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बदलती जलवायु से स्वास्थ्य को खतरा

१६ सितम्बर २००९

दुनिया में बढ़ता तापमान हर देश के लिए चिंता का विषय है. अब चिकित्सकों ने भी चेतावनी दी है कि समय रहते कारगर कदम नहीं उठाए गए तो लोगों के स्वास्थ्य पर इसका खतरनाक प्रभाव पड़ सकता है.

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चिकित्सकों की चेतावनीतस्वीर: AP

दुनिया भर से 18 पेशेवर चिकित्सकों के एक दल ने ब्रिटिश मेडिकल जरनल में प्रकाशित लेख में चेतावनी देते ह्ए कहा है कि दिसंबर में होने वाली संयुक्त राष्ट्र की नयी पर्यावरण संधि पर यदि सभी देशों की सहमित नहीं हुई तो बढ़ते जलवायु परिवर्तन की वज़ह से वैश्विक स्तर पर लोगों के स्वास्थ्य को खतरा पैदा हो सकता है.

चिकित्सकों से अपील

ब्रिटिश मेडिकल जरनल में इन चिकित्सकों ने अन्य देशों के चिकित्सकों से अपील की है कि वे पर्यावरण के मुद्दे पर आगे आएं क्योंकि अब जलवायु परिवर्तन के ख़तरनाक प्रभावों का लोगों के स्वास्थ्य पर व्यापक असर होगा. उल्लेखनीय है कि विश्व में बढ़ते पर्यावरण प्रदूषण से ग़रीब यानि ऊष्णकटिबंधीय देशों के लोगों के स्वास्थ्य पर सबसे बुरा असर पड़ने की संभावना है.

Ein Albinokind in Abuja in Nigeria Afrika
बढ़ सकते हैं संक्रामक रोगतस्वीर: picture-alliance/ dpa

इस साल की शुरूआत में लंदन के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों ने जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों की समीक्षा की थी. आगामी दिसंबर में कोपनहागन में होने वाले शिखर सम्मेलन में नयी पर्यावरण संधि के तहत क्योटो प्रोटोकॉल को हटाने पर सहमति तो हुई है लेकिन प्रारंभिक बात-चीत में ही ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन में कटौती की मात्रा और ग़रीब देशों में पर्यावरण संरक्षण के लिए धन जुटाने में मुशिकलें दिखाई दे रही हैं. यह संधि अंतरराष्ट्रीय संधि है जो सभी देशों के साथ चर्चा के आधार पर बनेगी लेकिन 2012 तक ही चलेगी.

बढ़ सकते हैं संक्रामक रोग

Bangkok, Weltklimarat
जलवायु परिवर्तन से कई मुश्किलेंतस्वीर: AP

जलवायु में बदलाव पर किए गए इस शोध में बताया गया है कि दुनिया में बढ़ते तापमान की वज़ह से कई संक्रामक रोगों के प्रसार में वृद्दि हुई है. इसके अलावा विकासशील देशों में भोजन और साफ़ पेय जल की आपूर्ति में कमी हो रही है. समशीतोष्ण जलवायु वाले देशों में प्रदूषण के कारण बढ़ती गर्मी से मरने वाले लोगों की संख्या भी बढ़ी है.

यह भी एक समस्या है कि इस सदी के उत्तरार्ध तक विश्व में तीन अरब नए निवासियों के होने की संभावना है. अगले दशकों में जलवायु परिवर्तन का घातक प्रभाव इन लोगों के स्वास्थ्य पर भी पड़ सकता है.

Solarenergie in Iran
ऊर्जा संरक्षण ज़रूरी

स्वास्थ्य और चिकित्सा विषयों से संबंधित 18 महाविद्दालयों के निदेशकों के अनुसार वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के इस समय में पर्यावरण के प्रति देशों के राजनीतिज्ञों द्वारा यदि कारगर कदम नहीं उठाए गए तो इसका परिणाम सभी देशों को भुगतना पडेगा.

ऊर्जा संरक्षण भी ज़रूरी

पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण का प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ता है, इसलिए स्वच्छ पर्यावरण का होना सभी के लिए ज़रूरी है. लेकिन यदि बढ़ते हुए पर्यावरण प्रदूषण से जलवायु पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभाव वाली समस्या को दरकिनार करते हुए भी सोचा जाए, तब भी स्वच्छ और प्रदूषणरहित ऊर्जा, वन-संरक्षण, ऊर्जा का सदुपयोग और बचत तथा कृषि के लिए नई तकनीकें इस्तेमाल करना हर लिहाज़ से बेहतर है. ऊर्जा बचत ही ऊर्जा का संरक्षण है. इस तरह बढ़ते प्रदूषण को रोका जा सकेगा. यू. सी. एल. द्वारा प्रकाशित इस समीक्षा में प्रोफेसर मिशेल मॉरमट कहते हैं कि हमारे पास ऐसे कई उपाय हैं जिन्हें अपनाने से न केवल हम ऊर्जा का बेहतर उपयोग कर पाएंगे बल्कि प्रदूषण को भी नियंत्रित कर सकते हैं.

रिपोर्ट: एजेंसियां / सरिता झा

संपादन- राम यादव