1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

बदलती बीएसपी, बदलती मायावती

फैसल फरीद
१३ फ़रवरी २०१७

बहुजन समाज पार्टी हमेशा से राजनीतिक विश्लेषकों के लिए बहस का हिस्सा रही है. लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश के चुनाव में बीएसपी मुखिया मायावती और पार्टी के प्रचार के तरीके बदले बदले नजर आते हैं.

https://p.dw.com/p/2XSmH
Uttar Pradesh - Wahlplakat Poster
तस्वीर: Bahujan Samaj Party

1984 में अपनी स्थापना से लेकर आज तक बीएसपी ने बहुत उतार चढाव देखे हैं, जो मूल रूप से बहुजन समाज खासकर दलितों की पार्टी मानी जाती है. उसकी नेता मायावती चार बार उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं. वह उत्तर प्रदेश में पहली गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री रही हैं जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. इस बार फिर वह चुनाव में हैं और सरकार बनाने का दावा कर रही हैं.

आमतौर पर बीएसपी ने अपने काम करने की स्टाइल में कोई परिवर्तन नहीं किया. मायावती के चुनाव लड़ने का अपना तरीका रहा है, विरोधी चाहे कुछ भी करते रहे लेकिन मायावती नहीं बदलीं. अब से पहले कभी उन्होंने हाई-टेक प्रचार पर ध्यान नहीं दिया. कभी सोशल मीडिया पर जोर नहीं दिया, कोई लुभावने गाने नहीं बनवाए, फ़िल्मी कलाकारों से दूरी बनाए रखी. वह अकेले अपनी पार्टी की स्टार प्रचारक रहीं, अकेले रैली करती हैं, खुद सारी मीटिंग्स लेती हैं. लेकिन इस बार मायावती बदल गयी है.

देखिए यूपी चुनाव में महिलाओं का दम

नए अंदाज

कुछ बदलाव 2007 में शुरू हुआ था जब मायावती ने बीएसपी को बहुजन समाज के आगे जा कर सर्व समाज से वोट की अपील करी. उन्होंने पहली बार सवर्ण खासकर ब्राह्मणों को लुभाया. नारा बदला "ब्राह्मण शंख बजाएगा, हाथी दिल्ली जायेगा" प्रचलित हुआ. लोगो ने इसे सोशल इंजीनियरिंग का नाम दिया. मायावती चुनाव जीतीं और मुख्यमंत्री बनीं लेकिन यही सोशल इंजीनियरिंग 2012 के विधानसभा चुनाव में नहीं चली.

कोई मौका न गंवाने के लिए इस बार मायावती ने बहुत बदलाव किये हैं. इस बार उनके सोशल इंजीनियरिंग फॉर्मूले में दलित-मुसलमान का कॉम्बिनेशन हैं. मायावती ने लगभग 100 टिकट मुसलमानों को दिए हैं. हर मुस्लिम मुद्दे पर खुल कर बोल रही हैं जैसे ट्रिपल तलाक, अलीगढ मुस्लिम विश्विद्यालय और जामिया मिल्लिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक स्वरूप का मुद्दा इत्यादि.

 

मायावती ने किसी की परवाह न करते हुए बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का अपनी पार्टी में विलय कर लिया और अंसारी परिवार को टिकट भी दिए. लगभग आधा दर्जन मुस्लिम संस्थाएं और मौलाना अब तक बीएसपी के समर्थन का एलान कर चुके हैं जिसमें राष्ट्रीय उलेमा कौंसिल प्रमुख हैं.

मायावती की मुस्कान

इसके अलावा मायावती ने वक्त की नजाकत को समझते हुए पहली बार अपने प्रचार का तरीका बदला हैं. जहाँ पहले उनका प्रचार डॉ. अम्बेडकर, कांशीराम, हाथी निशान और उनकी फोटो के इर्दगिर्द घूमता था, वहीं इस बार के प्रचार में आधुनिकता का तड़का हैं. पहली बार बीएसपी ने अपना चुनावी सॉन्ग तैयार करवाया हैं.

बॉलीवुड के चर्चित गीतकार मनोज मुन्तजिर ने उसे लिखा हैं और आवाज है कैलाश खेर की. गाने के बोल - आसमानों से भी ऊँचा, अब तो यूपी का शिखर हो, साथ में जब बहनजी का है डर क्या फिकर हो. ये गाना काफी लोकप्रिय हो गया हैं.

Indien Mayawati in Neu-Delhi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/S. Das

नए एड कैंपेन में टैग लाइन भी इस बार बिलकुल अलग हैं. बेटियों को मुस्कुराने दो, बहनजी को आने दो. भाईचारा बढाने दो, बहनजी को आने दो. गाँव खुशहाल बनाने दो, बहनजी को आने दो. सपनो को पंख लगाने दो, बहनजी को आने दो इत्यादि. प्रचार में मायावती के चेहरे के अलावा आम जन मानस हैं. पहले इस सब प्रचार से मायावती दूर रहती थी. कारण वो बताती थी कि सारा मीडिया मनुवादी है जो उन्हें नहीं दिखाता और उनका वोटर अखबार और टीवी से दूर रहता हैं.

लेकिन हमेशा गंभीर रहने वाली मायावती अब मुस्कुराने लगी हैं. प्रेस कांफ्रेंस में अपना लिखित बयान पढने के बाद कभी न रुकने वाली मायावती अब हंस कर प्रश्नों का जवाब देती हैं. पत्रकारों के लिए बढ़िया भोजन का इन्तजाम रहता हैं. यहाँ तक मंगलवार को भी बढ़िया नॉन-वेज खाना मिलता है. सख्त छवि वाली मायावती अब सहज बन गयी हैं.

सितारों की चमक

फिल्मी सितारों से हमेशा दूर रही मायावती की पार्टी में अब बॉलीवुड की सितारे प्रचार में आने लगे हैं. सुनील शेट्टी, महिमा चौधरी (दोनों अलीगढ में) और अनिल कपूर, नाना पाटेकर, अमीषा पटेल (आगरा में) आ चुके हैं. वैसे बीएसपी अब भी इसको उम्मीदवार का अपना व्यक्तिगत कार्यक्रम बता रही है लेकिन इससे पहले किसी पार्टी नेता की बिना सहमति कुछ करने की हिम्मत नहीं होती थी.

देखिए भारत के सबसे धनी एक्टर

इसे आप समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव की जबरदस्त ब्रांडिंग कहे जिसके जवाब में मायावती ने भी लेटेस्ट प्रचार तरीके अपनाये या फिर वक़्त की जरूरत, कि अब बीएसपी भी सोशल मीडिया, फेसबुक पर मौजूद हैं. हालांकि अभी वह किसी पेज को अपना ऑफिसियल नहीं बता रही है. लेकिन फेसबुक और ट्विटर पर उसका प्रचार भी जारी हैं. मॉडर्न टच देते हुए मायावती ने यह सब अपनी छवि से अलग हट कर किया है.

यहीं नहीं अपने प्रचार में भी वह कहती हैं कि इस बार वह स्मारक और पार्क नहीं बनवाएंगी जिसकी वजह से वह सुर्खियों में रहीं. उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में लखनऊ और नोएडा में पत्थर के भव्य स्मारक और पार्क बनवाए थे.

कुल मिलाकर दलितों पर पार्टी का फोकस अब भी है लेकिन हर समाज के नेताओं को आगे लाया जा रहा है और मायावती अब शायद दूसरों की सलाह को महत्व भी देने लगी हैं.