बड़े नोटों को बंद करने से रुकेगा अपराध?
१८ फ़रवरी २०१६अगर अमरीका और यूरोप के कीमती नोटों बैंक नोटों को खत्म करने का प्रस्ताव मान लिया जाता है तो नशीली दवाओं के तस्कर और आतंकवादियों को अपने अभियान चलाने में काफी परेशानी हो सकती है. और ऐसा ना भी हुआ तो कम से कम उनके नोट वाले बैगों का वजन जरूर बढ़ जाएगा. चाहे दक्षिण अमेरिका के कोकीन काउबॉयज हों या इस्लामिक स्टेट जैसे कट्टरपंथी संगठनों के जिहादी या इनके अलावा टैक्स का पैसा चोरी कर स्विट्जरलैंड पहुंचाने वाले दुनिया भर के करचोर, अक्सर वे पिट्ठू बैगों या ब्रीफकेस में 100 और 500 यूरो नोटों भरकर ले जाते है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का कहना है कि अगर ये बड़े नोट खत्म कर दिए जाते हैं तो ड्रग डीलरों, हथियारों के सौदागरों, आतंकवादियों और टैक्स चोरों के लिए बिना पकड़े गए बड़ी मात्रा में नकदी को इधर उधर ले जाना बहुत मुश्किल और जोखिम भरा हो जाएगा. इस विचार को काफी समर्थन मिल रहा है. रिपोर्टों के मुताबिक सोमवार को यूरोपीय सेंट्रल बैंक के मुखिया मारियो द्रागी ने कहा है कि इस बात में दम है कि 500 यूरो के नोटों को बंद करके अपराधों से लड़ने में मदद मिल सकती है. अमेरिका के पूर्व वित्तमंत्री लैरी समर्स ने भी प्रमुख केंद्रीय बैंकों से बड़े नोटों की आपूर्ति में कटौती करने की अपील की है.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी का ये अध्ययन स्टेंडर्ड चार्टर्ड बैंक के पूर्व प्रमुख पीटर सैंड्स की अगुवाई में हुआ है. इस अध्ययन में सुझाया गया है कि बैंकिंग तंत्र को 100 अमरीकी डॉलर, 500 यूरो, 1000 के स्विस फ्राँ नोट और 50 ब्रिटिश पाउंड के नोटों के इस्तेमाल से बचने की जरूरत है. लंबे समय से अपराधियों के बीच में सबसे ज्यादा प्रचलित नोट अमरीकी 100 डॉलर के रहे हैं. लगभग 10 खरब के इन नोटों में से तकरीबन दो तिहाई हिस्सा अमरीका से बाहर प्रचलन में है.
लेकिन अपने आकार और ले जाने में आसानी के कारण पिछले समय में 500 यूरो का नोट अब भूमिगत आर्थिक गतिविधियों के लिए अधिक कीमती हो गया है. इस अध्ययन का कहना है कि 500 यूरो के इस नोट को कुछ इलाकों में 'बिन लादेन' के बतौर जाना जा रहा है. अध्ययन के अनुसार, ''अवैध गतिविधियां चलाने वाले लोग इस तरह के नोटों से भुगतान करना पसंद करते हैं. इससे उनके लेन देन का कोई रिकॉर्ड नहीं रहता और साथ ही इन बड़े नोटों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी अपेक्षाकृत आसान होता है.''
अध्ययन ने इस बात का भी जिक्र किया है कि ऊंची कीमतों वाले नोटों का प्रसार बंद करने से वैध व्यापार पर भी कुछ बहुत फर्क जरूर पड़ेगा. लेकिन इन नोटों को हटा देने से, ''उन लोगों के लिए चीजें ज्यादा कठिन हो जाएंगी जो टैक्स चोरी, वित्तीय अपराध, आतंकियों को सहयोग और भ्रष्टाचार'' करते हैं. इससे, ''इन लोगों के व्यापार का मॉडल बिखर जाएगा.''
नकदी को इधर उधर ले जाने की चुनौती काफी अहम है. 500 यूरो के नोटों में, 1 अरब अमरीकी डॉलर का भार केवल 2.2 किलोग्राम होता है, जिसे आसानी से किसी छोटे से बैग में कहीं भी ले जाया जा सकता है. इसी तरह 100 अमरीकी डॉलर के नोटों में इतनी ही रकम का भार 10 किलो के करीब होता है जिसे एक अटैची में आसानी से रखा जा सकता है. लेकिन 20 अमरीकी डॉलर के नोटों में इस रकम का भार 50 किलो हो जाता है और इनके लिए तकरीबन 4 अटैचियों की जरूरत होगी.
मैक्सिको का एक ड्रग तस्कर 2 करोड़ 7 लाख अमरीकी डॉलर के साथ इसलिए पकड़ा गया क्योंकि उसके पास ये रकम 100 अमरीकी डॉलर के नोटों में थी. ये रकम एक पिकप ट्रक को भी ओवरलोड कर देने के लिए काफी है इसलिए अधिकारियों की नजर में आसानी से आ गई.
वहीं जनवरी में अमरीका का एक लड़ाकू विमान इस्लामिक स्टेट के नकदी रखने वाले एक डीपो को तबाह करने में कामयाब हो गया था. इस हमले में आईएस के करोड़ों डॉलर बर्बाद हो गए. ऐसे ही मोसूल की एक इमारत में हुए एक सैन्य हमले के वीडियो में भी दिखाई दे रहा है कि एक धमाके के बाद हवा में ढेरों नोट उड़ते हुए दिखाई दे रहे हैं. हार्वर्ड में हुआ ये अध्ययन तर्क रखता है कि बड़े बैंकनोटों से वैध अर्थव्यवस्था पर थोड़ा ही असर पड़ता है लेकिन इन्हें जारी कर सरकारें अपराधियों को ज्यादा मदद पहुंचा देती हैं.
हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर समर्स अपने एक ब्लॉग में 500 यूरो के नोटों की कीमत को 100 डॉलर की कीमत से 5 गुना ज्यादा बताते हुए कहते हैं कि पहले यूरोपीय देशों को इन नोटों को बंद करने की जरूरत है. लेकिन ऐसा करने से 500 यूरो की जगह 1000 स्विस फ्राँ, 200 यूरो, 100 यूरो और 50 पाउंड के नोट ज्यादा प्रचलित हो जाएंगे. समर्स कहते हैं, ''अकेले यूरोप में इस तरह के उपाय करने के बजाय एक ऐसा वैश्विक समझौता किया जाना चाहिए जिसके तहत 50 डॉलर या 100 डॉलर की कीमत से बड़े नोटों को जारी करने पर रोक लग जाए.''