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फेसबुक के सामने साख का संकट

२१ मार्च २०१८

फेसबुक पर एक क्विज लॉन्च किया गया, उस क्विज ने पांच करोड़ यूजर्स की जानकारी चुराई और फिर लोगों के मनोविज्ञान को निशाना बनाया गया. इसके जरिए अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव में दखलंदाजी का आरोप है.

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Mark Zuckerberg Facebook
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/J. Roberson

दरअसल फेसबुक पर डाटा ली्क करने के गंभीर आरोप लगे हैं. ब्रिटेन की संसदीय समिति ने फेसबुक के संस्थापक मार्क जकरबर्ग पूछा है कि यूजर्स का निजी डाटा कैम्ब्रिज एनालिटिका नाम की कंपनी तक कैसे पहुंचा? जकरबर्ग को लिखे एक पत्र में समिति के चैयरमेन ने पूछा है कि कैसे किसी कंपनी ने डाटा का इस्तेमाल कर लिया? उन्होंने फेसबुक पर समिति को गुमराह करने का आरोप भी लगाया है. वहीं यूरोपीय संसद ने भी जकरबर्ग से डाटा के गलत इस्तेमाल जैसे मामले में पर अपनी सफाई पेश करने के लिए कहा है. यूरोपीय संसद के अध्यक्ष अंतोनियो तजानी ने ट्वीट कर कहा, "हमने जकरबर्ग को यूरोपीय संसद के सामने इस पूरे मामले को स्पष्ट करने के आमंत्रित किया है." उन्होंने कहा कि फेसबुक को यूरोप के 5 करोड़ लोगों के प्रतिनिधियों के सामने यह स्पष्ट करना चाहिए कि निजी डाटा, लोकतांत्रिक नीतियों को प्रभावित करने के लिए इस्तेमाल तो नहीं किया जा रहा है.

क्या है पूरा मामला

कहा जा रहा है कि ब्रिटेन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने फेसबुक के 5 करोड़ यूजर्स का डाटा हासिल किया और फिर इसका इस्तेमाल किया. कैम्ब्रिज एनालिटिका डाटा माइनिंग और डाटा एनालिसिस का काम करती है. यह पूरा मामला यूजर्स के मनोविज्ञान से जुड़ा है. फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया साइट्स पर छोटे-छोटे सवालों वाला एक क्विज डिजाइन किया गया. "दिसइजमाइडिजिटललाइफ" नाम के इस क्विज को कैम्ब्रिज एनालिटिका के लिए काम करने वाले एलेक्जेंडर कॉगन ने डिजाइन किया था. जिसमें यूजर्स से कुछ सवाल पूछे जाते थे.

इन मामूली सवालों में यूजर्स को बताना होता कि वो कौन से पॉकिमॉन हैं? पता किया गया कि वो किन शब्दों का इस्तेमाल सबसे अधिक करते हैं. इसके अलावा क्या उन्हें परेशान करता है, उनका व्यक्तित्व कैसा है, आदि आदि. इस क्विज में तकरीबन 3.20 लाख लोगों ने हिस्सा लिया. फेसबुक पर चलने वाला यह ऐप ने न सिर्फ उन लोगों का डाटा हासिल करने में सक्षम था जो इस क्विज को खेलते थे बल्कि यूजर्स की दोस्तों का डाटा भी उसे मिल जाता था. इस ऐप के जरिए कॉगन के पास अंत में 5 करोड़ यूजर्स का डाटा पहुंच गया.

आमतौर पर ऐसे डाटा का इस्तेमाल कार, कपड़े आदि को बचेने वाली कंपनियां अपने संभावित ग्राहकों की पहचान करने के लिए करती रही हैं. लेकिन कॉगन की कंपनी कैम्ब्रिज एनालिटिका ने इसका इस्तेमाल डॉनल्ड ट्रंप के चुनाव अभियान के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया.

ब्रिटेन के एक चैनल मुताबिक, कैम्ब्रिज एनालिटिका दुनिया के 200 चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों के लिए काम कर चुकी है. यह कंपनी राजनीतिक दलों को चुनावी रणनीतियां बनाने में मदद करती है. इसमें भारत भी शामिल है. एक भारतीय अखबार ने कंपनी की बेवसाइट का हवाला देते हुए कहा है कि इसे साल 2010 के बिहार विधान सभा चुनावों के दौरान भी कॉन्ट्रैक्ट मिला था.   

"बलि का बकरा"

यह पूरा विवाद एलेक्जेंडर कॉगन के आस पास मंडरा रहा है. कॉगन ने बीबीसी को दिए एक इंटरव्यू में कहा, "मुझे बलि का बकरा बनाकर दोनों कंपनियां, फेसबुक और कैम्ब्रिज एनालिटिका बचने की कोशिश कर रहीं हैं. क्योंकि हम वहीं कर रहे थे जो एकदम साधारण बात थी." उन्होंने कहा कि हमें कैम्ब्रिज एनालिटिका ने भरोसा दिया था कि जो कुछ भी हम कर रहे हैं वह पूरी तरह से कानूनी है.  

कैम्ब्रिज एनालिटिका के सीईओ पद से हटाए गए एलेक्जेंडर निक्स ने एक गुप्त वीडियो में कहा था कि उनकी कंपनी ने ट्रंप की जीत में अहम भूमिका निभाई थी. 

कंपनी को नुकसान

इस मामले के सामने आने के दो दिन के भीतर फेसबुक के शेयरों में जोरदार गिरावट आई है. निवेशकों को डर है कि कैम्ब्रिज एनालिटिका के साथ इसके संबंध उजागर होने के बाद बाजार में इसकी छवि प्रभावित होगी. जिसके बाद विज्ञापनदाता इस प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल करने से दूर हो सकते हैं और दुनिया भर की सरकारें फेसबुक पर नियमन कड़े कर सकती हैं.  

डाटा सिक्योरिटी का मामला

फेसबुक के इस पूरे विवाद ने डाटा सिक्योरिटी के मसले को एक बार फिर हवा दे दी है. हालांकि फेसबुक अमेरिका में उपभोक्ता सुरक्षा से जुड़ी नियामक एजेंसी अमेरिकी फेडरल ट्रेड कमीशन की जांच भी झेल रहा है. कमीशन यूजर्स के निजी डाटा के इस्तेमाल को लेकर जांच कर रहा है.

टि्वटर पर #डिलीटफेसबुक

डाटा लीक के मामले में लोगों की नाराजगी फेसबुक के खिलाफ टि्वटर पर साफ नजर आ रही है. टि्वटर पर #डिलीटफेसबुक ट्रेंड कर रहा है. कुछ लोग फेसबुक डिलीट करने की बात भी कर रहे हैं. 

कुछ लोगों ने सवाल उठाया है कि लोग डाटा लीक करने के मामले मे फेसबुक की आलोचना कर रहे हैं, कह रहे हैं कि उस डाटा लीकेज ने लोगों को चुनाव के दौरान प्रभावित किया. लेकिन क्या वाकई लोग इतने बेवकूफ है

कुछ लोगों ने इस तरह डाटा इस्तेमाल को गलत ठहराया है.

एए/ओएसजे (एएफपी, रॉयटर्स)