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फिर फेल हुए प्रणब बाबू

२९ नवम्बर २०१०

भारतीय संसद में 11 दिनों से चले आ रहे गतिरोध को खत्म करने की सरकार की एक और कोशिश बेकार हो गई. वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने बीजेपी सहित विपक्षी नेताओं से बात की लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हैं.

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तस्वीर: UNI

मुखर्जी ने रविवार को विपक्षी नेताओं से बात तो की लेकिन कोई नया प्रस्ताव नहीं दिया. उन्होंने टेलीफोन पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से बात की.

फिर उन्होंने सीपीएम के सीताराम येचुरी को भी फोन किया. लेकिन कोई भी 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में संयुक्त संसदीय समिति यानी जेपीसी से कम किसी बात पर मानने को तैयार नहीं हुआ. 2जी घोटाला 1.76 लाख करोड़ का बताया जा रहा है.

L.K. Advani
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मुखर्जी ने स्वराज से कहा कि उन्हें लगता है कि सीबीआई की चल रही जांच किसी जेपीसी से बेहतर हो सकती है और अगर सुप्रीम कोर्ट वक्त वक्त पर इस पर नजर रखना चाहे तो भी उन्हें कोई एतराज नहीं है. लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया कि इतने बड़े घोटाले को संसद से बाहर नहीं रखा जा सकता है और इसके लिए जेपीसी से बेहतर कोई विकल्प नहीं हो सकता है.

सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा, "हमारा मानना है कि स्पेक्ट्रम घोटाले में जेपीसी बनाया ही जाना चाहिए. हम इस मांग को जारी रखेंगे."

बताया जाता है कि कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार जेपीसी से दूर रहना चाहती है क्योंकि बोफोर्स दलाली कांड जैसे मामलों में बनी जेपीसी को कोई नतीजा नहीं निकल पाया था.

लेकिन बीजेपी इस दलील से सहमत नहीं है. इस बीच, यूपीए सरकार की अहम साझीदार तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष और रेल मंत्री ममता बनर्जी भी इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ खड़ी दिख रही हैं. वह भी चाहती हैं कि इसमें जेपीसी बनाई जाए.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए जमाल

संपादनः एस गौड़

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