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फिलिप लाम के हाथ जर्मन टीम की कमान

२८ मई २०१०

अगले महीने दक्षिण अफ्रीका में हो रहे विश्व कप फुटबॉल के लिए फिलिप लाम को जर्मन टीम का कप्तान बनाया गया है. बायर्न म्यूनिख के डिफेंडर लाम जर्मन टीम का कप्तान बनने वाले सबसे कम उम्र के खिलाड़ी है.

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लाम बने कप्तानतस्वीर: AP

उम्मीद के मुताबिक कोच योआखिम लोएव ने जर्मन टीम की कप्तानी 26 वर्षीय लाम को सौंप दी जो चोटिल मिशाएल बालाक का स्थान लेंगे. टीम का पहले नंबर का गोलकीपर मानुएल नोएर को बनाया गया है जो जर्मन फुटबॉल लीग की शाल्के टीम के लिए खेलते हैं. नोएर की उम्र 24 साल है और वह जर्मनी के तीसरे सबसे कम उम्र के गोलकीपर बन गए हैं. इससे पहले चिली में 1962 में 20 वर्षीय वोल्फगांग फारीयान ने गोलकीपिंग की जिम्मेदारी संभाली थी तो 1990 में 23 साल की उम्र में बोडो इल्गनर जर्मन टीम के गोलकीपर बने.

वहीं म्यूनिख की टीम में उपकप्तान लाम के लिए विश्व कप चौथा बड़ा अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट होगा. इससे पहले वह दो यूरोपीय चैंपियनशिप और 2006 में जर्मनी में हुए विश्व कप फुटबॉल में हिस्सा ले चुके हैं. उनके बारे में लोएव कहते हैं, "वह एक ऐसे खिलाड़ी रहे हैं जो हमेशा सिर्फ खेल के बारे में सोचते हैं और साफ तौर पर अपनी राय देते हैं."

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दक्षिण अफ्रीका में चलेगा फुटबॉल का जादूतस्वीर: AP

हाल के समय में जर्मन टीम को कई झटके झेलने पड़े हैं. पिछले साल हनोवर के गोलकीपर रॉबर्ट एंके की आत्महत्या के बाद यह जिम्मेदारी बायर लीवरकुजेन के रेने एडलर को दी गई जिन्होंने वर्ल्ड कप के क्लॉलिफाइंग मुकाबलों में अपने प्रदर्शन से सबको प्रभावित किया. लेकिन सीजन खत्म होते होते वह चोटिल हो गए जिसके बाद गोलकीपिंग की जिम्मेदारी अब नोएर को सौंपी गई है. लेकिन हाल में जब कप्तान बालाक भी चोटिल होने की वजह से वर्ल्ड कप से हट गए तो वर्ल्ड कप में जर्मनी की उम्मीदों को बड़ा धक्का लगा. लाम के नेतृत्व में जो टीम विश्व कप में जा रही है, उसमें सभी युवा खिलाड़ी हैं जिनके पास अंतरराष्ट्रीय अनुभव बेहद कम है.

जर्मनी 1954 में वर्ल्ड कप जीतने के 20 साल बाद 1974 में फिर वर्ल्ड चैंपियन बना. इसलिए बहुत से खेल प्रेमी अटकलें लगा रहे थे कि क्या 1990 में वर्ल्ड कप अपने नाम करने वाला जर्मनी बीस साल बाद यानी 2010 में फिर वह कारनामा कर पाएगा. लेकिन जिस अनुभवहीन टीम के साथ जर्मनी इस बार खेलेगा, उसे देखते हुए खिताब की उम्मीद बेमानी होगी. लेकिन कई जानकार मानते हैं कि खिताब न सही लेकिन यह भविष्य के लिए बेहतरीन खिलाड़ी तैयार करने के लिए अच्छा है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः प्रिया एसेलबोर्न