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बदसूरत लैंडफिल से हरियाली तक

२१ जून २०१४

बदसूरत औद्योगिक बंजर भूमि आधुनिक जीवन की एक सच्चाई है. लेकिन जर्मन प्रकृति चित्रकार पीटर लात्स ऐसा नहीं मानते. उनकी नई योजना तेल अवीव के लैंडफिल साइट को एक विशाल सार्वजनिक ग्रीन स्पेस में तब्दील कर देगी.

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तस्वीर: Ulrike Schleicher, 2014

तेल अवीव गेट के सामने 60 मीटर ऊंचा, सपाट पहाड़ खड़ा है. इसके अंदर हजारों टन कचरा भरा है. दशकों से पूरे इस्राएल से यहां कूड़ा जमा किया जा रहा था. आखिरकार जमीन की क्षमता खत्म हो गई. यहां से निकलने वाली बदबू बर्दाश्त के बाहर हो गई. इसके अलावा सर्दियों में बाढ़ की वजह से यहां के खतरनाक मिश्रण पानी में जाकर मिलने लगे.

इसके बाद हिरया नाम की इस डंपिंग साइट को बंद कर दिया गया. लेकिन कूड़े का पहाड़ अब भी यहां मौजूद है. अब यहां बदबू नहीं है और कचरे का ढेर कायापलट होने के बीच है. यह इलाका एरियल शेरोन प्रकृति पार्क में तब्दील होने वाला है.

जबरदस्त चुनौती

Landschaftsarchitekt Peter Latz
पेटर लात्सतस्वीर: Ulrike Schleicher, 2014

करीब एक दशक पहले, इस्राएल की सरकार ने क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में मदद के लिए एक अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण जारी किया. प्रकृति चित्रकार पीटर लात्स की दृष्टि से जूरी प्रभावित हुई. पठार के ऊपर एक भूमध्य परिदृश्य, पानी के झरने, बगीचों और खेत बनाने की योजना है. इस क्षेत्र में लात्स अग्रणी हैं. वे 1980 से औद्योगिक बंजर भूमि को "नए स्वर्ग" में तब्दील करने के काम में जुटे हुए हैं.

अत्यधिक आबादी वाले क्षेत्र में लोग 800 हेक्टेयर वर्ग जमीन पर संगीत कार्यक्रम या पानी में खेलने या फिर साइकिल चलाने का आनंद ले सकते हैं. इस्राएल के लिए विदेशी प्रजातियां जैसे ताड़, जैतून, शाहबलूत, कैरोब, केशवाश और अजवाइन के पेड़ भी यहां उगाए जाएंगे. प्रकृति धीरे धीरे लैंडफिल की सतह को वापस जीत जाएगी, लेकिन जमीन के अंदर चीजें अलग ढंग से आगे बढ़ेंगी. कूड़ा प्रबंधन पहले भी जबरदस्त चुनौती थी और अब भी है.

प्रोडक्शन से ग्रीन स्पेस

Mülldeponie Hiryia bei Tel Aviv Ariel-Sharon-Park
तेल अवीव का लैंडफिल साइट हिरयातस्वीर: Ariel-Sharon-Park, 2013

प्रोजेक्ट मैनेजर उल्फ ग्लांजर कहते हैं, "पहले तो सभी चीजें मोटी परत से ढकी हुई थी." भूमिगत सीवेज सिस्टम में बहने वाले प्रदूषित पानी को जमा किया जाता है, जिसे बाद में बायोलॉजिकल वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट में शुद्ध किया जाता है. ग्लांजर कहते हैं, "कूड़े के सड़ने के दौरान पैदा होने वाली मीथेन गैस का इस्तेमाल ऊर्जा के तौर पर एक कपड़ा फैक्ट्री करती है." हालांकि अंत में फर्मेंटेशन प्रक्रिया खत्म हो जाएगी.

लात्स का मौजूदा प्रोजेक्ट यूरोप में पहले बने प्रोजेक्ट्स की ही तरह है. पश्चिम जर्मनी के औद्योगिक शहर डूइसबुर्ग में तीन ब्लास्ट फर्नेस वाली आयरन फैक्ट्री को 1994 में पार्क में तब्दील कर दिया गया. 75 वर्षीय लात्स कहते हैं, "यहां लोग आते हैं और प्रोडक्शन से जुड़ी चीजों को देखते हैं, उन्हें इस्तेमाल करने के बारे में कल्पना करते हैं."

लात्स साल 2004 में इटली के तुरिन में इस तरह के परिवर्तन कर चुके हैं. उन्होंने 1980 में बनी पुरानी फिएट और मिशलिन की फैक्ट्रियों को ग्रीन स्पेस बना दिया है. अब पुल और रास्ते लाल धागे की तरह हैं जो पार्क के हरे हृदय की तरफ ले जाते हैं. यहां एक हॉल है जिसमें दीवार नहीं है. पहले यहां रोलिंग मिल हुआ करती थी.

हालांकि सब कुछ स्वर्ग की तरह नहीं है. एरियल शेरोन पार्क से अब भी ट्रक कूड़ा उठाते हैं जहां से उसे अत्यधिक आधुनिक सुविधाओं में रिसाइक्लिंग और छांटने के लिए भेजा जाता है. लात्स के लिए वहां कोई विरोधाभास नहीं है. वे कहते हैं यह केवल प्रकृति और सभ्यता की ज्यादतियों के बीच मेल मिलाप की शुरुआत है.

रिपोर्ट: उलरीके श्लाइषर/एए

संपादन: ईशा भाटिया