बदले नाम
पहाड़ हो या शहर, कुछ जगहों का इतिहास में इतना महत्व होता है कि उसे कई कई नाम मिलते हैं. अक्सर इसलिए नहीं कि आम लोग ऐसा चाहते हैं, बल्कि इसलिए कि सत्तासीन लोग ऐसा चाहते हैं.
बड़े की वापसी
6168 मीटर ऊंचा माउंट मैककिनली अमेरिका का सबसे ऊंचा पहाड़ है. लेकिन वह जहां खड़ा है वहां के लोग उसे डेनाली पुकारते हैं जिसका मतलब बड़ा होता है. अलास्का के आदिवासी सालों से इसके लिए संघर्ष कर रहे थे, अब बराक ओबामा ने उनकी ख्वाहिश पूरी कर दी है.
दैवी मदद
भले ही बहुत से लोग उसे अभी भी बंबई कहते हैं, औपचारिक रूप से भारतीय महानगर अब मुंबई कहलाता है. शहर को नाम हिंदू देवी मुंबा देवी से मिला है. पुर्तगाली और ब्रिटिश उपनिवेश के दौरान उसका नाम बॉम्बे और बाद में बंबई हो गया था, लेकिन 1996 में उसे परंपरागत नाम मिला.
स्मारक शहर
जर्मनी के शहर केमनित्स ने 37 साल तक एक और नाम ढोया है. जीडीआर सरकार के फैसले के बाद 1953 से 1990 तक शहर का नाम कार्ल मार्क्स स्टाट था. मकसद था सेक्सनी के इस मजदूरों के गढ़ को समाजवाद के संस्थापक कार्ल मार्क्स के नाम का खास सम्मान देना.
शहर एक नाम अनेक
बोसपोरस पर स्थित महानगर इस्तांबुल ने इतिहास के अतीत में कई नाम देखे हैं. पहले उसका नाम बायजेंटियोन था, फिर नोवा रोमा. सन 337 में सम्राट कोंस्टांटीन के साम्मान में उनकी मौत के बाद इसका नाम कोंस्टांटिनोपोल रखा गया. 1930 में या नाम बदलकर इस्तांबुल हो गया और अभी भी है.
सत्ता का खेल
जार पीटर प्रथम ने पूर्वी सागर पर स्थित सेंट पीटर्सबर्ग को रूस की राजधानी बना दिया था. 1914 में जर्मनी के खिलाफ युद्ध के दौरान उसका नाम पेत्रोग्राद कर दिया गया. सेंट पीटर्सबर्ग जर्मन लगता था. दस साल बाद इसका नाम बदल कर लेनिनग्राद हो गया. एक हस्ताक्षर अभियान के बाद 1991 में उसे अपना पुराना नाम वापस मिला.
वापस भविष्य में
नामीबिया में बहुत से लोगों को जर्मन औपनिवेशिक अतीत से छुटकारा पाने में मुश्किल हो रही है. खासकर आबादी के यूरोपीय मूल के हिस्से को. लुडेरित्स का नाम बदल कर नामिनुस !Nami‡nûs करने को बहुत से लोग कारोबार के लिए नुकसानदेह मानते हैं. इसे बोलना भी मुश्किल है क्योंकि इसके अंदर क्लिक टोन है.