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फिनलैंड में बेसिक सैलरी का परीक्षण

४ जनवरी २०१७

डिजीटल होता उद्योग लोगों की जगह मशीनों से काम ले रहा है. लोग बेरोजगार हो रहे हैं. इस चुनौती का सामना करने के लिए फिनलैंड एक परीक्षण कर रहा है. वह 2000 लोगों को 560 यूरो की बेसिक तनख्वाह दे रहा है.

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तस्वीर: picture-alliance/ZB

फिनलैंड ने इस साल के शुरू में एक देशव्यापी परीक्षण शुरू किया है और वहां 2000 आंशिक काम करने वाले और बेरोजगार लोगों को 560 यूरो की बेसिक तनख्वाह दी जा रही है. इन लोगों को रैंडम तरीके से चुना गया है और मासिक तनख्वाह पर उन्हें कोई टैक्स नहीं देना होगा. ये लोग यदि अतिरिक्त काम करते हैं तो भी इस तनख्वाह को रख सकते हैं.

फिनलैंड की सामाजिक कल्याण एजेंसी में कानूनी मामले की प्रमुख मारजुक्का तुरुनेन का कहना है कि इस परीक्षण का मकसद यह पता करना है कि क्या बेसिक आय की नीति रोजगार को बढ़ावा दे सकती है और देश के सामाजिक कल्याण सिस्टम को सक्षम बाजार के अनुकूल ढाल सकती है जिसमें अब ज्यादा जोर टेम्पररी रोजगार और फ्रीलांसिंग पर है. यह प्रोग्राम नौकरशाही बोझ घटाने में भी मदद कर सकता है क्योंकि अब लोगों को सहायता पाने के लिए लंबे लंबे फॉर्म भरने की जरूरत नहीं रहेगी.

लोगों की आय भी नियमित होगी क्योंकि उन्हें ये भत्ता मासिक सैलरी की तरह मिलेगा ताकि वे मासिक खर्च प्लान कर सकें. सोमवार से शुरू हुए इस प्रोग्राम में पहला पेमेंट 9 जनवरी को होगा. जिन लोगों को यह सैलरी दी जा रही है उनमें से कुछ लोग लंबे समय से बेरोजगार हैं, जबकि कुछ की पिछले अक्टूबर में नौकरी गई है और नवंबर में उन्हें पहला बेरोजगारी भत्ता मिला है. प्रोग्राम में भाग ले रहे 2000 लोग 25 से 58 साल के हैं और उन्हें देश की 55 लाख आबादी में से चुना गया है. इनमें 48 प्रतिशत महिलाएं हैं और 52 प्रतिशत पुरुष हैं. उन्हें 175,000 लोगों के एक पूल से चुना गया है जिन्हें नवंबर में सरकारी अनुदान या भत्ता मिला है.

अमेरिका, कनाडा और नीदरलैंड्स में पहले ही ऐसे प्रोग्राम का परीक्षण हो चुका है, लेकिन तुरुनेन के अनुसार फिनलैंड का प्रोग्राम पहला देशव्यापी प्रोग्राम है. भागीदारों की संख्या इतनी बड़ी है कि उससे रिसर्चरों को पर्याप्त जानकारी प्राप्त हो सकेगी. परीक्षण की दो साल की अवधि के दौरान भागीदारों को अकेला छोड़ दिया जाएगा. इसका मकसद सर्वे को प्रभावित करने से बचना है. लोग अपनी मर्जी से जी सकेंगे. कुरिका शहर के एक भागीदार जूहा जारविनेन ने प्रोग्राम में हिस्सा लेने पर खुशी जताते हुए कहा है कि वह अपना पांच साल पहले बंद हो गया छोटा कारोबार फिर से शुरू करेगा. 

हेलसिंकी यूनिवर्सिटी में सोशल पॉलिसी विभाग के प्रोफेसर हाइकी हिलामो का कहना है कि यह प्रोग्राम उन लोगों पर लक्षित है जिन्हें श्रम बाजार में स्थायी नौकरी पाने में कामयाबी नहीं मिली है. इस प्रोग्राम की एक खासियत यह भी है कि इसके साथ कोई शर्तें जुड़ी हुई नहीं है. बेरोजगारी भत्ता के साथ ट्रेनिंग लेने या कोई नया काम सीखने की शर्त जुड़ी होती है. ट्रेनिंग या समाज सेवा जैसे कामों को ठुकराने पर भी भागीदारों को बेसिक तनख्वाह मिलती रहेगी. हिलामो ने उम्मीद जताई कि आलसी होने के बदले प्रोग्राम के भागीदार सक्षम बाजार में ज्यादा सक्रिय होंगे.

यूरो जोन में शामिल फिनलैंड पिछले सालों में आर्थिक संकट और रूस को होने वाले निर्यात में कमी के कारण कमजोर आर्थिक विकास का सामना कर रहा है. फिनलैंड के केंद्रीय बैंक के अनुसार इस साल सकल राष्ट्रीय उत्पाद में 1.1 प्रतिशत की वृद्धि होगी जो मुख्य रूप से घरेलू उपभोग में वृद्धि के कारण होगी. हालांकि श्रम बाजार में थोड़ा सुधार हुआ है लेकिन नवंबर में बेरोजगारी दर 81. प्रतिशत थी. फिनलैंड में औसत बेरोजगारी भत्ता 730 यूरो प्रति महीने है. समाज कल्याण विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि बेसिक सैलरी प्रोग्राम में भाग ले रहे लोगों को अब तक मिल रहे बेरोजगारी भत्ता से कम बेसिक सैलरी न मिले. तुरुनेन का कहना है कि प्रोग्राम का लक्ष्य लोगों को नौकरी करने के लिए प्रोत्साहित करना है क्योंकि वे अपनी कमाई के साथ साथ बेसिक सैलरी भी रख सकते हैं.

एमजे/एके (डीपीए)