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हर कोड़े के लिए एक कार्टून

ईशा भाटिया (एएफपी)११ सितम्बर २०१५

सऊदी ब्लॉगर रइफ बदावी को छुड़वाने के लिए एक बार फिर आवाज उठी है. भारत में भी असीम त्रिवेदी बदावी के हक में कार्टून बनाते रहे हैं. एक नजर उनकी कलम के कमाल पर.

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Blogger Raif Badawi
तस्वीर: picture-alliance/empics

फ्रांस स्थित गैर सरकारी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने सऊदी अरब से अपील की है कि एक साल से कैद में रखे गए पत्रकार और ब्लॉगर रइफ बदावी को रिहा किया जाए. इस्लाम के खिलाफ लिखने के आरोप में बदावी को 2010 में हिरासत में लिया गया और पिछले साल 1,000 कोड़े और दस साल कैद की सजा सुनाई गयी. 9 जनवरी को बदावी को पहली बार 50 कोड़े मारे गए. इसके बाद बीस हफ्तों तक ऐसा किया जाना था. लेकिन बदावी की सेहत और अंतरराष्ट्रीय दबाव के चलते ऐसा नहीं हुआ.

भारतीय कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने इन 50 कोड़ों का जवाब 50 कार्टूनों के रूप में देने का फैसला किया. इस श्रृंखला में वे अब तक 35 कार्टून बना चुके हैं. त्रिवेदी का कहना है कि बदावी की रिहाई के लिए वे अपनी कला को हथियार के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं.

एक कार्टून में सरकार का प्रतिनिधित्व करता एक सऊदी व्यक्ति कह रहा है कि हमारे यहां आजादी का कोई मसला नहीं है, हम अपने नागरिकों के साथ कुछ भी करने के लिए आजाद हैं. इसी तरह एक अन्य कार्टून में हवाई जहाज में यात्री बैठे हैं और घोषणा सुन रहे हैं, "जल्द ही हम सऊदी अरब में लैंड करेंगे, जो अपने तेल, राजा और कोड़ों के लिए जाना जाता है."

असीम अपने हर कार्टून के साथ बदावी की रिहाई की मांग कर रहे हैं. इससे पहले भी वे अभिव्यक्ति की आजादी के लिए आवाज उठाते रहे हैं. उनका एक कार्टून दिखाता है कि कैसे एक कलम 1,000 कोड़ों के बराबर है.

एक ऐसा भी कार्टून है जिसमें टीचर बच्चे से पूछ रहा है कि जेल क्या होता है और बच्चा जवाब में कहता है, "वह जगह, जहां अपराधियों और ब्लॉगरों को रखा जाता है."

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने भी बदावी की कैद को गलत बताते हुए इसे सऊदी सरकार की मनमानी और अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन बताया है. 31 साल के बदावी के अलावा सात सिटीजन जर्नलिस्ट भी एक साल से कैद में हैं. वर्ल्ड प्रेस फ्रीडम इंडेक्स में सऊदी अरब 180 देशों की सूची में 164वें स्थान पर है.