनी कक्षा में पर्यावरण संकट पर एक प्रोजेक्ट बनाना था. जब मैं ये लिख रहा था तो मुझे पता लगा कि कीनिया में एक महिला हैं वांगारी मथाई जिन्होंने तीन करोड़ पौधे लगाए हैं. और अपना प्रोजेक्ट क्लास में प्रस्तुत करते समय मैंने अचानक कहा कि हम दुनिया के हर देश में दस लाख पौधे लगाने का बीड़ा उठाएं."
फेलिक्स स्कूली बच्चों से बात कर रहे हैं ताकि उनके पौधे लगाओ प्रोजेक्ट में ये बच्चे फेलिक्स के साथ आ जाएं. फेलिक्स और उसके साथियों का मानना है कि प्रयास में कभी देर नहीं होती. हर कोई पर्यावरण की बेहतरी के लिए अपने स्तर पर काम कर सकता है. फेलिक्स ठोस शब्दों में कहते हैं, "हम बच्चे ये नहीं पूछते कि इस संकट के लिए कौन जिम्मेदार है. हम एक वैश्विक परिवार की तरह काम करते हैं और दुनिया के हर देश में दस लाख पेड़ लगाना चाहते हैं. हम इतने मासूम भी नहीं कि ये न जानते हों कि सिर्फ पेड़ लगाने से मुश्किल खत्म नहीं होगी लेकिन हर पौधा पर्यावरण के लिए न्याय का एक प्रतीक है. हमारा स्लोगन है. बात करना बंद करो और पौधे लगाओ. सिर्फ पौधे लगाने से भी मुश्किल हल नहीं होगी और सिर्फ बात करने से ग्लेशियरों का पिघलना बंद नहीं होगा या वर्षा वनों का खत्म होना बंद नहीं होगा."
ऐसा ही कुछ मेक्सिको के पर्यावरण मंत्री हुआन, एल्वीरा, क्वेसादा का भी मानना है. "पिछले चार साल से हम मेक्सिको में सौ करोड़ पेड़ लगा रहे हैं. हमें और कोशिशें करने की ज़रूरत है. मुझे खुशी है कि आपने जर्मनी में ये शुरू किया है और दुनिया भर के बच्चों को इसका संदेश भेज रहे हैं."
इस अभियान की भारत को भी बहुत ज़रूरत है. जब जर्मनी के किशोर इस दिशा में इतने ठोस कदम उठा सकते हैं तो भारत में तो आबादी का बड़ा हिस्सा युवाओं का है. क्या वे युवा चाय, कॉफी, सिगरेट और मटरगश्ती के साथ हर महीने एक पौधा नहीं लगा सकते. क्या ऐसा नहीं किया जा सकता कि वेलेन्टाइन्स डे, शादी की वर्षगांठ पर प्यार का इज़हार करते समय, बच्चों के जन्म के समय, या जन्मदिन पर, अपने पुरखों की याद में फूलों को खराब करने की बजाए, कहीं एक पौधा लगाया जाए जो प्यार, याद, स्नेह, उम्र के साथ हर साल बढ़े, फले और फूले...
रिपोर्टः आभा मोंढे
संपादनः एस गौड़