चुनावी दंगल में कारोबार जख्मी
९ जनवरी २०१४ढाका की बाहरी सीमा से लगी बेबीलोन गार्मेंट्स की फैक्ट्री ने आम तौर पर 10 घंटे की होने वाली शिफ्ट को घटा कर आठ घंटे का कर दिया है. ऐसा इसलिए करना पड़ा क्योंकि देश भर में चल रहे हिंसक प्रदर्शनों के कारण कई जगहों पर कपड़ा उत्पादन में रूकावट आई है. बेबीलोन गार्मेंट्स वॉलमार्ट जैसी बड़ी बड़ी कंपनियों को शर्ट, पैंट और कई अन्य तरह के कपड़े उपलब्ध कराती है और देश के सबसे बड़ी कपड़ा फैक्ट्रियों में से एक है. बांग्लादेश के 22 अरब डॉलर के कपड़ा व्यवसाय को पिछले तीन महीनों में काफी नुकसान उठाना पड़ा है. बांग्लादेश के कुल निर्यात का 80 फीसदी हिस्सा कपड़ा उद्योग से ही आता है.
ऑर्डरों में कटौती
बेबीलेन समेत इस काम में लगी और कंपनियों से इस दौरान करीब 50 प्रतिशत ऑर्डर छिन गए हैं. बांग्लादेश गार्मेंट मैनुफैक्चर्रस एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन (बीजीएमईए) के अनुसार पिछले दो दशकों में ऑर्डरों में आई ये सबसे बड़ी गिरावट है. बेबीलोन गार्मेंट्स के सहायक जनरल मैनेजर मुहम्मद सैफुल हक कहते हैं, "आम तौर पर दिसंबर का महीना ऐसा समय होता है जब हमारे पास इतने ऑर्डर होते हैं कि हम और न ले सकें, लेकिन इस साल तो कहानी बिल्कुल ही अलग है."
बेबीलोन के 12 बड़े खरीदारों में से सात या आठ ने ऑर्डर कम कर दिए हैं और बाकी ने ऑर्डर बंद ही कर दिए हैं. इसके अलावा सप्लाई देर से भेजने पर फैक्ट्रियों को जुर्माना भी भरना पड़ रहा है. वॉलमार्ट, एच एंड एम, जारा और भी बहुत सी बड़ी कंपनियों को कपड़े सप्लाई करने वाले मुहम्मदी ग्रुप की मेनेजिंग डायरेक्टर रूबाना हक कहती हैं, "मैंने अभी अभी अपने एक ग्राहक को 12,000 यूरो भरे हैं. हमारा सामान तीन हफ्ते देर से पहुंचा."
पूरी दुनिया में दिखेगा असर
कपड़े के लिए ऑर्डर करीब तीन महीने पहले देने होते हैं. बीजीएमईए के उपाध्यक्ष शाहिदुल्लाह अजीम बताते हैं कि अगर आने वाले हफ्तों में भी हालात नहीं सुधरते हैं तो एक अरब डॉलर तक के ऑर्डर का नुकसान हो सकता है. "इसका असर तुरंत नहीं दिखाई देगा लेकिन तैयार माल को भेजने में होने वाली देर का असर जून के महीने तक विश्व भर के रिटेल बाजारों में दिखने लगेगा."
बांग्लादेश से ज्यादातर कपड़ों का निर्यात अमेरिका और यूरोपीय देशों में होता है. अमेरिकी रिटेलर वॉलमार्ट का कहना है कि उनकी कंपनी 70 से भी ज्यादा देशों से सामान लेती है. इससे वह सप्लाई में आने वाली किसी भी रूकावट के लिए पहले से योजना बना पाते हैं. बाजार विश्लेषण कंपनी बॉस्टन कंसल्टिंग ग्रुप के माइकल सिल्वरस्टाइन बताते हैं कि दुनिया भर के बाजारों में कपड़ों के सप्लायर के तौर पर बांग्लादेश का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है और किसी और के लिए उसकी जगह लेना बहुत मुश्किल है. "बहुत सारे खरीदारों को विश्वास है कि बांग्लादेश कपड़े भेजना नहीं रोकेगा. लेकिन उन्हें लगता है कि इसमें देरी हो सकती है और तब तक कोई वैकल्पिक व्यवस्था करनी पड़ेगी." बीजीएमईए के आंकड़े बताते हैं कि सप्लाई में देरी की आशंका को देखते हुए बहुत से अंतरराष्ट्रीय रिटेलरों ने कपड़ों के ऑर्डर पड़ोसी देश भारत को दे दिए हैं. बाकी के ऑर्डर पाकिस्तान और चीन को मिले हैं.
छोटे कारोबारों को खतरा
ऐसी स्थिति में जबकि बड़ी फैक्ट्रियों की ही आधी से ज्यादा क्षमता इस्तेमाल नहीं हो पा रही है, छोटी फैक्ट्रियों पर तो अस्तित्व का संकट मंडराने लगा है. छोटे निर्माता पूरे कपड़ा कारोबार का करीब एक तिहाई हिस्सा हैं. ढाका में ऐसी ही एक छोटी फैक्ट्री, तुर्जा अपेरल के मालिक काजी बाबुल बताते हैं कि उनके पास 20 जनवरी के बाद कोई ऑर्डर नहीं हैं.
बाबुल कहते हैं कि अगर देश में राजनीतिक स्थिति जल्दी नहीं सुधरती है तो उनको नए ऑर्डर मिलने की कोई उम्मीद भी नहीं है. नौबत यह आ गई है कि उन्हें अपनी फैक्ट्री बंद करनी पड़ सकती है, "राणा प्लाजा के हादसे के बाद सबसे ज्यादा असर छोटे फैक्ट्री मालिकों पर पड़ा है. कोई हमें ऑर्डर नहीं देना चाह रहा है. और अब ऐसी राजनीतिक स्थिति बन गई है जिससे बचा खुचा काम भी छिन गया है." पिछले साल ढाका के राणा प्लाजा के ढह जाने से एक हजार से ज्यादा मजदूरों की मौत हो गई थी.
यहां के बहुत से फैक्ट्री मालिक सांसद हैं और इसलिए लगातार चली आ रही राजनीतिक उथल पुथल के बावजूद इस उद्योग को बचाने की कोशिश दोनों ही दलों ने की है. लेकिन चुनावों के पहले से चल रही हिंसा में 100 से भी ज्यादा जानें चली गईं. बीजीएमईए का कहना है कि हिंसक प्रदर्शनों के दौरान सड़कों पर आवाजाही के प्रभावित होने से ट्रांसपोर्ट की कीमत 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ गई.
आरआर/एमजी(रॉयटर्स)