बजट में महंगाई पर भड़का विपक्ष
२६ फ़रवरी २०१०पेट्रोलियम उत्पादों पर लगने वाले शुल्कों में बदलाव के बजट प्रस्ताव पर लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषणा स्वराज ने कहा, "इस क़दम से डीज़ल और पेट्रोल महंगे होंगे और इससे आम आदमी पर और मार पड़ेगी जो पहले ही महंगाई के बोझ से परेशान है."
इस मुद्दे पर पूरा विपक्ष एक हो गया है. वामपंथी नेता गुरुदास दासगुप्ता, समाजवादी पार्टी मुखिया मुलायम सिंह यादव और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने संसद के सामने एक साझा प्रेस कांफ़्रेंस को संबोधित किया. लालू ने सरकार को निशाना बनाते हुए कहा कि पूरा विपक्ष एक है और जब तक सरकार डीज़ल और पेट्रोल के दाम बढ़ाने के प्रस्ताव को वापस नहीं ले लेती, संसद को नहीं चलने दिया जाएगा. वे "जो सरकार निकम्मी है, वह सरकार बदलनी है" के नारे लगा रहे थे.
स्वराज ने कहा, "हमने बजट का बहिष्कार किया. महंगाई पर चर्चा के बाद ही सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों के दाम बढ़ा दिए हैं. यह जनविरोधी क़दम है."
राष्ट्रीय जनतांत्रिक मोर्चे (एनडीए) के संयोजक और जेडीयू के प्रमुख शरद यादव ने सरकार पर खुला हमले करते हुए महंगाई पर सरकार की तरफ़ कराई गई बहस के औचित्य पर ही सवाल उठाया. उन्होंने कहा, "यह बजट आम आदमी के लिए नहीं है. यह आम लोगों की मुश्किलों को और बढ़ाएगा." सीपीआई के गुरुदास दासगुप्ता ने बजट को "जनविरोधी" बताया. उन्होंने कहा कि बजट के प्रस्तावों के विरोध में सड़कों पर आंदोलन होगा.
पिछली यूपीए सरकार में कांग्रेस की अहम सहयोगी रही राष्ट्रीय जनता दल ने सरकार पर तानाशाही अंदाज़ में काम करने का आरोप लगाया है. पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने कहा, "जब पूरा देश महंगाई से परेशान है, तो उन्होंने पेट्रोलियम उत्पादों, खाद और सीमेंट के दाम बढ़ा दिए हैं. हम लोगों से सरकार के ख़िलाफ़ आंदोलन में शामिल होने की अपील करते हैं." उन्होंने कहा कि देश ने दादा (प्रणव मुखर्जी) और दीदी (ममता बनर्जी) दोनों को देख लिया है और दोनों को सिर्फ़ पश्चिम बंगाल की चिंता है.
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव ने कहा कि प्रणव मुखर्जी ने गुरुवार को ही संसद को महंगाई न बढ़ने का भरोसा दिलाया और अब सरकार दाम बढ़ा रही है. उनके मुताबिक़, "यह मामला दलगत राजनीति से ऊपर है. देश के किसानों और मज़दूरों को मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है."
रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार
संपादनः आभा मोंढे